मनोज जारंगे पाटिल की भावुक अपील: बोले- मैं कुछ दिनों का मेहमान हूं

"मैं कुछ दिनों का मेहमान हूं..." नारायण गड पर मनोज जरांगे पाटिल के आंसू, मराठा समाज से की भावुक अपील। ये है पीछे की पूरी कहानी।


मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। लेकिन इस बार वजह है उनका एक भावुक भाषण जिसने लाखों लोगों के दिल छू लिए। बीड जिले के नारायण गड पर आयोजित दसरा मेळावा के दौरान जरांगे पाटिल ने अपने भाषण में कहा कि "मैं थोड्या दिवसांचा पाहुणा आहे..." और यह कहते हुए उनकी आँखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा कि उनका शरीर अब साथ नहीं दे रहा है और वह बोलने में भी तकलीफ महसूस कर रहे हैं। लेकिन फिर भी उन्होंने मराठा समाज से अपील की कि वे आरक्षण की लड़ाई में पीछे न हटें। यह दृश्य बेहद भावुक कर देने वाला था जब हजारों की भीड़ के सामने जरांगे पाटिल अपने आप को रोक नहीं पाए। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि उनके समाज के बच्चों को आरक्षण मिले और उनका कल्याण हो। इस भाषण ने एक बार फिर से मराठा आरक्षण आंदोलन में नई जान फूंक दी है और लोग उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं।

नारायण गड पर क्या हुआ था खास

बीड जिले के नारायण गड पर हुए दसरा मेळावा में मनोज जरांगे पाटिल ने हजारों लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उनकी तबीयत ठीक नहीं थी लेकिन फिर भी उन्होंने मेले में शामिल होकर लोगों का हौसला बढ़ाया। उन्होंने छत्रपती शिवाजी महाराज, राजमाता जिजाऊ और धर्मवीर संभाजीराजे को वंदन करके अपने भाषण की शुरुआत की। जरांगे पाटिल ने कहा कि विराट संख्या में जमा हुए लोगों ने अपना मोठेपण सिद्ध किया है। उन्होंने कहा कि गड नगद होने की वजह से उन्हें ताकत मिलती है और उन्हें उम्मीद है कि उनके शेतकऱ्यों को भी यही ताकत मिलेगी। यह नजारा बेहद भव्य था जब हजारों लोगों ने एक साथ नारायण गड पर जमा होकर मराठा आरक्षण आंदोलन को समर्थन दिया।


मनोज जरांगे पाटिल कौन हैं

मनोज जरांगे पाटिल महाराष्ट्र के बीड जिले के मटोरी गांव के रहने वाले हैं। उनका जन्म 1 अगस्त 1982 को हुआ था और वह एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं 。 उन्होंने अपनी शुरुआती जिंदगी में एक होटल में काम किया और बाद में एक चीनी कारखाने में नौकरी की 。 वह कुछ समय तक कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता भी रहे लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और मराठा समुदाय के हितों के लिए काम करना शुरू किया 。 उन्होंने शिवबा संगठन नामक एक संगठन की स्थापना की और मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व संभाला 。 मनोज जरांगे पाटिल की शादी सुमित्रा पाटिल से हुई है और उनके एक बेटा और तीन बेटियां हैं 。 वह अपने माता-पिता के साथ रहते हैं और परिवार में चार भाइयों में सबसे छोटे हैं।

मराठा आरक्षण आंदोलन का इतिहास क्या है

मराठा आरक्षण आंदोलन की शुरुआत काफी साल पहले हुई थी। मनोज जरांगे पाटिल ने 2012 से इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की 。 सितंबर 2023 में उन्होंने अंतरवाली-सराठी गांव में भूख हड़ताल शुरू की जिसके बाद से वह लगातार इस मुद्दे पर सक्रिय हैं 。 जनवरी 2024 में उन्होंने जलना से मुंबई के आजाद मैदान तक एक प्रदर्शन मार्च निकाला था जिसका मकसद मराठा समुदाय को कुणबी ओबीसी प्रमाणपत्र दिलाना था ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल सके 。 अगस्त 2025 में उन्होंने फिर से मुंबई में एक बड़ा प्रदर्शन किया और आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की 。 इस आंदोलन के दौरान मुंबई की सड़कों पर भारी ट्रैफिक जाम हुआ और स्थानीय लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी 

