मनोज जरांगे पाटिल का बड़ा इशारा: "गुलाल उड़ाकर ही लौटूँगा

महाराष्ट्र में फिर भड़की आग! मनोज जरांगे पाटील का सरकार को इशारा - जान चली जाए तो भी पीछे नहीं हटूँगा, गुलाल उड़ाकर ही लौटूँगा।"


जान चली जाए तो भी पीछे नहीं हटूँगा, गुलाल उड़ाकर ही लौटूँगा।"

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से तूफान आने वाला है। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटील फिर से मैदान में आ गए हैं और उन्होंने सरकार को साफ इशारा दे दिया है कि अब वो पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि जीव गया तो गया लेकिन मांग से पीछे नहीं हटेंगे और गुलाल उड़ाकर ही वापस लौटेंगे। यानी आरक्षण लेकर ही मुंबई से वापस आएंगे। उन्होंने 29 अगस्त को 'चलो मुंबई' का एलान कर दिया है और कहा है कि इस बार मराठा समाज आरक्षण लिए बिना वापस नहीं आएगा। उन्होंने सरकार पर सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि उनकी सभाओं में अडचनें पैदा की जा रही हैं और डीजे बजाने तक पर रोक लगाई जा रही है। जरांगे ने कहा कि अब सरकार थोड़ा रुक जाए क्योंकि अब वो मुंबई आ रहे हैं और वहां पर सरकार जो करना चाहे कर ले। ये बयान महाराष्ट्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है क्योंकि जरांगे पाटील का आंदोलन पिछले कई सालों से चल रहा है और अब वो फिर से एक बड़े movement की तैयारी कर रहे हैं।

जरांगे पाटील ने बीड में की बैठक

मनोज जरांगे पाटील ने बीड में एक बैठक की और उसमें उन्होंने मराठा समाज के लोगों को संबोधित किया। इस बैठक में उन्होंने अपनी आगे की रणनीति तय की और मुंबई कूच का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि मराठा समाज अपने हक के लिए एकजुट होकर आगे आए और आरक्षण की मांग को पूरा करवाए। उन्होंने कहा कि इस बार वो शांति से मुंबई जाएंगे और शांति से आरक्षण लेकर आएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार ने उनकी सभाओं में रोड़े अटकाने शुरू कर दिए हैं और बीड में उनकी सभा में डीजे बजाने तक पर पाबंदी लगा दी गई थी। जरांगे ने कहा कि अब वो इसका जवाब देंगे और आगे से कहीं भी डीजे बजाने नहीं देंगे। उन्होंने सत्ता को ये भी याद दिलाया कि सत्ता आती जाती रहती है और बदलती रहती है, इसलिए सरकार को घमंड नहीं करना चाहिए।

29 अगस्त को मुंबई कूच का ऐलान

मनोज जरांगे पाटील ने 29 अगस्त को मुंबई कूच का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि इस बार मराठा समाज मुंबई जाएगा और आरक्षण लेकर ही वापस आएगा। उन्होंने कहा कि गुलाल उड़ाकर ही वापस आएंगे यानी जीत का जश्न मनाते हुए आएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें मान लीं और आरक्षण दे दिया तो उन्हें मुंबई जाने की क्या जरूरत है। लेकिन अगर सरकार ने नहीं माना तो वो मुंबई का रुख करेंगे और वहां पर डटकर आंदोलन करेंगे। जरांगे पाटील का ये बयान बहुत ही आक्रामक है और इससे साफ जाहिर होता है कि वो इस बार कोई समझौता नहीं करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि मराठा समाज पर संकट आया हुआ है और अब उस संकट को तोड़ना है।

सरकार को दिया सीधा आव्हान

मनोज जरांगे पाटील ने महाराष्ट्र सरकार को सीधा आव्हान देते हुए कहा कि बीड में उनकी सभा में जो अडचनें पैदा की गईं, उसके लिए सरकार तैयार रहे क्योंकि अब वो मुंबई आ रहे हैं और वहां पर जो करना है कर ले। उन्होंने कहा कि सरकार गडबड घोटाला करना बंद करे क्योंकि इससे मराठा समाज पर संकट आ रहा है। जरांगे ने ये भी कहा कि सत्ताधारियों ने उनकी और मराठा समाज की भावनाओं का इस्तेमाल किया है और अब वो इसका हिसाब मांगेंगे। उन्होंने कहा कि मराठा समाज की ताकत बहुत है लेकिन अब तक वो विचारों से नहीं चले इसलिए उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं। लेकिन अब वो विचारों से चलेंगे और आरक्षण लेकर रहेंगे।

