मराठवाड़ा मुक्तीसंग्राम दिन पर मुख्यमंत्री के भाषण के दौरान ओबीसी कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए

मराठवाडा मुक्तीसंग्राम दिन पर बवाल: CM फडणवीस के भाषण के दौरान OBC कार्यकर्ताओं ने कर डाली जोरदार घोषणाबाजी, पुलिस ने दर्ज की गिरफ्तारी!

आज मराठवाडा मुक्तीसंग्राम दिन के मौके पर छत्रपती संभाजीनगर में एक ऐसी घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया जिसने राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गर्मा दिया है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के भाषण के दौरान OBC कार्यकर्ताओं ने जोरदार घोषणाबाजी करके कार्यक्रम में गड़बड़ी मचा दी। ये घटना तब हुई जब फडणवीस मराठवाडा मुक्तीसंग्राम दिन के कार्यक्रम में बोल रहे थे और तभी कुछ कार्यकर्ताओं ने अचानक काला रुमाल लहराते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीनों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया मगर इस घटना ने सियासत में नई बहस छेड़ दी है 


कैसे हुई घटना की शुरुआत

ये घटना छत्रपती संभाजीनगर में मराठवाडा मुक्तीसंग्राम दिन के कार्यक्रम के दौरान हुई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ध्वजारोहण किया और स्मृतीस्तंभ पर पुष्पचक्र अर्पण किया। जैसे ही वो भाषण देने के लिए उठे, वैसे ही कुछ OBC कार्यकर्ताओं ने काला रुमाल लहराते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने "हैदराबाद गॅझेट रद्द करो" और "छगन भुजबळ झिंदाबाद" के नारे लगाए। इससे पूरे कार्यक्रम में अफरा-तफरी मच गई और पुलिस को तुरंत हस्तक्षेप करना पड़ा 

कौन हैं ये कार्यकर्ता और क्यों कर रहे थे विरोध

पुलिस ने जिन तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है उनकी पहचान सामने आई है। रामभाऊ कोंडाजी पेरकर (70, समाजसेवक), शिवाजी बाबुराव गाडेकर (59, नौकरी), और अशोक सिंग किसन सिंग शेवगण (62, शेती) ने ये नारेबाजी की। ये सभी OBC समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और हैदराबाद गॅझेट को रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। उनका कहना है कि हैदराबाद गॅझेट की वजह से OBC आरक्षण को नुकसान पहुंच रहा है और सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। उनकी मांग है कि हैदराबाद गॅझेट को तुरंत रद्द किया जाए और OBC आरक्षण को बचाया जाए 

CM फडणवीस की तीखी प्रतिक्रिया

इस घटना पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने काफी नाराजगी जताई है। उन्होंने इसे "हुतात्म्यों का अपमान" बताया और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में नारेबाजी करना सिर्फ प्रसिद्धि पाने का तरीका है। उन्होंने कहा, "मला या गोष्टीचं अतिशय दुःख आहे. आज आपण मुक्तीसंग्राम दिनाचा कार्यक्रम करतोय. अशा कार्यक्रमांमध्ये काही लोक येतात आणि घोषणाबाजी करतात, हा खऱ्या अर्थाने मराठवाडा मुक्तीसंग्रामातील स्वातंत्रसैनिकांचा मोठा अपमान आहे. केवळ प्रसिद्धीसाठी हे केलं जातंय. मी यावर फार काही बोलणार नाही. ईश्वर त्यांना सुबुद्धी देवो." उनकी इस प्रतिक्रिया ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है 

पुलिस की त्वरित कार्रवाई और गिरफ्तारी

घटना के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीनों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि उन पर कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े इंतजाम किए जाएंगे। पुलिस ने बताया कि ये कार्यकर्ता पहले भी ऐसे प्रदर्शन कर चुके हैं और उन पर नजर रखी जा रही थी मगर आज वो कार्यक्रम में घुसने में कामयाब हो गए। पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था में चूक की बात को स्वीकार किया है और कहा है कि ऐसी गलतियां भविष्य में नहीं होंगी 

