कुणबी प्रमाणपत्र की सच्चाई: 16 कागज़ात के बिना मराठा आरक्षण?

कुणबी प्रमाणपत्र की सच्चाई: क्या सचमुच 16 कागज़ात के बिना मराठा समाज को मिलेगा आरक्षण या फिर नया सियासी खेल?

Author & Writer – आज की ताज़ा खबर 

कुणबी प्रमाणपत्र विवाद: क्यों बना महाराष्ट्र का सबसे बड़ा मुद्दा

महाराष्ट्र की राजनीति हमेशा से आरक्षण की आग में जलती रही है। दलित, ओबीसी, धनगर, और अब मराठा… हर समाज अपने हक़ की लड़ाई लड़ता रहा है। लेकिन इस बार मामला और भी पेचीदा हो गया है क्योंकि सीधे-सीधे बात कुणबी प्रमाणपत्र (Kunbi Caste Certificate) की हो रही है। सरकार ने एक जीआर जारी कर मराठा समाज को कुणबी प्रमाणपत्र देकर ओबीसी में शामिल करने का रास्ता खोल दिया। लेकिन इस प्रक्रिया में ऐसे-ऐसे नियम बना दिए गए कि सामान्य मराठा परिवार के लिए ये पहाड़ चढ़ने जैसा है।

सरकार कहती है कि सिर्फ वही मराठा जिनकी वंशावली में कुणबी दर्ज है, उन्हें प्रमाणपत्र मिलेगा। इसके लिए 16 अलग-अलग कागज़ात दिखाने होंगे। अब सोचिए, एक गरीब किसान परिवार जो रोज़ कुएँ से पानी निकालकर अपना गुजारा करता है, वो कहाँ से ये सारे कागज़ जुटाएगा? यही सवाल आज गाँव-गाँव में उठ रहा है।

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जरांगे पाटील का आंदोलन: आरक्षण के लिए सड़क से सत्ता तक की लड़ाई

मनोज जरांगे पाटील का नाम अब हर गाँव में गूंज रहा है। बीड से शुरू हुआ उनका आंदोलन पूरे महाराष्ट्र में आग की तरह फैल गया। उन्होंने साफ़ कहा कि मराठा समाज को सिर्फ़ और सिर्फ़ ओबीसी में आरक्षण चाहिए। भूख हड़ताल, लंबी पदयात्रा और मुंबई में विशाल मोर्चा—जरांगे ने हर रास्ता अपनाया।

आख़िरकार सरकार को झुकना पड़ा और कुणबी प्रमाणपत्र देने का फैसला करना पड़ा। लेकिन जरांगे के समर्थक कहते हैं कि सरकार ने आधा-अधूरा समाधान दिया है। प्रमाणपत्र तो मिलेगा, लेकिन शर्तों की इतनी दीवारें खड़ी कर दी गईं कि मराठा समाज फिर से ठगा हुआ महसूस कर रहा है।

सरकार का जीआर: मराठा समाज को ओबीसी में शामिल करने का फैसला

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मिलकर जो जीआर निकाला, उसमें साफ़ लिखा गया है कि मराठा समाज के लोग अगर कुणबी साबित होते हैं तो उन्हें Kunbi Caste Certificate दिया जाएगा। इस फैसले से जरांगे समर्थक खुश तो हुए लेकिन ओबीसी समाज भड़क उठा।

ओबीसी नेताओं का कहना है कि मराठों को ओबीसी में आरक्षण देना सीधा-सीधा उनका हक़ छीनना है। जबकि सरकार कहती है कि न्याय सभी को मिलेगा। जीआर लागू होते ही बीड जिले में अजित पवार ने पाँच मराठा भाइयों को प्रतीकात्मक रूप से प्रमाणपत्र भी बाँट दिए। लेकिन असली सवाल ये है कि क्या हर गाँव का हर मराठा ये प्रमाणपत्र पा पाएगा?