मराठा समाज की ताकत का इस्तेमाल

मनोज जरांगे पाटील ने कहा कि मराठा समाज बहुत ताकतवर है लेकिन अब तक इस ताकत का सही इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों ने मराठा समाज की भावनाओं का इस्तेमाल सत्ता पाने के लिए किया लेकिन जब बात आरक्षण देने की आई तो सब पीछे हट गए। जरांगे ने कहा कि इसकी वजह से मराठा समाज की कई पीढ़ियों का नुकसान हुआ है और अब वो इस नुकसान की भरपाई चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अब वो विचारवान तरीके से आगे बढ़ेंगे और आरक्षण की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि जीव गया तो गया लेकिन मांग से पीछे नहीं हटेंगे। यानी वो आखिरी सांस तक लड़ते रहेंगे।

सरकार की रणनीति पर सवाल

मनोज जरांगे पाटील ने सरकार की रणनीति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मराठा आरक्षण देने का वादा करके भी उसे पूरा नहीं कर रही है और आंदोलन करने वालों को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि बीड में उनकी सभा में डीजे बजाने पर पाबंदी लगाना सरकार की नीयत को दिखाता है। जरांगे ने कहा कि सरकार को लगता है कि वो दबाव बना सकती है लेकिन अब मराठा समाज डरने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि सत्ता बदलती रहती है और जो आज सत्ता में हैं उन्हें ये याद रखना चाहिए कि कल कोई और आ सकता है। इसलिए सरकार को घमंड नहीं करना चाहिए और मराठा समाज की मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए।

मराठा आरक्षण का इतिहास

मराठा आरक्षण की मांग कई सालों से चल रही है। इस मांग को लेकर कई बार आंदोलन हुए हैं और कई लोगों ने अपनी जानें तक गंवाई हैं। महाराष्ट्र सरकार ने कई बार आरक्षण देने का वादा किया लेकिन अदालतों में चुनौतियों की वजह से ये वादे पूरे नहीं हो पाए। मराठा समाज का कहना है कि उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति खराब हो गई है और उन्हें आरक्षण की जरूरत है। सरकार का कहना है कि वो आरक्षण देना चाहती है लेकिन कानूनी पचड़ों की वजह से ऐसा नहीं कर पा रही है। इस बीच मनोज जरांगे पाटील इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे बनकर उभरे हैं और उन्होंने मराठा समाज को एकजुट किया है।

जरांगे पाटील का नेतृत्व

मनोज जरांगे पाटील मराठा आरक्षण आंदोलन के सबसे बड़े नेता बन गए हैं। उन्होंने कई बार आंदोलन किए और सरकार को झुकने पर मजबूर किया। उनकी leadership style बहुत ही आक्रामक है और वो सीधे तौर पर सरकार को चुनौती देते हैं। उन्होंने कई बार अनशन किए और अपनी जान तक दांव पर लगा दी। इस वजह से मराठा समाज में उनकी एक अलग पहचान है और लोग उन पर भरोसा करते हैं। जरांगे पाटील की यही popularity सरकार के लिए सिरदर्द बन गई है क्योंकि वो मराठा वोटों को प्रभावित कर सकते हैं।

सरकार के लिए चुनौती

मनोज जरांगे पाटील का मुंबई कूच का एलान महाराष्ट्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। सरकार पहले से ही कई मुद्दों पर घिरी हुई है और अब मराठा आरक्षण का मुद्दा फिर से सिर उठा रहा है। सरकार के पास दो ही रास्ते हैं - या तो वो मराठा समाज को आरक्षण दे दे या फिर आंदोलन का सामना करे। अगर सरकार आरक्षण देती है तो उसे दूसरे समुदायों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है और अगर नहीं देती है तो मराठा समाज का गुस्सा भड़क सकता है। इसलिए सरकार एक दोराहे पर खड़ी है और उसे बहुत सोच समझकर फैसला लेना होगा।

मराठा समाज की भावनाएं

मराठा समाज की भावनाएं इस वक्त बहुत गर्म हैं। उन्हें लगता है कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है और आरक्षण देने का वादा पूरा नहीं किया है। मराठा youth especially नौकरियों और education में पिछड़ता जा रहा है और उन्हें लगता है कि आरक्षण मिलने से उन्हें राहत मिलेगी। इसलिए वो मनोज जरांगे पाटील के आह्वान पर मुंबई कूच के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि इस बार वो आखिरी लड़ाई लड़ेंगे और आरक्षण लेकर रहेंगे। मराठा समाज की ये जिद सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है।