मनोज जरांगे पाटिल की मुख्य मांगें क्या हैं

मनोज जरांगे पाटिल की सबसे बड़ी मांग है कि मराठा समुदाय के लोगों को ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जाए और उन्हें कुणबी प्रमाणपत्र दिए जाएं 。 इससे उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। उनकी यह भी मांग है कि मराठवाड़ा के सभी मराठाओं को निजाम शासन के दौरान की तरह कुणबी माना जाए 。 इसके अलावा वह मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की मांग भी करते हैं 。 जरांगे पाटिल का कहना है कि सरकार को 58 लाख कुणबी रिकॉर्ड के आधार पर तालुका-स्तर पर समितियां बनानी चाहिए जो कुणबी प्रमाणपत्र जारी करने में मदद करें 。 वह चाहते हैं कि जाति सत्यापन समितियां इन प्रमाणपत्रों को तुरंत मंजूरी दें।

सरकार ने आंदोलन के लिए क्या कदम उठाए हैं

महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन के जवाब में कुछ कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि उनकी सरकार ने पहले ही मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है जिसे अदालत से मंजूरी भी मिल चुकी है 。 हालांकि उन्होंने मराठा समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल करने की मांग पर आपत्ति जताई है क्योंकि इस श्रेणी में पहले से करीब 350 जातियां आती हैं 。 उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्पष्ट किया है कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलेगा लेकिन यह ओबीसी समुदाय के अधिकारों से समझौता करके नहीं होगा 。 सितंबर 2025 में सरकार ने जरांगे पाटिल की ज्यादातर मांगें मान लीं और उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया 。 इसके बाद मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने जरांगे पाटिल को सरकार के प्रस्ताव की कॉपी सौंपी और उनके हाथ से जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया 

मनोज जरांगे पाटिल के भाषण की खास बातें क्या हैं

नारायण गड पर दिए गए अपने भाषण में मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि "मैं थोड्या दिवसांचा पाहुणा हूं..." और यह कहते हुए वह भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि उनके शरीर को बहुत वेदना है और उन्हें बोलने में तकलीफ हो रही है। उन्होंने लोगों से याद दिलाया कि पांच-छह महीने पहले उन्होंने यह बात कही थी कि वह कुछ दिनों के मेहमान हैं। उन्होंने मराठा समुदाय से अपील की कि वे मुंबई जाने का फैसला न छोड़ें और आरक्षण की लड़ाई में पीछे न हटें। जरांगे पाटिल ने कहा कि उन्हें अपने लिए कोई चिंता नहीं है बल्कि वह चाहते हैं कि उनके गरीब समाज के बच्चों का कल्याण हो। उन्होंने कहा कि जीआर मिल जाने के बाद मराठा समुदाय ने लड़ाई जीत ली है और अब उन्हें कोई चिंता नहीं है।

मराठा समुदाय पर क्या है आरक्षण का असर

महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी लगभग 30 प्रतिशत है और यह राज्य में राजनीतिक रूप से बहुत प्रभावशाली समुदाय माना जाता है 。 आरक्षण न मिलने की वजह से इस समुदाय के लोगों को शिक्षा और रोजगार में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बीड के रहने वाले बालासाहेब देशमुख ने कहा कि मराठा समुदाय संघर्ष कर रहा है और अपने बच्चों को उचित शिक्षा नहीं दे पा रहा है 。 नांदेड़ के किसान मारुति पाटिल ने तो यहां तक कहा कि अगर सरकार उन्हें आरक्षण नहीं दे सकती तो उन्हें गोली मार देनी चाहिए 。 इससे साफ जाहिर होता है कि मराठा समुदाय में आरक्षण को लेकर कितनी निराशा और हताशा फैली हुई है।