16 दस्तावेजों की शर्त: क्या हर मराठा परिवार इसे पूरा कर पाएगा

कुणबी प्रमाणपत्र पाने के लिए सरकार ने 16 दस्तावेज़ों की लिस्ट बना दी है। इसमें वंशावली से लेकर खसरा नंबर तक सबकुछ शामिल है। लेकिन गाँव-गाँव में ये चर्चा छिड़ी है कि ये दस्तावेज़ जुटाना किसी मिशन से कम नहीं।

एक किसान ने कहा—“भाई साहब, मेरे बाप-दादा के नाम पर खसरा भी नहीं है, टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) तो छोड़ ही दो। तो अब मैं कुणबी कैसे साबित करूँ?” यही हकीकत है।


कुनबी प्रमाण पत्र के लिए एक-दो नहीं, बल्कि 16 दस्तावेज़ों की जाँच होती है, 8,9,10 नंबर वाला दस्तावेज़ पाना न सिर्फ़ मुश्किल है, बल्कि बेहद मुश्किल भी है..


कुनबी जाति प्रमाण पत्र: सरकार द्वारा जारी सरकारी आदेश के बाद, मराठवाड़ा के कई हिस्सों में कुनबी प्रमाण पत्रों का वितरण शुरू हो गया है। आज पाँच मराठा भाइयों को उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कुनबी प्रमाण पत्र प्रदान किए। यह देखा जा रहा है कि जरांगे की लड़ाई को बड़ी सफलता मिली है।


मराठा समुदाय के नेता मनोज जरांगे पाटिल की बड़ी लड़ाई के बाद, मराठा समुदाय को अंततः ओबीसी से आरक्षण मिल गया है। सरकार ने सीधे सरकारी आदेश जारी कर दिया। इसके साथ ही हैदराबाद राजपत्र को भी स्वीकार कर लिया गया। सरकार ने सतारा राजपत्र के फ़ैसले पर समय माँगा। जरांगे ने ज़ोर देकर कहा कि मराठवाड़ा के सभी मराठा ओबीसी में चले गए हैं। वरना, कोल्हापुर, पुणे, सतारा राज्यों के मराठा भी ओबीसी में चले गए, तो मान लेते हैं कि.. मुंबई में भूख हड़ताल के बाद जरांगे पाटिल को बड़ी सफलता मिली। सरकार ने सीधे तौर पर जरांगे की माँगों को स्वीकार करते हुए सरकारी आदेश जारी कर दिया। ऐसा देखा जा रहा है कि ओबीसी समुदाय इस सरकारी आदेश और मराठा समुदाय को ओबीसी से आरक्षण दिए जाने का कड़ा विरोध कर रहा है।


मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मैं ओबीसी समुदाय के साथ अन्याय नहीं होने दूँगा। सरकार द्वारा ओबीसी समुदाय के आरक्षण संबंधी सरकारी आदेश जारी किए जाने के बाद, उपमुख्यमंत्री और बीड के पालक मंत्री अजीत पवार द्वारा मराठवाड़ा के बीड में पाँच मराठा भाइयों को कुनबी प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कुनबी प्रमाण पत्रों का वितरण धीरे-धीरे शुरू हो गया है। अभिलेखों की खोज का काम चल रहा है। मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए कुछ दस्तावेज़ देने होंगे। 16 दस्तावेज़ों के बिना कुनबी प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया जा सकता।


-पिता का स्कूली शिक्षा प्रमाण पत्र


विद्यालय त्याग प्रमाण पत्र


-दादा का प्रमाण पत्र


-पिता का आधार


-वंशावली 1


-खसरा


-लाभार्थी का आधार


-खसरा 3


-खसरा 1


-खसरा 2


-शपथ पत्र


-34


– 33


-वंशावली जुलवानी समिति की रिपोर्ट


-ग्राम स्तरीय स्थानीय समिति की रिपोर्ट


-ग्राम स्तरीय स्थानीय समिति की रिपोर्ट


इन दस्तावेजों को पूरा करने के बाद मराठा भाइयों को कुनबी प्रमाण पत्र दिए जाएँगे। वर्तमान में, वंशावली समिति कई गाँवों में रिपोर्ट तैयार कर रही है। इसके साथ ही, वंशावली मिलान का काम भी चल रहा है। मराठवाड़ा के कई हिस्सों में कुनबी प्रमाण पत्रों का वितरण शुरू हो गया है। दूसरी ओर, मंत्री छगन भुजबल यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि ओबीसी से मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाकर ओबीसी के साथ अन्याय किया गया है। उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि हम इस संबंध में अदालत जाएँगे। क्या मराठा आरक्षण अब अदालत में टिक पाएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

