मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना: 25 लाख महिलाओं के नाम हुए कट

महाराष्ट्र सरकार का बड़ा झटका! माझी लाडकी बहिन योजना से 25 लाख महिलाओं के नाम काटे, सुप्रिया सुले ने लगाया 4800 करोड़ के घोटाले का आरोप!

महाराष्ट्र सरकार ने मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना से 25 लाख महिलाओं के नाम काटे? सुप्रिया सुले का बड़ा आरोप, 4800 करोड़ का घोटाला! जानिए पूरी सच्चाई।

महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया तूफान आ गया है। एनसीपी एसपी की वर्किंग प्रेसिडेंट और सांसद सुप्रिया सुले ने राज्य सरकार पर एक बहुत बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना के beneficiary list से 25 लाख महिलाओं के नाम काट दिए हैं। और इतना ही नहीं, जल्द ही और भी नाम हटाए जाने वाले हैं। ये योजना विधानसभा चुनाव से पहले सरकार की एक बड़ी poll promise थी। अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। सुले ने तो यहां तक कह दिया कि इसमें 4800 करोड़ रुपये का घोटाला छिपा हुआ है। उन्होंने ये भी सवाल किया कि आखिर इस योजना में पुरुषों ने कैसे रजिस्ट्रेशन करवाया और लाभ उठाया। ये सारे मामले अब एक बहुत बड़ा राजनीतिक विवाद बनते जा रहे हैं। सुले ने ये भी कहा कि वो खुद इस पूरी योजना की जांच करेंगी। इसके अलावा उन्होंने एक मंत्री के rummy खेलने वाले वीडियो को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा।

सुप्रिया सुले ने दिंडोरी में उठाए सवाल


सुप्रिया सुले ने ये बात नाशिक जिले के दिंडोरी तालुका में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि ये हैरान करने वाली बात है कि जिस योजना की शुरुआत सरकार ने खुद चुनाव से पहले की थी, आज उसी योजना से वो महिलाओं का नाम काट रही है। अब तक 25 लाख महिलाओं के नाम हटाए जा चुके हैं और आने वाले समय में और भी नाम काटे जाने की संभावना है। सुले का ये बयान सीधे तौर पर सरकार पर एक बड़ा हमला है। उन्होंने योजना के implementation पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि ये सरकार की नीयत पर एक बड़ा सवाल है। चुनाव जीतने के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं और फिर जीतने के बाद उसे ठीक से लागू नहीं किया जाता। इससे गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को बहुत नुकसान हो रहा है।

कैसे पुरुषों ने उठाया लाभ

सुप्रिया सुले ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने कहा कि इस योजना में पुरुषों ने भी रजिस्ट्रेशन कराया और लाभ उठाया। ये सुनकर हैरानी होती है कि आखिर ये possible कैसे हुआ। लाडकी बहिन योजना तो specifically महिलाओं के लिए बनाई गई थी। फिर पुरुषों ने इसमें आवेदन कैसे किया और सिस्टम ने उन्हें पास कैसे होने दिया। सुले के मुताबिक ये एक बहुत बड़ा scam है जिसकी रकम 4800 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी सरकार की नजरों से कैसे छुप गई। क्या सरकारी machinery इतनी कमजोर है या फिर जानबूझकर इस पर आंखें मूंदी गईं। इससे योजना की credibility पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।

सुले ने की खुद जांच की घोषणा

सुप्रिया सुले ने इस पूरे मामले की खुद जांच करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि वो personally इस योजना की thorough inquiry करेंगी। उन्होंने सवाल किया कि राज्य सरकार 25 लाख महिलाओं का नाम योजना से कैसे हटा सकती है। ये उन महिलाओं के साथ धोखा है जिन्होंने इस योजना पर भरोसा किया था। सुले का ये कदम political drama को और बढ़ा सकता है। opposition की leader होने के नाते उनकी ये जांच सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। हालांकि, सवाल ये है कि बिना official authority के वो कितनी गहराई तक जांच कर पाएंगी। लेकिन इससे public awareness जरूर बढ़ेगी और media का attention इस ओर जाएगा।

रम्मी खेलते मंत्री का मामला

सुप्रिया सुले ने अपने भाषण में agriculture minister मनिकराव कोकाटे का भी जिक्र किया बिना नाम लिए। उन्होंने कहा कि मंत्री जो rummy खेल रहे थे, उनका वीडियो उनके करीबी व्यक्ति ने ही बनाया है। उन्होंने कहा कि duty के समय rummy खेलना गलत है और पकड़े जाने पर माफी मांगनी चाहिए थी। लेकिन इसके बजाय मंत्री ने रोहित पवार को defamation notice भेज दी। सुले ने तर्क दिया कि ruling और opposition benches एक दूसरे के सामने बैठती हैं, ऐसे में रोहित पवार वीडियो कैसे shoot कर सकते थे। ये काम तो मंत्री के अपने group के किसी व्यक्ति ने किया है। सुले ने कहा कि अगर सजा देनी है तो उस व्यक्ति को दो जिसने वीडियो बनाया। इस पूरे episode से सरकार के internal conflicts का पता चलता है।