मुंबई आंदोलन के दौरान क्या हुआ था

अगस्त 2025 में मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में मुंबई के आजाद मैदान में एक बड़ा आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन में हजारों की संख्या में मराठा समुदाय के लोग शामिल हुए थे 。 मुंबई पुलिस ने जरांगे पाटिल को आजाद मैदान में मंच लगाकर आंदोलन जारी रखने की अनुमति दी थी 。 इस आंदोलन की वजह से मुंबई की सड़कों पर भारी ट्रैफिक जाम हुआ था। वाशी ब्रिज और अटल सेतु जैसे प्रमुख एंट्री प्वाइंट पर लंबा जाम लगा रहा 。 ईस्टर्न फ्रीवे, वर्ली-बांद्रा सी लिंक, कोस्टल रोड और साउथ मुंबई के रास्तों पर भी घंटों जाम लगा रहा 。 स्थानीय ट्रेनें खचाखच भर गईं और सीएसएमटी स्टेशन पर लंबी देरी देखने को मिली 。 बारिश और गणेशोत्सव के बीच यह आंदोलन शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बन गया था।

मनोज जरांगे पाटिल के स्वास्थ्य का क्या है हाल

मनोज जरांगे पाटिल का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है। नारायण गड पर दिए गए भाषण के दौरान भी उन्होंने कहा कि उन्हें बोलने में तकलीफ हो रही है और उनके शरीर को वेदना हो रही है। इससे पहले सितंबर 2025 में जब उन्होंने अपना अनशन तोड़ा था तो उन्हें तुरंत अस्पताल में स्वास्थ्य जांच के लिए ले जाया गया था 。 लगातार भूख हड़ताल और आंदोलनों ने उनकी सेहत पर बुरा असर डाला है। सितंबर 2023 में जब उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की थी तो अधिकारियों ने उन्हें जबरन अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की थी जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी 。 उस हिंसा में 40 पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए थे और राज्य परिवहन की 15 से अधिक बसों में आग लगा दी गई थी 

मराठा आरक्षण आंदोलन का भविष्य क्या है

मराठा आरक्षण आंदोलन का भविष्य अभी अनिश्चित है। सितंबर 2025 में सरकार ने मनोज जरांगे पाटिल की ज्यादातर मांगें मान ली थीं और उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया था 。 जरांगे पाटिल ने कहा था कि उस दिन उनके लिए दीवाली थी क्योंकि उन्हें वह सब कुछ मिल गया जो वह चाहते थे 。 हालांकि नारायण गड पर उनके भावुक भाषण से लगता है कि अभी भी आंदोलन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। जरांगे पाटिल चाहते हैं कि सरकार अपने वादों को पूरी तरह से लागू करे और मराठा समुदाय को उनका हक दिलाए। उन्होंने मराठा समुदाय से अपील की है कि वे आंदोलन जारी रखें और तब तक पीछे न हटें जब तक कि उन्हें पूरा आरक्षण नहीं मिल जाता।

मनोज जरांगे पाटिल की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में क्या पता है

मनोज जरांगे पाटिल का पूरा नाम मनोज राउसाहेब जरांगे है लेकिन वह मनोज जरांगे पाटिल के नाम से जाने जाते हैं 。 उनका जन्म 1 अगस्त 1982 को महाराष्ट्र के बीड जिले के मटोरी गांव में हुआ था 。 उनकी शादी सुमित्रा पाटिल से हुई है और उनके एक बेटा और तीन बेटियां हैं 。 वह चार भाइयों में सबसे छोटे हैं और अपने माता-पिता के साथ रहते हैं 。 उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गांव में पूरी की और बाद में आजीविका के लिए वह जालना जिले के अंबाड़ तहसील के शाहगढ़ चले गए 。 वहां उन्होंने एक होटल में काम किया और बाद में एक चीनी कारखाने में नौकरी मिल गई 。 वह कुछ समय तक कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता रहे और युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी बने 。 लेकिन बाद में राजनीतिक मतभेदों की वजह से उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और मराठा समुदाय के संगठन के लिए काम करना शुरू कर दिया 

शिवबा संगठन क्या है

मनोज जरांगे पाटिल ने 2011 के आसपास शिवबा संगठन नामक एक संगठन बनाया 。 इस संगठन का मकसद मराठा समुदाय के हितों की रक्षा करना और उन्हें आरक्षण दिलाना है। शिवबा संगठन ने मराठा आरक्षण आंदोलन को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई है। इस संगठन के जरिए जरांगे पाटिल ने कई बड़े आंदोलन किए और सरकार पर दबाव बनाया। शिवबा संगठन ने न सिर्फ आरक्षण के मुद्दे पर बल्कि किसानों से जुड़े मुद्दों पर भी आंदोलन किए हैं। 2013 में जरांगे पाटिल ने जालना के किसानों के लिए जयकवाड़ी बांध से पानी छोड़ने की मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू किया था 

