बीड के लिए ऐतिहासिक घड़ी! सदियों का इंतजार खत्म, रेलवे ट्रैक पर दौड़ने वाली है पहली ट्रेन... अजित पवार ने बताया कब मिलेगा तोहफा
अब बस कुछ ही दिनों की बात है फिर बीड शहर रेलवे के नक्शे पर जगमगाएगा। ये कोई छोटी खबर नहीं है बल्कि बीडवासियों के लिए एक सपने का सच होना है। दशकों से चली आ रही मांग और इंतजार की कहानी का आखिरी अध्याय लिखा जा रहा है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आखिरकार वो तारीख बता दी है जब बीडवासियों का रेल सपना साकार होगा। ये खबर पूरे मराठवाड़ा के लिए एक ऐतिहासिक पल की शुरुआत है।
ये खुशखबरी आई है सह्याद्री अतिथिगृह में हुई एक अहम बैठक से।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया। बैठक में तय हुआ कि आने वाले 17 सितंबर यानी मराठवाड़ा मुक्ति दिन के मौके पर बीड से अहिल्यानगर के बीच पहली रेलवे गाडी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा। इस दिन को बीड के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।लेकिन ये रास्ता इतना आसान नहीं रहा है। बीड ते परळी वैजनाथ रेल्वे मार्ग के काम में अभी भी कुछ अडचने बाकी हैं। उपमुख्यमंत्री ने इन सभी अवरोधों को तुरंत दूर करने और काम को तेज गति से पूरा करने के सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जमीन के मामलों में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और प्रशासन को तत्परता दिखानी होगी।
जमीन का मसला इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी चुनौती रही है।
बीड ते परळी वैजनाथ रेल्वे मार्ग के लिए जमीन के भूसंपादन की कई प्रक्रियाएं अटकी हुई थीं। अजित पवार ने स्पष्ट कहा कि बीड जिल्हा प्रशासन को इन सभी प्रलंबित मामलों का तात्कालिक निपटारा करके जरुरी जमीन रेलवे को उपलब्ध करानी होगी। ये काम रुका नहीं रहना चाहिए।सिर्फ निर्देश देकर ही उपमुख्यमंत्री ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर दी। उन्होंने वित्तीय मामले में भी तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया। राज्य सरकार को अपने हिस्से का पैसा तुरंत अदा करना है। उन्होंने कहा कि अर्थसंकल्प में जो 150 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, उन्हें तुरंत जारी किया जाए। साथ ही बाकी बचे 150 करोड़ रुपये की भी तुरंत व्यवस्था की जाए।
पैसों के मामले में पारदर्शिता भी जरूरी है। इसलिए अजित पवार ने एक अहम निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि रेलवे द्वारा अब तक दिए गए निधी का उपयोगिता प्रमाणपत्र जारी करने की कार्यवाही भी तेजी से पूरी की जाए। इससे प्रोजेक्ट की प्रगति साफ दिखाई देगी और आगे का रास्ता भी आसान होगा।
अब इस ऐतिहासिक रेलवे प्रोजेक्ट के कुछ अहम आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं। इस रेलवे मार्ग की कुल लंबाई है 261.25 किलोमीटर। इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए जमीन का भूसंपादन भी बड़े पैमाने पर करना पड़ा है। कुल 1822.168 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से देखें तो रेलवे के नीचे बनने वाले पुलों की संख्या 130 है।
वहीं रेलवे के ऊपर बनने वाले पुल 65 हैं। इनमें बड़े पुलों की संख्या 65 और छोटे पुलों की संख्या 302 है। ये आंकड़े दिखाते हैं कि ये प्रोजेक्ट कितना बड़ा और चुनौतीपूर्ण रहा है। इतनी बड़ी इंजीनियरिंग को अंजाम देना आसान नहीं था।
इस प्रोजेक्ट पर खर्च का आंकड़ा भी काफी बड़ा है। द्वितीय प्रशासकीय मान्यता के मुताबिक प्रोजेक्ट की कुल लागत आंकी गई है 4805.17 करोड़ रुपये। इस रकम को केंद्र और राज्य सरकार आपस में बराबर बांटेंगे। दोनों का-दोनों का हिस्सा 50-50 प्रतिशत यानी 2402.59 करोड़ रुपये तय हुआ है।
