PUBG की लत ने 13 साल की मासूम की जान ले ली: पिता की डांट बनी जहर

PUBG खेलने पर डांट पड़ने पर 10वीं के छात्र ने की आत्महत्या

Author & Writer: आज की ताज़ा खबर NEWS - 23 अगस्त 2025
माता-पिता बच्चे को अस्पताल ले गए जहां मंगलवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

ये कहानी है एक ऐसे मासूम बच्चे की जिसकी जिंदगी का आखिरी दिन एक मोबाइल गेम की वजह से आया। Telangana के Nirmal district के Bhainsa में रहने वाले 13 साल के Rishendra ने खुदकुशी कर ली। वजह? उसके पिता ने उसे PUBG Addiction के लिए डांट दिया था। ये सुनने में भले ही आम लगे लेकिन इसके पीछे छुपा है एक गहरा सच जो हम सभी को झकझोर कर रख देगा।

कौन था Rishendra और कैसे शुरू हुआ सबकुछ

Rishendra एक होनहार class 9 का student था। उसके पिता Bhatti Santosh हैदराबाद के रहने वाले हैं और अभी Bhainsa में एक छोटा सा business चलाते हैं। पिछले कुछ महीनों से Rishendra PUBG नाम के online game में इस कदर डूब गया था कि उसे अपनी पढ़ाई और घर की कोई चिंता ही नहीं रह गई थी। वो दिन के 10-12 घंटे सिर्फ इसी game को खेलता रहता था और school जाने से भी कतराने लगा था।

माता-पिता ने की हर कोशिश लेकिन कुछ नहीं हुआ

जब Rishendra का addiction बढ़ता गया तो उसके माता-पिता ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की। उसे psychiatrist के पास भी ले गए लेकिन doctor की counseling का भी उस पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टा उसने doctor को ही threaten कर दिया था। ये सब देखकर माता-पिता का दिल टूट गया होगा लेकिन वो कुछ कर भी नहीं सकते थे।

आखिरकार पिता ने डांटा और वो भी किस तरह

बुधवार के दिन जब Rishendra फिर से PUBG खेल रहा था तो उसके पिता Bhatti Santosh ने उसे डांट दिया। उन्होंने उससे कहा कि वो पढ़ाई पर ध्यान दे ना कि game पर। ये डांट Rishendra से सहन नहीं हुई। उसे लगा कि उसकी दुनिया खत्म हो गई है क्योंकि game ही उसकी जिंदगी बन चुका था। उसने वही किया जो एक addicted व्यक्ति करता है, उसने extreme step लेने का फैसला कर लिया।

अगले दिन कमरे में मिला उसका शव

जब Rishendra ने खुदकुशी की तो घर वालों को पता भी नहीं चला। अगले दिन जब उसका कमरा खोला गया तो वहां का नजारा देखकर सबकी सांसें अटक गईं। उनका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा था। सिर्फ एक डांट ने उसकी जिंदगी ले ली? नहीं, असल में उसकी जिंदगी तो PUBG Addiction ने ले ली थी, डांट तो just एक trigger थी।

पुलिस ने दर्ज किया मामला, चल रही है जांच

Bhainsa police ने इस case को register किया है और investigation शुरू कर दी है। police का कहना है कि वो mobile phone को forensic जांच के लिए भेज सकते हैं ताकि पता चल सके कि आखिर वो क्या चीज थी जिसने इस मासूम को suicide तक पहुंचा दिया। हालांकि case दर्ज होने से मरने वाला तो वापस नहीं आएगा लेकिन शायद society के सामने एक सबक जरूर आएगा।

Uttar Pradesh में भी हुआ ऐसा ही एक case

ये कोई अकेला मामला नहीं है। ठीक इसी तरह Uttar Pradesh के Lucknow में एक 18 साल के class 12 के student ने भी खुदकुशी कर ली। उसने suicide note में लिखा था कि उसे online gaming की लत लग गई है और उसे डर है कि gambling elements की वजह से उसके family को financial loss होगा। ये cases बताते हैं कि online gaming addiction कितनी खतरनाक होती जा रही है।

सरकार ने बनाया नया law लेकिन क्या ये काफी है?

