महाराष्ट्र के जालना में इस बार गणेशोत्सव में एक अनोखी और हैरान कर देने वाली घटना देखने को मिल रही है।
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| चांदी और सोने से तैयार की गई गणपति बप्पा की मूर्ति |
श्री अनोखा गणेश मंदिर ने जो गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित की है उसे देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबा रहा है। यह मूर्ति अपने आप में बहुत ही खास और अनोखी है क्योंकि इसे 108 किलो चांदी और सोने की परत से सजाया गया है। इसकी कीमत लगभग 2 करोड़ रुपये बताई जा रही है जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
इस भव्य और आकर्षक गणपति मूर्ति के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार उमड़ रही है।
लोग दूर-दूर से इस अनोखी मूर्ति के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं और बप्पा का आशीर्वाद ले रहे हैं। मूर्ति की खूबसूरती और चमक देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो रहा है। यह गणपति मूर्ति न केवल आस्था का प्रतीक बन गई है बल्कि कलात्मकता का भी एक बेहतरीन नमूना है।
इस गणपति मूर्ति को तैयार करने में जो सामग्री use की गई है वह है 108 किलो चांदी और सोने की परत।
यह मूर्ति अपने आप में एक कीमती और दुर्लभ कृति है। इतनी बड़ी मात्रा में चांदी और सोने का use करके बनाई गई मूर्ति शायद ही कहीं और देखने को मिलती हो। इसकी चमक और बनावट हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रही है।
गणपति मूर्ति की कीमत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे तैयार करने में लगभग 2 करोड़ रुपये का खर्च आया है।
यह रकम आम लोगों के लिए एक सपने जैसी है लेकिन भक्ति और आस्था के आगे यह रकम भी कोई मायने नहीं रखती। मंदिर प्रशासन ने इस मूर्ति को तैयार करवाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है।
इस गणपति मूर्ति को तैयार करने का श्रेय बुलढाणा जिले के खामगांव के चांदी व्यापारी विश्वकर्मा जांगड़ को जाता है।
उन्होंने अपनी कलात्मकता और मेहनत से इस खूबसूरत मूर्ति को तैयार किया है। उनकी इस कला ने न केवल लोगों का दिल जीत लिया है बल्कि उन्हें एक अलग पहचान भी दिलाई है। यह गणपति मूर्ति उनकी कला का एक बेहतरीन नमूना है।
श्री अनोखा गणेश मंडल हर साल अपनी अनोखी और नवीनतम गणपति मूर्तियों के लिए जाना जाता है।
इस साल भी उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी और एक बार फिर से सबको चौंका दिया है। उनकी इस initiative की हर तरफ तारीफ हो रही है और लोग बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। यह मंडल अपनी इस परंपरा को हर साल नए अंदाज में आगे बढ़ा रहा है।
इस गणपति मूर्ति की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
मूर्ति की कीमत और महत्व को देखते हुए मंडल प्रशासन ने 4 से 5 गार्ड्स को 24 घंटे तैनात किया है ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी को रोका जा सके। श्रद्धालु भी बिना किसी डर के आराम से दर्शन कर पा रहे हैं।
गणपति मूर्ति की खूबसूरती और आकर्षण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग घंटों लाइन में लगकर दर्शन कर रहे हैं।
कुछ लोग तो बार-बार दर्शन करने आ रहे हैं ताकि
मंडल के अध्यक्ष जगदीश भरतिया ने बताया कि हर साल वे एक नई concept के साथ गणपति की मूर्ति स्थापित करते हैं।
इस साल उन्होंने चांदी और सोने की मूर्ति बनाने का फैसला किया ताकि लोगों को कुछ अलग और अनोखा देखने को मिले। उनका यह फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ है और लोगों ने इसे बहुत पसंद किया है।
इस गणपति मूर्ति ने सोशल मीडिया पर भी धूम मचा रखी है।
लोग इसकी तस्वीरें और वीडियोस शेयर कर रहे हैं और इसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर इसने एक ट्रेंड बना लिया है और हर कोई इसके बारे में बात कर रहा है। यह मूर्ति वायरल हो चुकी है और लोग इसे देखने के लिए उत्सुक हैं।
जालना और आसपास के इलाकों के लोग इस गणपति मूर्ति के दर्शन के लिए उमड़ पड़े हैं।
उत्सव का माहौल पूरे शहर में देखने को मिल रहा है और लोग खुशी और उत्साह के साथ इसमें हिस्सा ले रहे हैं। यह मूर्ति न केवल आस्था का केंद्र बन गई है बल्कि शहर की शान भी बन गई है।
इस गणपति मूर्ति की बनावट और डिजाइन भी बहुत ही आकर्षक और मनमोहक है।
हर एक detail पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि मूर्ति और भी खूबसूरत और realistic लगे। कलाकार की मेहनत और लगन साफ दिखाई दे रही है और उन्होंने अपना पूरा ज्ञान और कौशल इस मूर्ति में झोंक दिया है।
गणपति उत्सव के दौरान इस मूर्ति के दर्शन का अनुभव हर किसी के लिए यादगार और खास हो रहा है।
लोग इसे देखकर हैरान हैं और बार-बार दर्शन करने आ रहे हैं। यह मूर्ति न केवल आस्था बल्कि कला का भी एक बेहतरीन नमूना है जिसे हर कोई सराह रहा है।
इस गणपति मूर्ति ने जालना को एक नई पहचान दिलाई है और लोगों के दिलों में एक खास जगह बना ली है।
आने वाले सालों में भी लोग इस मूर्ति को याद करेंगे और इसकी खूबसूरती की तारीफ करेंगे। यह मूर्ति हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेगी।
🙏 FAQ — जालना की चांदी और सोने की गणेश मूर्ति (2025)
Q1: यह अनोखी गणेश मूर्ति कहां स्थापित की गई है?
