हैदराबाद गजट: जरांगे पाटिल का सबसे बड़ा हथियार कैसे बना?

मराठा आरक्षण पर हैदराबाद गजट का जादू: जरांगे के अनशन ने फडणवीस सरकार को झुकाया, अब मिलेगा OBC का दर्जा!

मराठा आरक्षण की मांग को फडणवीस सरकार ने माना

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आया है और मराठा आरक्षण का सवाल एकबार फिर से सुर्खियों में है। मनोज जरांगे के पांच दिन के अनशन के आगे फडणवीस सरकार ने घुटने टेक दिए और मराठा समाज को आरक्षण देने का रास्ता साफ कर दिया है। और इस सारे मामले का सबसे दिलचस्प पहलू है एक पुराना दस्तावेज, जिसका नाम है 'हैदराबाद गजट'। यही वो जादुई चाबी है जिसने मराठा आरक्षण का ताला खोल दिया है। तो आखिर ये हैदराबाद गजट क्या है? कैसे एक सौ साल पुराने कागजात ने आज की सरकार को अपना फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया? चलिए, पूरी कहानी समझते हैं।

मनोज जरांगे का अनशन जब पांचवे दिन में पहुंचा तो मुंबई का मौसम भी गर्म होने लगा था। सरकार और आंदोलनकारियों के बीच की बातचीत तेज हो गई थी। और फिर अचानक वो मोड़ आया जिसका सबको इंतजार था। महाराष्ट्र सरकार ने जरांगे की आठ में से छह मांगों को मान लिया। सबसे बड़ी बात ये हुई कि सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए 'हैदराबाद गजट' को मान्यता देने का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही जरांगे ने अपना अनशन तोड़ दिया और एक नया इतिहास रच दिया।

असल में मनोज जरांगे की सबसे बड़ी मांग यही थी कि सरकार पुराने 'हैदराबाद गजट' को प्रमाण मानकर मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठा समाज को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र दे। कुनबी जाति महाराष्ट्र की OBC यानी अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल है। इसलिए अगर मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी का दर्जा मिल जाता है, तो उन्हें automatically OBC आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा। और यही काम हैदराबाद गजट के जरिए हो गया है।

तो सवाल यह उठता है कि आखिर ये 'हैदराबाद गजट' है क्या?

दरअसल, हैदराबाद गजट कोई नई चीज नहीं है। ये आजादी से पहले के जमाने का एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। जब हैदराबाद पर निजाम का शासन हुआ करता था, तब उनकी सरकार ने सन 1918 में एक आधिकारिक गजट जारी किया था। इसे ही 'हैदराबाद गजट' कहा जाता है। इस गजट में उस समय की हैदराबाद रियासत की पूरी जानकारी दर्ज थी। इसमें जनसंख्या, अलग-अलग जातियां, उनके काम, खेती-बाड़ी, और सामाजिक हैसियत के बारे में विस्तार से लिखा गया था।

इसी 'हैदराबाद गजट' में एक खास बात ये लिखी गई थी कि मराठवाड़ा इलाके की कुनबी जाति को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा माना जाए। उस वक्त मराठवाड़ा हैदराबाद रियासत का ही एक हिस्सा हुआ करता था। जरांगे का कहना है कि उस जमाने में मराठा और कुनबी में कोई फर्क नहीं समझा जाता था। दोनों एक ही थे। खेती करने वाले मराठा समुदाय के लोगों को ही कुनबी कहा जाता था। और चूंकि कुनबी को पिछड़ा माना गया था, इसलिए मराठा भी पिछड़े ही हैं।

मनोज जरांगे लंबे समय से ये दावा करते आए हैं कि हैदराबाद गजट को आधार बनाकर मराठा समाज को OBC का दर्जा दिया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि इतिहास इस बात का गवाह है कि मराठा हमेशा से एक किसान समुदाय रहा है और उसे सामाजिक तौर पर पिछड़ा ही माना जाता था। हैदराबाद गजट में इस बात का साफ जिक्र है कि मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण दिया जाए।