राजनीतिक दलों की भूमिका

मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राजनीतिक दलों की भूमिका बहुत ही ambiguous रही है। कभी वो आरक्षण के पक्ष में बोलते हैं तो कभी पिछड़े वर्गों के दबाव में आकर चुप हो जाते हैं। अब जबकि मनोज जरांगे पाटील ने फिर से आंदोलन शुरू कर दिया है, राजनीतिक दलों पर pressure बन गया है कि वो इस मुद्दे पर साफ stand लें। opposition parties इस मौके का फायदा उठाकर सरकार पर हमला कर सकती हैं और ruling party के भीतर भी मतभेद हो सकते हैं। इसलिए राजनीतिक दलों के लिए भी ये एक बड़ी चुनौती है।

सरकार के विकल्प

महाराष्ट्र सरकार के पास अब कुछ ही विकल्प बचे हैं। पहला विकल्प है कि वो मनोज जरांगे पाटील से बातचीत करे और उन्हें आश्वासन दे कि आरक्षण दिया जाएगा। दूसरा विकल्प है कि वो आंदोलन को ignore करे और उसे हिंदू होने दें। तीसरा विकल्प है कि वो कानूनी रास्ता अपनाए और कोर्ट से आरक्षण को चैलेंज करे। लेकिन हर विकल्प के अपने risks हैं। अगर सरकार बातचीत करती है तो जरांगे पाटील की ताकत और बढ़ सकती है। अगर ignore करती है तो आंदोलन हिंदू सकता है। और अगर कानूनी रास्ता अपनाती है तो उसे लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।

जनता की प्रतिक्रिया

आम जनता इस पूरे मामले को लेकर divided है। कुछ लोग मराठा आरक्षण के पक्ष में हैं तो कुछ लोग against। पिछड़े वर्गों का कहना है कि अगर मराठाओं को आरक्षण दिया गया तो उनका quota कम हो जाएगा और उन्हें नुकसान होगा। वहीं मराठा समाज का कहना है कि उनकी आर्थिक हालत खराब है और उन्हें आरक्षण की जरूरत है। social media पर भी इस मुद्दे पर heated debate चल रही है। कुछ लोग मनोज जरांगे पाटील का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ उनकी आलोचना कर रहे हैं।

आगे की रणनीति क्या होगी

मनोज जरांगे पाटील ने 29 अगस्त को मुंबई कूच का ऐलान किया है लेकिन इससे पहले वो क्या रणनीति अपनाएंगे, ये देखना important होगा। हो सकता है कि वो सरकार के साथ कुछ बातचीत का प्रयास करें या फिर वो सीधे आंदोलन शुरू कर दें। उन्होंने कहा है कि वो शांतिपूर्ण आंदोलन करेंगे लेकिन अगर सरकार ने force का इस्तेमाल किया तो situation बिगड़ सकती है। सरकार भी अपनी तैयारियों में जुट गई है और possible agitation से निपटने के लिए security arrangements कर रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और तनाव बढ़ सकता है।

मराठा आरक्षण का भविष्य

मराठा आरक्षण का भविष्य अभी अनिश्चित है। सरकार चाहती तो है आरक्षण देने की लेकिन legal hurdles हैं। high court और supreme court ने पहले ही आरक्षण को challenge किया हुआ है और 50% की limit से ऊपर आरक्षण देना मुश्किल है। सरकार को कोई ऐसा formula ढूंढना होगा जो कानूनी रूप से मजबूत हो और मराठा समाज को satisfy कर सके। ये आसान काम नहीं है और इसमें time लग सकता है। लेकिन मनोज जरांगे पाटील time नहीं देना चाहते और वो तुरंत हल चाहते हैं।

एक कॉल टू एक्शन: अब वक्त आ गया है आवाज उठाने का!

दोस्तों, ये सिर्फ मराठा समाज का मुद्दा नहीं है, ये हर उस शख्स का मुद्दा है जो इंसाफ चाहता है। अगर आपको लगता है कि सरकार को मराठा आरक्षण देना चाहिए या नहीं देना चाहिए, तो अपनी आवाज जरूर उठाएं। social media पर अपनी राय शेयर करें। अपने local leaders से इस बारे में बात करें। अगर आप मराठा समाज से हैं तो आंदोलन में शामिल होने के बारे में सोचें। अगर नहीं हैं तो भी इस मुद्दे पर जागरूक बनें। याद रखिए, democracy में जनता की आवाज ही सबसे ताकतवर होती है। आइए, मिलकर इस आवाज को बुलंद करें और सरकार से मांग करें कि वो इस मुद्दे का न्यायसंगत हल निकाले। शेयर करें, चर्चा करें, और सच्चाई सामने लाएं!

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