PUBG Addiction: मासूम की मौत, माता-पिता का दिल तोड़कर सुसाइड

PUBG के आदी 10वीं के छात्र ने माता-पिता द्वारा फोन छीन लिए जाने पर आत्महत्या कर ली

खेल खेले बिना जीवन का सामना न कर पाने के कारण ऋषेन्द्र ने आत्महत्या कर ली।

ये कहानी है एक ऐसे मासूम बच्चे की जिसकी जिंदगी की आखिरी सांसें एक मोबाइल गेम के नशे में खत्म हो गईं। Telangana के Nirmal district में एक होनहार क्लास 10 के स्टूडेंट Beti Rishendra ने खुदकुशी कर ली, सिर्फ और सिर्फ इसलिए क्योंकि उसके माँ-बाप ने उसका फोन छीन लिया था। जी हाँ, ये सच है और इस सच ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। ये PUBG Addiction का वो खौफनाक सच है जो अब एक सनसनीखेज ट्रैजडी बन चुका है।

क्या वाकई एक गेम इतना खतरनाक हो सकता है?

अगर आपको लगता है कि मोबाइल गेम्स सिर्फ मनोरंजन का जरिया हैं तो आप गलत हैं। ये गेम अब एक ऐसा जानलेवा जुनून बनते जा रहे हैं जो नौजवानों की जिंदगी को अपनी चपेट में ले रहा है। Beti Rishendra की कहानी इसी PUBG Addiction की दर्दनाक मिसाल है। वो रोजाना 10 घंटे से ज्यादा वक्त इसी गेम में बिताता था, यहाँ तक कि स्कूल जाना भी छोड़ दिया था।

माँ-बाप की बात भी नहीं सुनी, डॉक्टर को भी दी धमकी

जब बच्चे का व्यवहार बदलने लगा तो माता-पिता ने उसे हैदराबाद के एक psychiatrist के पास ले गए। डॉक्टर ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन Rishendra पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टा उसने डॉक्टर को ही धमकी दे डाली। ये सुनकर तो उसके परिवार वाले और भी ज्यादा परेशान हो गए। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनका बेटा इतना Aggressive हो सकता है।

आखिरकार माता-पिता ने फोन छीन लिया

हर तरफ से निराश होकर माँ-बाप ने तीन दिन पहले उसका स्मार्टफोन जब्त कर लिया। उन्हें लगा था कि इससे उनका बेटा होश में आएगा और पढ़ाई पर ध्यान देगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बिना PUBG के वो खुद को अधूरा महसूस करने लगा। उसकी दुनिया ही सिमटकर एक गेम तक रह गई थी, और जब वो भी छिन गया तो उसने अपनी जिंदगी तक खत्म करने का फैसला कर लिया।

अगले ही दिन मिला बेटे का शव

जिस कमरे में वो रोज PUBG खेला करता था, उसी कमरे में उसने खुद को फाँसी लगा ली। जब माँ-बाप ने दरवाजा खोला तो उनकी दुनिया ही उजड़ गई। उनका होनहार बेटा, जिसके सपने देखने शुरू ही हुए थे, वो इस दुनिया में नहीं रहा। ये दृश्य इतना दर्दनाक था कि पड़ोसी भी रो पड़े। PUBG Addiction ने एक और जान ले ली थी।

PUBG Addiction के चलते ये पहला केस नहीं है

ये कोई पहली घटना नहीं है जहाँ PUBG Addiction ने किसी की जान ले ली हो। कुछ महीने पहले Bihar के West Champaran में तीन किशोर ट्रेन की पटरियों पर बैठकर इसी गेम को खेल रहे थे। Earphone लगे होने की वजह से उन्हें पीछे से आ रही ट्रेन का आवाज ही नहीं सुनाई दिया और वो सभी की सभी ट्रेन की चपेट में आ गए। उनकी मौत हो गई।

ड्राइविंग करते हुए भी खेल रहा था PUBG

Hyderabad में एक cab driver का वीडियो सामने आया था जो गाड़ी चलाते वक्त PUBG खेल रहा था। पीछे बैठे passenger ने ये वीडियो बनाया था। उसमें दिख रहा था कि ड्राइवर एक हाथ से steering संभाल रहा है और दूसरे हाथ से mobile पर game। कई बार तो वो दोनों हाथों से game खेलने लगता था, जिससे सड़क पर उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं था। ये सच में बहुत खतरनाक है।

क्या है PUBG Addiction जिसने बढ़ाए हैं सुसाइड के cases?