वंशावळ समिति की रिपोर्ट: गाँव-गाँव में शुरू हुआ सत्यापन अभियान

सरकार ने इसके लिए वंशावळ समिति बनाई है। ये समिति गाँव-गाँव जाकर लोगों की वंशावली चेक कर रही है। पुराने रिकॉर्ड निकाले जा रहे हैं, स्कूल की टीसी देखी जा रही है, और गाँव के बुज़ुर्गों से पूछताछ हो रही है। लेकिन इस प्रक्रिया में कई गड़बड़ियाँ भी सामने आ रही हैं।

कई जगह पर रिकॉर्ड ही नहीं मिल रहे। कई स्कूलों के रजिस्टर 50 साल पहले ही खराब हो गए। तो सवाल उठता है कि फिर ऐसे लोगों का क्या होगा? क्या सिर्फ़ कागज़ न होने की वजह से उन्हें उनका हक़ नहीं मिलेगा?

सबसे मुश्किल 8, 9 और 10 नंबर के दस्तावेज: क्यों बन गए पहेली

16 दस्तावेजों में सबसे मुश्किल माने जा रहे हैं 8, 9 और 10 नंबर के दस्तावेज। ये ज़मीन से जुड़े पुराने कागज़ हैं। गाँवों में इन्हें निकालना लगभग नामुमकिन है। तहसील ऑफिस के चक्कर काट-काटकर लोग परेशान हो चुके हैं।

एक बुजुर्ग किसान ने रोते हुए कहा—“साहेब, अगर इतना ही आसान होता तो हम कब के कागज़ ले आते। सरकार ने वादा किया था आरक्षण का, लेकिन अब कागज़ की लड़ाई में हमें फिर से धकेल दिया।”

अजित पवार का पहला वितरण: बीड में पाँच मराठा परिवारों को प्रमाणपत्र

बीड के एक समारोह में अजित पवार ने पाँच मराठा परिवारों को कुणबी प्रमाणपत्र दिया। मीडिया में यह खबर खूब चली। लेकिन लोगों ने सवाल उठाया कि पाँच परिवारों को देकर सरकार पूरे समाज को कैसे शांत करेगी? लाखों परिवार आज भी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।

देवेंद्र फडणवीस की चेतावनी: “ओबीसी समाज पर अन्याय नहीं होने दूंगा”

फडणवीस ने बयान दिया कि “मराठा समाज को न्याय मिलेगा लेकिन ओबीसी समाज पर अन्याय नहीं होगा।” उनका यह बयान दोनों समाजों को साधने की कोशिश माना गया। लेकिन हकीकत यह है कि अब दोनों तरफ गुस्सा बढ़ रहा है।

छगन भुजबळ का विरोध: कोर्ट तक जाने की धमकी

एनसीपी नेता छगन भुजबळ ने साफ कहा कि यह फैसला ओबीसी समाज के साथ अन्याय है और वे कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएँगे। इससे पूरे मुद्दे में नया मोड़ आ सकता है।

पब्लिक इम्पैक्ट एनालिसिस

कुणबी प्रमाणपत्र का मुद्दा सिर्फ़ कागज़ों का झगड़ा नहीं बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति का भविष्य तय करेगा।
अगर मराठा समाज को आसानी से प्रमाणपत्र मिलते हैं तो उनका गुस्सा शांत हो सकता है। लेकिन अगर 16 दस्तावेज़ों की दीवार बनी रही तो यह आंदोलन और भड़क सकता है। ओबीसी समाज पहले से ही नाराज़ है और कोर्ट का रास्ता भी खुला है।

इसका सीधा असर आने वाले चुनावों पर पड़ेगा। गाँव-गाँव में लोगों की चर्चाओं का यही मुद्दा है और यही महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करेगा।

Call to Action

क्या आपको लगता है कि सरकार ने सही किया? क्या 16 दस्तावेज़ों की शर्त के बिना मराठा समाज को Kunbi Caste Certificate मिलना चाहिए?
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