A: यह मूर्ति महाराष्ट्र के जालना जिले के श्री अनोखा गणेश मंदिर में स्थापित की गई है।
Q2: इस गणेश मूर्ति की खासियत क्या है?
A: मूर्ति को 108 किलो चांदी और सोने की परत से सजाया गया है। इसकी कीमत लगभग 2 करोड़ रुपये आंकी गई है।
Q3: इस गणेश मूर्ति को किसने बनाया है?
A: बुलढाणा जिले के खामगांव के प्रसिद्ध चांदी व्यापारी और कलाकार विश्वकर्मा जांगड़ ने इसे तैयार किया है।
Q4: गणेशोत्सव में यह मूर्ति क्यों चर्चा में है?
A: इसकी अनोखी बनावट, भव्य चमक और कीमती धातुओं के इस्तेमाल के कारण यह मूर्ति श्रद्धालुओं और सोशल मीडिया दोनों जगह पर चर्चा का विषय बनी हुई है।
Q5: इस मूर्ति की सुरक्षा के लिए क्या इंतज़ाम किए गए हैं?
A: मूर्ति की कीमत और महत्व को देखते हुए 4–5 गार्ड्स को 24 घंटे तैनात किया गया है ताकि श्रद्धालु बिना किसी डर के दर्शन कर सकें।
Q6: इस मूर्ति को तैयार करने में कितना खर्च आया?
A: इसे तैयार करने में करीब 2 करोड़ रुपये का खर्च आया है।
Q7: इस मूर्ति के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की क्या प्रतिक्रिया है?
A: श्रद्धालु मूर्ति की खूबसूरती और भव्यता देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं। लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आ रहे हैं और बार-बार दर्शन कर रहे हैं।
Q8: सोशल मीडिया पर इस मूर्ति की क्या स्थिति है?
A: मूर्ति की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं। यह एक ट्रेंड बन चुका है और हर कोई इसकी तारीफ कर रहा है।
Q9: श्री अनोखा गणेश मंडल हर साल क्यों खास माना जाता है?
A: यह मंडल हर साल नई और अनोखी अवधारणाओं के साथ गणपति मूर्ति स्थापित करता है। इस साल चांदी और सोने की मूर्ति ने सबको चौंका दिया है।
Q10: इस मूर्ति का सामाजिक और आर्थिक असर क्या है?
A: इसने स्थानीय पर्यटन, व्यापार और होटल उद्योग को बढ़ावा दिया है। साथ ही, समाज में गौरव और एकता की भावना भी मजबूत हुई है।
सार्वजनिक प्रभाव विश्लेषण (Public Impact Analysis)
इस भव्य गणपति मूर्ति का सार्वजनिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसने न केवल आस्था और भक्ति की नई लहर पैदा की है बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा दिया है। दूर-दूर से लोग जालना पहुंच रहे हैं, जिससे स्थानीय व्यवसायों और होटल उद्योग को फायदा हो रहा है। सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा ने शहर को national spotlight में ला दिया है। कला और संस्कृति के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है और समुदाय में एक नया उत्साह और गर्व की भावना पैदा हुई है। यह मूर्ति सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक कला का अद्भुत संगम है जिसने सामाजिक एकता और धार्मिक सद्भाव को मजबूत किया है।