PUBG Addiction एक mental disorder की तरह है जिसमें इंसान को हर वक्त game खेलने की तलब लगी रहती है। अगर वो game नहीं खेल पाता है तो उसे anxiety होने लगती है, गुस्सा आता है और depression जैसे symptoms दिखाई देते हैं। ये addiction धीरे-धीरे इतना गहरा हो जाता है कि इंसान real world और virtual world का फर्क भूलने लगता है।

Government ने कई बार ban लगाने की कोशिश की

भारत सरकार ने PUBG जैसे games पर पहले भी ban लगाया था, लेकिन कुछ समय बाद ये game दोबारा launch हो गया। अब इसे BGMI के नाम से जाना जाता है। लेकिन इसके बावजूद इसकी लत कम नहीं हुई है। Parents और experts का मानना है कि government को इस तरह के games पर पूरी तरह से ban लगा देना चाहिए।

Parents की क्या गलती है इस मामले में?

ज्यादातर मामलों में माता-पिता अपने बच्चों को smartphone देते हैं ताकि वो पढ़ाई में उनकी मदद कर सकें, लेकिन बच्चे games और social media में उलझ जाते हैं। शुरुआत में parents इसको गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन जब addiction बढ़ जाता है तो स्थिति control से बाहर हो चुकी होती है। Rishendra के केस में भी यही हुआ।

Schools और Teachers की क्या responsibility है?

आजकल स्कूलों में online classes की वजह से बच्चों के हाथ में smartphone आ गया है। Teachers को चाहिए कि वो बच्चों को digital safety के बारे में educate करें। साथ ही, अगर किसी बच्चे का behaviour change दिखे तो तुरंत parents को inform करना चाहिए। Prevention ही इसका सबसे बड़ा इलाज है।

Psychologists क्या कहते हैं इस बारे में?

Mental health experts का मानना है कि PUBG Addiction एक serious psychological disorder है। इसमें बच्चा virtual achievements को real life से ज्यादा importance देने लगता है। उसे लगता है कि game में level up करना, kills करना ही उसकी सबसे बड़ी जीत है। इस addiction से बाहर निकालने के लिए therapy और family support बहुत जरूरी है।

Society के लिए क्या है सबक?

इस घटना ने समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या technology हमारी जिंदगी को आसान बना रही है या हमें उसका गुलाम बना रही है? हमें अपने बच्चों को समझाना होगा कि mobile games सिर्फ entertainment का साधन हैं, जिंदगी नहीं। Real life में relationships, studies और career ज्यादा important हैं।

PUBG Addiction से कैसे बचाएं अपने बच्चों को?

अगर आपका बच्चा भी ज्यादा वक्त mobile पर बिता रहा है तो सतर्क हो जाएँ। उसके साथ quality time spend करें, outdoor activities के लिए encourage करें। उसकी daily routine set करें और screen time की limit तय करें। अगर addiction ज्यादा है तो तुरंत psychologist से संपर्क करें।

Government को क्या action लेना चाहिए?

सरकार को चाहिए कि वो strict guidelines जारी करे कि कोई भी game company addictive features ना डालें। Game खेलने का वक्त fix होना चाहिए और age restriction को seriously follow किया जाना चाहिए। साथ ही, digital wellness पर schools में workshops हों।

आखिर में क्या है हमारी responsibility?

हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने आसपास के लोगों को जागरूक करें। अगर कोई बच्चा या बड़ा किसी game की लत में फंसा दिखे तो उसकी मदद करें। थोड़ी सी सचेतकता किसी की जिंदगी बचा सकती है। Beti Rishendra की मौत एक चेतावनी है, इसे नजरअंदाज ना करें।

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