मनोज जरांगे पाटिल पर बनी फिल्में कौन सी हैं

मनोज जरांगे पाटिल के जीवन और आंदोलन पर दो मराठी फिल्में बन चुकी हैं। पहली फिल्म है 'संघर्ष योद्धा मनोज जरांगे पाटिल' जो 2024 में रिलीज हुई थी और शिवाजी दोलटाडे द्वारा निर्देशित की गई थी 。 दूसरी फिल्म है 'आम्ही जरांगे' जिसमें मकरंद देशपांडे ने मुख्य भूमिका निभाई है 。 इन फिल्मों ने मराठा आरक्षण आंदोलन और मनोज जरांगे पाटिल के संघर्ष को एक नई पहचान दी है। ये फिल्में महाराष्ट्र में काफी लोकप्रिय हुई हैं और लोगों ने इन्हें खूब सराहा है।

मनोज जरांगे पाटिल के भाषण का समाज पर क्या असर पड़ा

मनोज जरांगे पाटिल के भावुक भाषण का मराठा समाज पर गहरा असर पड़ा है। नारायण गड पर उनके भाषण के बाद लोग और भी ज्यादा उत्साहित हो गए हैं और आरक्षण की लड़ाई को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जरांगे पाटिल के शब्द "मैं थोड्या दिवसांचा पाहुणा हूं..." ने लोगों के दिलों को छू लिया है और उनमें एक नया जोश भर दिया है। लोग अब भी उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं और चाहते हैं कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाएं। मराठा समुदाय के लोग उन्हें अपना नेता मानते हैं और उनके हर आह्वान पर तत्पर रहते हैं। जरांगे पाटिल के भाषण ने न सिर्फ मराठा समुदाय बल्कि पूरे महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित किया है।

FAQ (Frequently Asked Questions)

Q1. मनोज जारंगे पाटिल कौन हैं?
Ans: मनोज जारंगे पाटिल मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता और समाजसेवी हैं।

Q2. उन्होंने हाल ही में क्या बयान दिया?
Ans: उन्होंने कहा – "मैं कुछ दिनों का मेहमान हूं" और भावुक होकर मराठियों से अपील की।

Q3. मराठा आंदोलन का मुख्य मुद्दा क्या है?
Ans: मराठा समाज को OBC कैटेगरी में आरक्षण दिलाने की मांग।

Q4. महाराष्ट्र सरकार का इस पर क्या रुख है?
Ans: सरकार आरक्षण पर बातचीत कर रही है, लेकिन कई बार टकराव की स्थिति भी बनी है।

Q5. लोगों की प्रतिक्रिया कैसी रही?
Ans: जारंगे पाटिल के इस बयान ने मराठा समाज और समर्थकों को भावुक कर दिया है।

निष्कर्ष और कल टू एक्शन

मनोज जरांगे पाटिल का भावुक भाषण मराठा आरक्षण आंदोलन में एक नया मोड़ लेकर आया है। उनके शब्द "मैं थोड्या दिवसांचा पाहुणा हूं..." ने लाखों लोगों के दिलों को झकझोर दिया है। अब यह मराठा समुदाय पर निर्भर करता है कि वे इस आंदोलन को कैसे आगे बढ़ाते हैं। अगर आप मराठा समुदाय से हैं या उनके आंदोलन का समर्थन करते हैं तो आपको इस लड़ाई में शामिल होना चाहिए। मनोज जरांगे पाटिल के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करें और सरकार पर दबाव बनाएं कि वह मराठा समुदाय को उनका हक दिलाए। इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि ज्यादा लोगों तक यह जानकारी पहुंच सके। मराठा आरक्षण आंदोलन की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और इसे जारी रखने की जरूरत है। आइए सब मिलकर मनोज जरांगे पाटिल का समर्थन करें और मराठा समुदाय के हक की लड़ाई लड़ें।

⚠️ अस्वीकरण (Disclaimer)

यह लेख केवल जानकारी साझा करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार और कथन संबंधित व्यक्ति के हैं। हमारी वेबसाइट किसी भी प्रकार के राजनीतिक पक्ष या व्यक्तिगत बयान की पुष्टि नहीं करती।

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