फडणवीस सरकार ने आखिरकार जरांगे की इसी मांग को स्वीकार कर लिया है। सरकार ने एक सरकारी आदेश (Government Resolution - GR) जारी करके कहा है कि अब 'हैदराबाद गजट' को वैध सबूत माना जाएगा। मतलब अगर कोई व्यक्ति मराठवाड़ा या पश्चिम महाराष्ट्र से है और वो अपने आप को कुनबी साबित करना चाहता है, तो वो हैदराबाद गजट के दस्तावेजों का हवाला दे सकता है। सन 1900, 1902, 1918, 1923, 1926, 1928 और 1948 में जारी अधिसूचनाएं अब प्रमाण के तौर पर काम आएंगी।

इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि अब मराठवाड़ा के मराठा समुदाय के लोग OBC आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे। उन्हें शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में OBC कोटे के तहत आरक्षण मिलेगा। हालांकि, ये प्रक्रिया इतनी आसान भी नहीं है। हर व्यक्ति को अलग से आवेदन करना होगा और साबित करना होगा कि वो कुनबी जाति से ताल्लुक रखता है। हैदराबाद गजट उसे ऐसा करने में मदद करेगा।

लेकिन एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या पूरे महाराष्ट्र के सभी मराठा लोगों को ये फायदा मिल पाएगा? फिलहाल तो ऐसा नहीं लगता। सरकार ने साफ किया है कि ये सुविधा सिर्फ मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के उन्हीं मराठा लोगों के लिए है, जो हैदराबाद गजट के दायरे में आते हैं। विदर्भ, उत्तरी महाराष्ट्र और कोंकण के मराठा लोगों के लिए अभी कोई ऐसा प्रावधान नहीं है। सरकार का कहना है कि ये मामला कानूनी और तकनीकी रूप से काफी जटिल है और इसमें कम से कम दो महीने का वक्त लगेगा।

दरअसल, महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की पहचान को लेकर हमेशा से ही एक उलझन रही है। कुछ इलाकों में मराठा खुद को एक अगड़ी और योद्धा जाति मानते हैं, जबकि कुछ इलाकों में वो खुद को किसान समुदाय यानी कुनबी का हिस्सा मानते आए हैं। हैदराबाद गजट इसी दूसरे पक्ष को मजबूती देता है। यही वजह है कि मनोज जरांगे लगातार इस ऐतिहासिक दस्तावेज को आधार बना रहे थे।

फडणवीस सरकार के इस फैसले का मराठा समुदाय पर क्या असर होगा?

 इसका सबसे बड़ा असर तो शिक्षा और रोजगार के मौकों पर दिखेगा। मराठवाड़ा के हजारों युवाओं को अब OBC आरक्षण का फायदा मिल सकेगा। उन्हें कॉलेजों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा। इससे उस इलाके के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में एक बड़ा बदलाव आ सकता है।

लेकिन हर फैसले के साथ कुछ चुनौतियां भी आती हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो ये होगी कि आवेदन प्रक्रिया को सही तरीके से कैसे manage किया जाए। अभी से ही करीब 8 लाख आपत्तियां दर्ज हो चुकी हैं। इन सभी को देखने और निपटाने में काफी वक्त लगेगा। दूसरी चुनौती ये है कि दूसरे समुदायों की प्रतिक्रिया क्या होगी? OBC समुदाय के कुछ लोगों में ये भय है कि मराठा समुदाय के आने से उनके आरक्षण के हिस्से पर असर पड़ेगा।

राजनीतिक नजरिये से देखें तो फडणवीस सरकार का ये फैसला एक स्मार्ट मूव है। मराठा समुदाय महाराष्ट्र की राजनीति में एक बहुत बड़ा वोट बैंक है। उन्हें खुश करके सरकार ने अगले चुनावों के लिए अपनी जमीन तो मजबूत कर ही ली है। साथ ही, मनोज जरांगे जैसे आंदोलनकारी को शांत करके राज्य में शांति बनाए रखने में भी कामयाबी मिली है।