इन सबके बीच Parliament ने एक नया law पास किया है जो online money games पर ban लगाता है। government का कहना है कि इस law से young players safe रहेंगे और eSports को promote मिलेगा। लेकिन सवाल ये है कि क्या सिर्फ law बना देने से सब ठीक हो जाएगा? जब तक parents और teachers जागरूक नहीं होंगे तब तक ऐसे cases होते रहेंगे।

PUBG Addiction भारत में बन रही है जानलेवा बीमारी

ये पहला मामला नहीं है जहां PUBG Addiction ने किसी की जान ली हो। पहले भी Bihar में तीन किशोर train की पटरी पर बैठकर game खेल रहे थे और train के आने का पता ही नहीं चला। वो सभी मारे गए। Hyderabad में एक cab driver गाड़ी चलाते हुए PUBG खेल रहा था और passenger ने उसका video बना डाला। ये सभी cases बताते हैं कि ये addiction कितना खतरनाक है।

माता-पिता की मजबूरी क्या है?

आज के दौर में माता-पिता अपने बच्चों को smartphone इसलिए देते हैं ताकि वो online classes attend कर सकें या study related काम कर सकें। लेकिन बच्चे games और social media में उलझ जाते हैं। शुरू में parents इसे ignore कर देते हैं लेकिन जब addiction बढ़ जाता है तो situation control से बाहर हो जाती है। Rishendra के case में भी यही हुआ।

School और Teachers की भूमिका क्या होनी चाहिए?

Schools को चाहिए कि वो बच्चों को digital safety के बारे में जागरूक करें। Teachers को बच्चों के behaviour पर नजर रखनी चाहिए। अगर कोई बच्चा class में absent रहने लगे या उसका performance गिरने लगे तो तुरंत parents को inform करना चाहिए। Prevention ही इसका सबसे बड़ा इलाज है।

Psychologists क्या कहते हैं इस बारे में?

Mental health experts का मानना है कि PUBG Addiction एक serious psychological disorder है। इसमें बच्चा virtual achievements को real life से ज्यादा importance देने लगता है। उसे लगता है कि game में level up करना, kills करना ही उसकी सबसे बड़ी जीत है। इस addiction से बाहर निकालने के लिए therapy और family support बहुत जरूरी है।

Society के लिए क्या है सबक?

इस घटना ने समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या technology हमारी जिंदगी को आसान बना रही है या हमें उसका गुलाम बना रही है? हमें अपने बच्चों को समझाना होगा कि mobile games सिर्फ entertainment का साधन हैं, जिंदगी नहीं। Real life में relationships, studies और career ज्यादा important हैं।

PUBG Addiction से कैसे बचाएं अपने बच्चों को?

अगर आपका बच्चा भी ज्यादा वक्त mobile पर बिता रहा है तो सतर्क हो जाएँ। उसके साथ quality time spend करें, outdoor activities के लिए encourage करें। उसकी daily routine set करें और screen time की limit तय करें। अगर addiction ज्यादा है तो तुरंत psychologist से संपर्क करें।

Government को क्या action लेना चाहिए?

सरकार को चाहिए कि वो strict guidelines जारी करे कि कोई भी game company addictive features ना डालें। Game खेलने का वक्त fix होना चाहिए और age restriction को seriously follow किया जाना चाहिए। साथ ही, digital wellness पर schools में workshops हों।

आखिर में क्या है हमारी responsibility?

हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने आसपास के लोगों को जागरूक करें। अगर कोई बच्चा या बड़ा किसी game की लत में फंसा दिखे तो उसकी मदद करें। थोड़ी सी सचेतकता किसी की जिंदगी बचा सकती है। Rishendra की मौत एक चेतावनी है, इसे नजरअंदाज ना करें।

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