MSCB घोटाला: EOW की क्लोजर रिपोर्ट से रोहित पवार के लिए राहत

MSCB घोटाले का बड़ा ट्विस्ट – क्लोजर रिपोर्ट से ED की नींव हिली?

आज की ताज़ा खबर NEWS - 22 अगस्त 2025
Author & Writer - आज की ताज़ा खबर NEWS


मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने आज एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ पैदा कर दिया है। एनसीपी के युवा विधायक रोहित पवार और पार्टी प्रमुख शरद पवार के पोते को कोर्ट ने एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानी ED के केस में बड़ी राहत दे दी है। ये राहत उन्हें MSCB घोटाले के मामले में मिली है जो सालों से सुर्खियों में बना हुआ है। असल में तो ये केस अब एक पूरा पॉलिटिकल थ्रिलर बन चुका है जहाँ हर मोड़ पर सस्पेंस बना रहता है। आज का फैसला ED के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि कोर्ट ने माना कि जिस मूल अपराध की जांच पर ED का केस टिका था, उसमें तो मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW ने पहले ही क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। और कानूनन अगर मूल केस ही ख़त्म हो जाता है तो ED का केस अपने आप ढह जाता है। यानी MSCB घोटाले का वो मामला जिसने कई बड़े नेताओं की नींद उड़ा रखी थी, अब अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँचता दिख रहा है।

क्या है MSCB घोटाले का पूरा माजरा?

MSCB यानी महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाला दरअसल चीनी मिलों से जुड़ा एक बहुत बड़ा फाइनेंसियल स्कैंडल है। आरोप तो ये लगे थे कि राज्य की कई चीनी मिलों के ऑपरेटर्स ने बैंकों से भारी भरकम लोन लिए। लेकिन उन लोनों का इस्तेमाल मिलों को चलाने में नहीं किया गया बल्कि उसे अलग अलग जगहों पर ट्रांसफर कर दिया गया और पैसों की लॉन्ड्रिंग की गई। नतीजा ये हुआ कि चीनी मिलें बंद हो गईं और बैंकों के सामने उन कर्जों का एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग असेट बनने का संकट खड़ा हो गया। इसके बाद तो कहा जाने लगा कि इन मिलों की नीलामी राजनेताओं से जुड़े लोगों को बहुत ही कम दामों पर कर दी गई। यानी एक तरह से सरकारी बैंक का पैसा सीधे कुछ खास लोगों की जेब में चला गया। MSCB घोटाले की गूंज सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी सुनाई दी थी।

रोहित पवार और बारामती एग्रो कनेक्शन पर गहराया सस्पेंस

इस MSCB घोटाले में ED ने रोहित पवार और उनकी कंपनी बारामती एग्रो को भी आरोपी बनाया था। बारामती एग्रो उन चीनी मिलों में से एक है जिन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने बैंकों का पैसा डूबाया है। दिलचस्प बात ये है कि इस मामले में रोहित पवार के अलावा उनके चाचा और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार का नाम भी आया था। ED ने अपनी जांच में दावा किया था कि लोन के रूप में लिया गया पैसा मिलों को चलाने में इस्तेमाल नहीं हुआ बल्कि उसे अलग अलग खातों में डालकर उसकी मनी लॉन्ड्रिंग की गई। इसी आधार पर ED ने रोहित पवार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी और उन्हें तलब भी किया था। लेकिन हैरानी की बात ये रही कि ED ने उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया, जिससे सस्पेंस और भी बढ़ गया कि आखिर चल क्या रहा है।

EOW की क्लोजर रिपोर्ट ने बदला खेल

अब इस पूरे MSCB घोटाले में सबसे बड़ा ट्विस्ट तब आया जब मुंबई पुलिस की EOW ने इस मामले की जांच के बाद एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। क्लोजर रिपोर्ट यानी सी समरी तब दाखिल होती है जब जांच में पता चलता है कि शुरू में लगाए गए आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं या फिर जो कथित अपराध हुआ है वो आपराधिक नहीं बल्कि सिविल नेचर का है। EOW ने तो कुछ साल पहले ही कह दिया था कि उसके पास इस MSCB घोटाले को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं हैं और इसलिए मामला बंद करने की सिफारिश की थी। लेकिन तब कई विरोध याचिकाएं दाखिल हुई थीं और ED ने भी इस बंद करने का विरोध किया था। EOW की ये क्लोजर रिपोर्ट ही आज रोहित पवार के लिए राहत का कारण बनी।

कोर्ट ने सुनाया क्या?

आज जब रोहित पवार ED के समन पर कोर्ट में पेश हुए तो स्पेशल जज एसआर नवंदर ने उन्हें एक मुचलका और वचनपत्र भरने के बाद ही रिहा कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वे मुकदमे की सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहेंगे। लेकिन कोर्ट ने अपने ऑब्जरवेशन में एक बहुत बड़ी बात कही। कोर्ट ने कहा कि ED ने भले ही चार्जशीट दाखिल की हो लेकिन मूल अपराध की जांच कर रही EOW ने तो एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। कोर्ट ने ये भी नोट किया कि इस क्लोजर रिपोर्ट पर अभी बहस बाकी है और इसलिए उसने रोहित पवार के खिलाफ ED के केस की सुनवाई के लिए अगली तारीख 8 अक्टूबर तक का वक्त दे दिया। यानी कोर्ट ने ED के केस को पूरी तरह ख़त्म तो नहीं किया लेकिन उसे एक बड़ा झटका जरूर दिया है।