आखिर में, ये कहानी सिर्फ एक आरक्षण की नहीं है। ये कहानी है इतिहास की ताकत की। हैदराबाद गजट जैसा एक पुराना दस्तावेज, जो शायद ही किसी को याद था, आज एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक बदलाव की वजह बन गया। इसने दिखा दिया कि अतीत के पन्ने भविष्य की दिशा तय कर सकते हैं। अब देखना ये है कि ये नया रास्ता महाराष्ट्र को किस ओर लेकर जाता है।

मराठा आरक्षण और हैदराबाद गजट पर FAQ

❓ Q1: मराठा आरक्षण आंदोलन क्यों हुआ?

👉 मराठा समुदाय लंबे समय से शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा था। मनोज जरांगे के नेतृत्व में हुए आंदोलन ने सरकार को ये मांग मानने पर मजबूर किया।

❓ Q2: हैदराबाद गजट क्या है?

👉 हैदराबाद गजट 1918 में निजाम शासन के दौरान जारी एक आधिकारिक दस्तावेज है। इसमें मराठवाड़ा क्षेत्र की जातियों, उनके पेशे और सामाजिक स्थिति का उल्लेख है। इसमें मराठा/कुनबी किसानों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा माना गया था।

❓ Q3: जरांगे की मुख्य मांग क्या थी?

👉 उनकी मांग थी कि हैदराबाद गजट को प्रमाण मानकर मराठा समाज को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र दिया जाए ताकि उन्हें OBC आरक्षण का लाभ मिल सके।

❓ Q4: सरकार ने क्या फैसला लिया?

👉 फडणवीस सरकार ने घोषणा की है कि हैदराबाद गजट (1900–1948 के बीच के दस्तावेज) को वैध प्रमाण माना जाएगा। मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठा लोग इसका उपयोग OBC आरक्षण पाने के लिए कर सकेंगे।

❓ Q5: क्या पूरे महाराष्ट्र के मराठा इस फैसले से लाभान्वित होंगे?

👉 फिलहाल नहीं। यह सुविधा सिर्फ मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के उन मराठा समुदाय के लोगों के लिए है जो हैदराबाद गजट से जुड़े क्षेत्रों में आते हैं। विदर्भ, कोंकण और उत्तरी महाराष्ट्र के मराठाओं को अभी इसका लाभ नहीं मिलेगा।

❓ Q6: OBC आरक्षण मिलने से मराठा समुदाय को क्या फायदा होगा?

👉 उन्हें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में OBC कोटे के तहत आरक्षण मिलेगा। खासकर मराठवाड़ा के युवाओं के लिए यह अवसर बड़ी राहत लेकर आया है।

❓ Q7: क्या इस फैसले से अन्य OBC समुदाय प्रभावित होंगे?

👉 हां, कुछ OBC समुदायों में आशंका है कि मराठा समाज के आने से उनके आरक्षण का हिस्सा कम हो सकता है। यही वजह है कि 8 लाख से ज्यादा आपत्तियां पहले ही दर्ज हो चुकी हैं।

❓ Q8: राजनीतिक रूप से इस फैसले का क्या असर होगा?

👉 मराठा समाज महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा वोट बैंक है। उन्हें खुश करके सरकार ने न केवल आंदोलन को शांत किया बल्कि चुनावी लाभ की भी संभावना बढ़ा ली है।

❓ Q9: आगे की प्रक्रिया क्या होगी?

👉 हर व्यक्ति को अलग से आवेदन करना होगा और दस्तावेजों के जरिए खुद को कुनबी साबित करना होगा। हैदराबाद गजट इस प्रक्रिया में अहम सबूत के तौर पर काम आएगा।

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