राज्य की खराब आर्थिक स्थिति पर सुले की चिंता

सुप्रिया सुले ने राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि राज्य इस वक्त बहुत bad economic situation से गुजर रहा है। ऐसे में योजनाओं में fund allocation और utilization पर और भी सख्ती से नजर रखनी चाहिए। उनका इशारा था कि सरकारी खजाना खाली है और इसीलिए योजनाओं से लाभार्थियों को हटाया जा रहा है। हालांकि, सरकार की तरफ से अभी तक इस बारे में कोई official statement नहीं आया है। सुले के इस बयान से सरकार के लिए नई मुश्किलें पैदा हो गई हैं। opposition इस मौके का फायदा उठाकर सरकार पर हमला कर सकती है। आम जनता में भी सरकार के खिलाफ नाराजगी है क्योंकि योजना का लाभ उन तक नहीं पहुंच पा रहा है।

योजना का क्या है उद्देश्य

मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना राज्य की महिलाओं के financial empowerment के लिए शुरू की गई थी। इसके तहत eligible महिलाओं को हर महीने financial assistance दी जानी थी। ये योजना खासतौर पर गरीब और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए थी। चुनाव से पहले इस योजना का announcement बहुत ही जोरशोर से किया गया था। लाखों महिलाओं ने इसमें आवेदन किया था। लेकिन अब जो हालात हैं, उससे लगता है कि योजना सही तरीके से लागू नहीं हो पा रही है। names का cut होना इस बात का सबूत है कि योजना में कहीं न कहीं गड़बड़ी हुई है। सरकार का दावा था कि इससे महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाया जाएगा, लेकिन अब वोी महिलाएं निराश हैं।

लाभार्थियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा

इस योजना से 25 लाख महिलाओं के नाम काटे जाने का सीधा असर उन परिवारों पर पड़ेगा जो इस financial assistance पर निर्भर थे। गरीब परिवारों के लिए हर महीने की छोटी सी रकम भी बहुत मायने रखती है। उसके कटने से उनकी daily life affect होगी। बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च, medical expenses जैसी जरूरतें पूरी करने में दिक्कत आएगी। इससे महिलाओं का सरकार और system पर से भरोसा उठ सकता है। वो feel कर सकती हैं कि सरकारी योजनाएं सिर्फ वोट लेने का जरिया हैं, उनका लाभ आम जनता तक नहीं पहुंचता। ये एक बहुत बड़ा social impact होगा जिसकी भरपाई करना मुश्किल होगा।

सरकार की क्या होगी प्रतिक्रिया

अब सबकी नजरें सरकार पर हैं कि वो सुप्रिया सुले के these allegations का क्या जवाब देती है। अभी तक सरकार की तरफ से कोई official reaction नहीं आया है। सरकार को चाहिए कि वो इस मामले में transparency दिखाए और public को बताए कि आखिर names cut करने की क्या वजह है। अगर真的 में कोई घोटाला हुआ है तो guilty officers के खिलाफ strict action लिया जाए। अगर technical reasons हैं तो उसे स्पष्ट किया जाए। सरकार का silence इस situation को और भी जटिल बना सकता है। opposition इस मौके का फायदा उठाकर सरकार को घेर सकती है। media भी इस issue को उठा रहा है, ऐसे में सरकार के लिए जवाब देना necessary हो गया है।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

सुप्रिया सुले के इस बयान के बाद अन्य राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। opposition parties इस matter को बड़े स्तर पर उठा रही हैं और सरकार के खिलाफ protests की तैयारी कर रही हैं। वहीं, ruling party के members अभी तक cautious approach ले रहे हैं। उन्होंने official statement का इंतजार करने को कहा है। हालांकि, कुछ leaders ने informally कहा है कि सुले के allegations completely baseless हैं। उनका कहना है कि names का cut होना routine verification process का हिस्सा है जहां duplicate और fake entries को हटाया जाता है। लेकिन अभी तक कोई proof सामने नहीं आया है।

जनता की क्या है राय

आम जनता इस पूरे matter को लेकर confused और angry है। जिन महिलाओं के names cut हुए हैं, वो naturally upset हैं। social media पर भी इस issue को लेकर चर्चा तेज हो गई है। लोग सरकार से स्पष्टीकरण की मांग कर रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि ये सरकार की failure है कि वो योजना को ठीक से manage नहीं कर पाई। कुछ लोगों का ये भी मानना है कि political blame game चल रहा है और actual issues को ignore किया जा रहा है। जनता चाहती है कि योजना का लाभ सही लोगों तक पहुंे और political parties आपसी लड़ाई छोड़कर इस ओर ध्यान दें।

क्या हो सकता है आगे का रास्ता

इस situation से निपटने के लिए सरकार को एक comprehensive plan बनाना होगा। सबसे पहले तो names cut करने की वजह सार्वजनिक करनी होगी। अगर真的 में fake entries हैं तो उनकी list release करनी होगी। दूसरा, जिन eligible महिलाओं के names गलती से cut हो गए हैं, उन्हें तुरंत वापस list में शामिल करना होगा। तीसरा, योजना की monitoring और verification process को और strong करना होगा ताकि future में ऐसी गड़बड़ी न हो। सरकार को opposition parties के साथ बैठकर इस matter को solve करना चाहिए। एक high-level committee बनाकर investigation करवाई जा सकती है।最重要的是, public trust को वापस जीतना होगा।

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