ED की मुश्किलें बढ़ीं

ED ने कोर्ट में दलील दी थी कि EOW की क्लोजर रिपोर्ट उसके चार्जशीट और अपराध की आय को प्रभावित करेगी। ED के स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सुनील गोंजाल्विस ने कोर्ट से मांग की थी कि एजेंसी को EOW की क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि EOW ने तो अपनी जांच ED के इनपुट के आधार पर ही की थी। लेकिन कोर्ट ने इस मांग को साफ खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ED का हस्तक्षेप पहले ही राउंड में खारिज किया जा चुका है और अब उस पर विचार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ED को तो विरोध याचिका दाखिल करनी चाहिए थी। जज ने साफ कहा कि हाईकोर्ट में बयान दीजिए, इस कोर्ट ने आपके लिए दरवाजा बंद कर दिया है। ये ED के लिए एक बड़ी असफलता है।

राजनीतिक रोटी सेंकने का आरोप

इस पूरे MSCB घोटाले पर एक बड़ा सवाल ये भी उठता रहा है कि क्या ये सिर्फ राजनीतिक विरोध का एक हथियार है। दिलचस्प बात ये है कि EOW ने इस मामले में अब तक दो बार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है। और हैरानी की बात ये है कि हर बार ये क्लोजर रिपोर्ट तब दाखिल की गई जब अजित पवार की पार्टी राज्य की सरकार का हिस्सा थी। पहली बार जब क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हुई तो सरकार बदल गई और उसे वापस ले लिया गया और आगे की जांच का वादा किया गया। लेकिन फिर जब सरकार बदली तो 2024 में EOW ने दोबारा क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। इससे आम जनता के मन में ये शक पैदा होना लाजमी है कि क्या investigating एजेंसियां सत्ता के इशारे पर चलती हैं। क्या MSCB घोटाला सच में कोई घोटाला है या फिर सिर्फ राजनीतिक दुश्मनी का एक टूल है।

जनता के दिमाग में सवाल

आम आदमी जो इस MSCB घोटाले के बारे में सुन रहा है, उसके दिमाग में कई सवाल घूम रहे होंगे। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर सच्चाई क्या है। अगर EOW के पास कोई सबूत नहीं है तो फिर ED ने इतनी बड़ी जांच क्यों शुरू की। और अगर ED के पास ठोस सबूत हैं तो फिर EOW लगातार क्लोजर रिपोर्ट क्यों दाखिल कर रही है। क्या सच में बैंक का पैसा डूबा है या फिर ये सब सिर्फ एक नाटक है। आम जनता तो बस इतना जानती है कि कोऑपरेटिव बैंकों में उसका अपना पैसा जमा है और अगर बैंकों का पैसा डूबता है तो उसकी जमा पूंजी भी डूब सकती है। MSCB घोटाला सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं बल्कि आम मराठी मानुष की जेब से जुड़ा मामला है।

क्या होगा आगे?

अब सबकी नजरें 8 अक्टूबर पर टिकी हैं जब इस केस की अगली सुनवाई होगी। लेकिन उससे पहले 18 सितंबर को कोर्ट EOW की क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई शुरू करेगी। अगर कोर्ट EOW की क्लोजर रिपोर्ट को मंजूरी दे देती है तो फिर ED का केस अपने आप ही खत्म हो जाएगा। क्योंकि ED का केस तो EOW के मूल केस पर ही निर्भर करता है। इसलिए अगला कुछ हफ्ते इस MSCB घोटाले के लिए बहुत निर्णायक साबित होने वाले हैं। अगर ED अपना केस बचाना चाहती है तो उसे बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है। वहीं दूसरी तरफ रोहित पवार और उनके परिवार के लिए ये राहत एक बड़ी जीत की तरह है। लेकिन राजनीति की दुनिया में कुछ भी अंतिम नहीं होता, इसलिए अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि MSCB घोटाले का अंत क्या होगा।

पब्लिक इम्पैक्ट एनालिसिस

इस MSCB घोटाले का असर सिर्फ एक परिवार या एक पार्टी तक सीमित नहीं है। इसका सीधा असर आम जनता के बैंकों और कोऑपरेटिव सेक्टर पर भरोसे पर पड़ेगा। अगर जनता को लगेगा कि बड़े लोग बैंकों का पैसा डूबाकर भी बच निकलते हैं तो उनका भरोसा इस सिस्टम से उठ जाएगा। दूसरी तरफ, investigating एजेंसियों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठेंगे। क्या ED और EOW जैसी एजेंसियां सत्ता के दबाव में काम करती हैं? क्या उनकी जांच निष्पक्ष होती है? ये सवाल हर नागरिक के मन में होगा। MSCB घोटाला केस अब एक टेस्ट केस बन गया है जो ये तय करेगा कि भारत में कानून का शासन कितना मजबूत है और क्या वाकई में कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। जनता की यही उम्मीद है कि कोर्ट इस केस में निष्पक्ष फैसला सुनाएगी और सच्चाई सामने आएगी।

क्या आपको लगता है कि MSCB घोटाले में सच्चाई सामने आ पाएगी? कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं।

व्हाट्सअप Group फॉलो करो