महाराष्ट्र में भारी बारिश: फसलें बर्बाद, जानवरों की मौत

महाराष्ट्र के किसान आज अपने ही खेतों में डूबकर रह गए हैं, और सरकारी मदद अभी भी उन तक नहीं पहुँची है!

जिलों में फसलों का बड़ा नुकसान हुआ है। हजारों हेक्टेयर पर फसलें पानी में डूब गई हैं और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र के कई जिलों में लौटते मानूसन ने हड़कंप मचा दिया है। इससे बहुत ज्यादा बारिश हुई है और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। जलगांव, जालना, सोलापुर और नासिक जिलों को इस बारिश की वजह से बहुत बड़ा झटका लगा है। कई जगहों पर मूसलधार बारिश हुई है, जिससे खेतों की फसलें बह गई हैं। साथ ही शहरों में भी पानी घुसने से नागरिकों को परेशानी हुई है।

महाराष्ट्र के किसानों पर कैसा बरपा प्रकृति का कहर? 

महाराष्ट्र में किसान आज बारिश के चंगुल में फंसे हुए हैं। पिछले हफ्ते से चल रही लौटती मानूसन की बारिश ने जिलों में तबाही मचा दी है। जलगांव, जालना, सोलापुर और नासिक जैसे जिलों के किसान आज तक की अपनी सारी मेहनत पानी में डूबता हुआ देख रहे हैं। हजारों हेक्टेयर में फैली फसलें पानी में डूब गई हैं। किसानों के मुंह का निवाला पानी की तेज लहरों ने बहा दिया है। अचानक आई इस बारिश की वजह से केला, कपास, सोयाबीन और मक्का जैसी फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। किसान अब सिर्फ सरकारी मदद की उम्मीद में देख रहे हैं, लेकिन सरकार की मदद अभी तक उन तक नहीं पहुंची है।

जलगांव जिले के मुक्ताईनगर तालुका में बारिश ने मचाया तबाही 

जलगांव जिले के मुक्ताईनगर तालुका में बारिश ने सचमुच तबाही मचा दी है। करीब 7 हजार हेक्टेयर से ज्यादा इलाके की खेती की फसलों का नुकसान हुआ है। अचानक आई बारिश की वजह से केला, कपास, सोयाबीन और मक्का जैसी फसलें पानी में डूब गई हैं। इससे किसानों के मुंह का निवाला छिन गया है। मुक्ताईनगर तालुका में औसतन 67 मिमी बारिश दर्ज की गई है। इससे 35 गांव प्रभावित हुए हैं। विधायक चंद्रकांत पाटील ने मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री को इस नुकसान की जानकारी दी है, और तुरंत पंचनामा करने के आदेश दिए गए हैं। किसान अब सिर्फ सरकारी मदद की उम्मीद में देख रहे हैं, लेकिन सरकार की मदद अभी तक उन तक नहीं पहुंची है।

जालना जिले में 94 हजार हेक्टेयर पर अतिवृष्टि का झटका 

जालना जिले में भी दो दिनों से चल रही मूसलधार बारिश की वजह से 94 हजार हेक्टेयर इलाके की फसलों को झटका लगा है। इसमें कपास, सोयाबीन और अरहर जैसी फसलों का बड़ा नुकसान हुआ है। प्रशासन ने यह प्राथमिक रिपोर्ट दी है। शहर में भी कई जगह नागरिकों के घरों और दुकानों में पानी घुस गया था। साथ ही ग्रामीण इलाकों में बिजली गिरने से पांच जानवरों की मौत हो गई है। कैबिनेट मंत्री पंकजा मुंडे ने नुकसानग्रस्त इलाके का मुआयना किया है और पंचनामे के आदेश दिए हैं। किसान अब सिर्फ सरकारी मदद की उम्मीद में देख रहे हैं, लेकिन सरकार की मदद अभी तक उन तक नहीं पहुंची है।

सोलापुर में फसलें पानी में डूबी 

सोलापुर जिले में भी बारिश ने हाहाकार मचा दिया है। बार्शी तालुका के उत्तरी हिस्से से बहने वाली चांदनी नदी में बाढ़ आ गई है, जिससे मांडेगांव, कांदलगांव, देवगांव समेत 8 गांवों के हजारों हेक्टेयर की फसलें पानी में डूब गई हैं। वहीं, दक्षिण सोलापुर तालुका में हुई मूसलधार बारिश की वजह से किसानों की हालत खराब हो गई है। यहां के खेतों में तालाब जैसा माहौल हो गया है। हाथों-मुंह आई खरीफ की फसल पूरी तरह से पानी में डूब जाने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। लगातार बारिश की वजह से उड़द, अरहर, सोयाबीन और मूंग की फसलें घुटने भर पानी में होने की वजह से सड़ने लगी हैं। मंद्रूप, निंबर्गी, कंदलगांव, तिऱ्हे, पाथरी, पा कणी और तेरामैल इलाके के किसानों को इस बारिश की वजह से बहुत बड़ा झटका लगा है। इस नुकसान का तुरंत पंचनामा करके मुआवजा दिया जाए, ऐसी मांग किसान कर रहे हैं।

नासिक में स्मार्ट सिटी के काम का बुरा हाल 

नासिक में कुछ ही मिनटों की बारिश ने स्मार्ट सिटी के काम का बुरा हाल कर दिया। वाघाडी नाले से आए पानी की वजह से बुधवार के बाजार में दुकानें लगाने वाले किसानों की मारा-मारी हो गई। कई किसानों का सामान बह गया। आज भी कई किसान अपना सामान ढूंढ रहे हैं। इस घटना ने स्मार्ट सिटी के काम की गुणवत्ता को उजागर कर दिया है। किसानों के मुताबिक, सरकार ने स्मार्ट सिटी के नाम पर जो काम किया है वो सिर्फ दिखावा है और इससे प्राकृतिक पानी के रास्ते को रोका गया है। इससे बारिश का पानी ठीक तरह से बह नहीं पाता और शहर में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है।