हैदराबाद गॅझेट को लेकर क्यों है विवाद

हैदराबाद गॅझेट एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से विवादों में घिरा हुआ है। OBC समुदाय का कहना है कि इस गॅझेट की वजह से उनके आरक्षण को नुकसान पहुंच रहा है और उनकी नौकरियों और शिक्षा में हिस्सेदारी कम हो रही है। हैदराबाद गॅझेट के तहत कुछ समुदायों को आरक्षण से बाहर रखा गया है जिसे OBC समुदाय अन्याय मानता है। उनकी मांग है कि इस गॅझेट को रद्द किया जाए और सभी को बराबरी का अधिकार दिया जाए। इस मुद्दे पर कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं मगर सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है 

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

इस घटना पर राजनीतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि ये घटना सरकार की विफलता को दर्शाती है। उनका कहना है कि सरकार जनता की समस्याओं को नहीं सुन रही है और लोग हताश होकर ऐसे कदम उठा रहे हैं। वहीं सत्तारूढ़ दलों ने इसे सियासी साजिश बताया है और कहा है कि विपक्ष द्वारा प्रेरित होकर ऐसी घटनाएं की जा रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना का असर आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है 

मराठवाडा मुक्तीसंग्राम दिन का इतिहास और महत्व

मराठवाडा मुक्तीसंग्राम दिन हर साल 17 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन 1948 में मराठवाडा भारत में शामिल हुआ था और निजाम की गुलामी से आजाद हुआ था। निजाम के शासन में मराठवाडा के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था और उन पर अत्याचार होते थे। स्वामी रामानंद तीर्थ जैसे नेताओं के नेतृत्व में लोगों ने आंदोलन किया और आखिरकार 17 सितंबर 1948 को मराठवाडा आजाद हुआ। इस दिन को लोग बड़े ही गर्व और सम्मान के साथ मनाते हैं और शहीदों को याद करते हैं 

OBC आरक्षण को लेकर बढ़ता असंतोष

OBC समुदाय में आरक्षण को लेकर काफी असंतोष है। उनका मानना है कि सरकार उनके हकों का हनन कर रही है और हैदराबाद गॅझेट की वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई बार प्रदर्शन और धरने हो चुके हैं मगर सरकार ने कोई खास कदम नहीं उठाया है। इसी असंतोष की वजह से आज ये घटना हुई है और कार्यकर्ताओं ने CM के भाषण के दौरान नारेबाजी की। अगर सरकार ने जल्द ही इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में और भी बड़े प्रदर्शन हो सकते हैं 

सुरक्षा व्यवस्था में चूक पर सवाल

इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कैसे कार्यकर्ता इतने बड़े कार्यक्रम में घुसने में कामयाब हो गए और सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। पुलिस ने इस मामले में चूक स्वीकार की है मगर विपक्ष इस मुद्दे को उठा रहा है और सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कार्यक्रमों में सुरक्षा के और सख्त इंतजाम होने चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके 

जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर चर्चा

सोशल मीडिया पर इस घटना ने तूफान ला दिया है। कुछ लोग कार्यकर्ताओं के समर्थन में हैं तो कुछ उनकी आलोचना कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों का कहना है कि सरकार को जनता की बात सुननी चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। कुछ लोगों ने तो हैशटैग चला कर इस मुद्दे को ट्रेंड करा दिया है और सरकार से जवाब मांग रहे हैं। सोशल मीडिया पर ये मामला काफी गर्माया हुआ है और लोग अपनी राय दे रहे हैं 

भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय

इस घटना के बाद अब सवाल ये उठता है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका कैसे जाए। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कार्यक्रमों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम होने चाहिए और हर व्यक्ति की जांच होनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि वो जनता की समस्याओं पर ध्यान दे और उनका समाधान निकाले ताकि लोग हताश न हों। अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो भविष्य में और भी बड़ी घटनाएं हो सकती हैं और स्थिति और बिगड़ सकती है 

निष्कर्ष: एक सबक के रूप में

ये घटना हम सबके लिए एक सबक है कि हमें जनता की आवाज सुननी चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वो इस घटना से सीख लें और भविष्य में ऐसी गलतियां न दोहराएं। जनता को चाहिए कि वो शांतिपूर्ण तरीकों से अपनी बात रखें और हिंसा या नारेबाजी का सहारा न लें। आखिर में यही कहा जा सकता है कि इस घटना ने सबकी आंखें खोल दी हैं और उम्मीद है कि भविष्य में ऐसा कुछ नहीं होगा। सरकार और प्रशासन को मिलकर काम करना होगा ताकि मराठवाडा का विकास हो सके और लोगों की समस्याएं दूर हो सकें 


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