बारिश से हुए नुकसान के प्रकार 

बारिश से हुआ नुकसान सिर्फ फसलों तक सीमित नहीं है बल्कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति पर भी गंभीर असर पड़ा है। फसलों के नुकसान के साथ-साथ खेत की मिट्टी बह गई है, खेतों के बांध टूट गए हैं, खेतों में पानी जमा हो गया है और बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। कपास, सोयाबीन, उड़द, मूंग, अरहर और मक्का जैसी फसलों पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ है। इसके अलावा, खेत की सिंचाई व्यवस्था भी खतरे में आ गई है। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम बह गया है, खेतों के कुएं पानी से भर गए हैं और किसानों को दोबारा खेती के लिए बड़ा निवेश करना पड़ेगा।

किसानों पर पड़ने वाले आर्थिक असर 

इस बारिश की वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति पर बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है। ज्यादातर किसानों ने खेती के लिए कर्ज लिया था और अब फसलें बर्बाद हो जाने से वो कर्ज चुकाना नामुमकिन हो गया है। इसके अलावा, दोबारा खेती शुरू करने के लिए जो खर्च आएगा वो भी उनके पास नहीं है। सरकार ने अगर तुरंत मदद नहीं की तो किसान आत्महत्या कर सकते हैं, ऐसी आशंका जताई जा रही है। किसानों के मुताबिक, सरकार ने सिर्फ पंचनामा करने भर का काम किया है, जबकि असली मदद अभी तक उन तक नहीं पहुंची है।

सरकारी मदद और पंचनामा योजना 

सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए पंचनामा करने के आदेश दिए हैं, लेकिन किसानों के मुताबिक, यह प्रक्रिया बहुत धीमी चल रही है। जालना जिले में कैबिनेट मंत्री पंकजा मुंडे ने पंचनामे के आदेश दिए हैं, वहीं जलगांव जिले में विधायक चंद्रकांत पाटील ने मुख्यमंत्री को नुकसान की जानकारी दी है। लेकिन, किसानों को अभी भी सरकारी मदद का इंतजार है। किसानों के मुताबिक, सरकार ने सिर्फ पंचनामा करने भर का काम किया है, जबकि असली मदद अभी तक उन तक नहीं पहुंची है।

किसानों के लिए उपाय और सलाह 

किसानों को अब बारिश से हुए नुकसान से उबरने के लिए कुछ उपाय करने होंगे। खेत का पानी उतर जाने के बाद उन्हें दोबारा खेती शुरू करने के लिए सही कदम उठाने होंगे। खेत की मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए सही खाद इस्तेमाल करनी होगी। इसके अलावा, बीमारियों पर काबू पाने के लिए दवाई का इलाज करना होगा। किसानों को सलाह दी जाती है कि वो सरकार से मदद की उम्मीद रखने के बजाय खुद के स्तर पर कुछ उपाय करें।

सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी 

किसानों के मुताबिक, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में हमेशा देरी होती है। पंचनामा होने के बाद भी मदद मिलने में महीने लग जाते हैं। कई बार मदद बहुत कम मात्रा में दी जाती है, जिससे किसानों के नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती। किसानों के मुताबिक, सरकार को लंबे समय तक चलने वाले उपाय तैयार करने चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया जा सके।

प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए किसानों की तैयारी 

किसानों को प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए पहले से ही तैयारी करनी चाहिए। खेती के तरीके में बदलाव करके वो बारिश के पानी का संग्रह कर सकते हैं। खेत की मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए सही खाद इस्तेमाल करें। इसके अलावा, खेत के पानी की निकासी व्यवस्था सुधारें। इससे भविष्य में बारिश के पानी से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

किसानों की समस्या पर सरकारी उदासीनता 

किसानों के मुताबिक, सरकार उनकी समस्या की तरफ ध्यान नहीं दे रही है। सरकार ने सिर्फ पंचनामा करने भर का काम किया है, जबकि असली मदद अभी तक उन तक नहीं पहुंची है। किसानों को डर है कि सरकार इस बार भी सिर्फ वादे करेगी और असली मदद नहीं करेगी। किसानों के मुताबिक, सरकार को कृषि क्षेत्र की तरफ गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और किसानों की भलाई के लिए सही नीतियां बनानी चाहिए।

किसानों के लिए 

किसान भाइयों, अपने खेत में हुए नुकसान की रिपोर्ट करने के लिए तुरंत राजस्व अधिकारियों से संपर्क करें। अपने गांव के सरपंच से मदद मांगें। अगर हो सके तो स्थानिक नेताओं और मीडिया को अपनी समस्या के बारे में जानकारी दें। सरकार से मदद की उम्मीद रखने के बजाय हम खुद के स्तर पर कुछ उपाय करें। खेती के तरीके में बदलाव करके भविष्य के नुकसान से निपटें। एक साथ मिलकर अपनी समस्या का सामना करें।




Public Impact Analysis: 

महाराष्ट्र में बारिश से हुए नुकसान की वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है। किसान अब सिर्फ सरकारी मदद की उम्मीद में देख रहे हैं, लेकिन सरकार की मदद अभी तक उन तक नहीं पहुंची है। सरकार को इस संकट की घड़ी में किसानों की तुरंत मदद करनी चाहिए, वरना कृषि क्षेत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है। किसानों को भी भविष्य में इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं के लिए पहले से ही तैयारी करनी चाहिए।

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