बीड रेलवे प्रोजेक्ट की कहानी सिर्फ एक ट्रेन लाइन बिछाने की नहीं है। ये पूरे क्षेत्र के विकास और connectivity को बदल देने की क्षमता रखता है। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा, व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और छात्रों को शिक्षा के लिए आने-जाने में आसानी होगी। ये प्रगति की एक नई पटरी साबित होगी।
लेकिन उपमुख्यमंत्री अजित पवार की नजर सिर्फ बीड प्रोजेक्ट पर ही नहीं थी। उन्होंने बैठक में अन्य अटके हुए रेलवे प्रोजेक्ट्स पर भी गौर किया। उन्होंने फलटण से लोणंद के रेलवे मार्ग के काम को भी तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए। इससे पूरे क्षेत्र का नक्शा बदल सकता है।
बारामती रेलवे स्टेशन का मामला भी उठा। अजित पवार ने कहा कि रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को बारामती स्टेशन के काम की जमीन पर जाकर निरीक्षण करना चाहिए। उन्होंने काम की गति बढ़ाने और जल्द से जल्द एक सुसज्जित रेलवे स्टेशन यात्रियों को सौंपने का आदेश दिया।
इस पूरी कोशिश का मकसद साफ है। महाराष्ट्र सरकार चाहती है कि राज्य के हर कोने में रेलवे सुविधा पहुंचे। जिन इलाकों में decades से रेलवे का इंतजार हो रहा था, वहां अब जल्द ही ट्रेनों की आवाज सुनाई देगी। ये सरकार की commitment को दिखाता है।
बीडवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं है। सोशल मीडिया पर लोग अपनी उम्मीदों और खुशी का इजहार कर रहे हैं। कई लोगों ने तो कहा है कि उनके बुजुर्ग parents इस दिन का इंतजार करते-करते चले गए। आखिरकार उनका सपना पूरा होते देखना एक emotional पल होगा।
17 सितंबर का दिन सिर्फ एक ट्रेन के शुभारंभ का दिन नहीं होगा। ये मराठवाड़ा के गौरव और संघर्ष का प्रतीक बनेगा। मराठवाड़ा मुक्ति दिन पर ये तोहफा पूरे region के लिए एक नई उर्जा लेकर आएगा। ये दिन इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।
अब सबकी नजरें उस दिन पर टिकी हैं जब पहली ट्रेन बीड स्टेशन से चलेगी। रेलवे विभाग और प्रशासनिक अधिकारी इस लक्ष्य को पूरा करने में जुट गए हैं। हर कोई चाहता है कि ये ऐतिहासिक पल बिना किसी रुकावट के आए और बीड का नाम रेलवे मानचित्र पर अंकित हो जाए।
सफलता मिलने का रास्ता हमेशा चुनौतियों से भरा होता है। लेकिन जब सब मिलकर एक लक्ष्य के लिए काम करें तो सफलता जरूर मिलती है। बीड रेलवे प्रोजेक्ट इसी सामूहिक प्रयास की मिसाल बन रहा है। केन्द्र, राज्य सरकार और local administration सभी ने इस ओर कदम बढ़ाए हैं।
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का असर सिर्फ बीड तक सीमित नहीं रहेगा। इसका लाभ पूरे मराठवाड़ा क्षेत्र को मिलेगा। परिवहन का एक नया साधन मिलने से आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। किसानों को अपनी उपज market तक पहुंचाने में आसानी होगी।
छात्रों के लिए तो ये एक वरदान साबित होगा। उच्च शिक्षा के लिए अब उन्हें दूर-दराज के शहरों में जाने के लिए परिवहन की कमी से जूझना नहीं पड़ेगा। ट्रेन से सफर सुरक्षित और सस्ता होगा। इससे शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा।
मरीजों और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से भी ये प्रोजेक्ट बहुत अहम है। अब मरीजों को बड़े अस्पतालों में ले जाना आसान हो जाएगा। emergency में तो ट्रेन सेवा जान बचाने का काम कर सकती है। ये लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा सकारात्मक असर डालेगी।
पर्यटन को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। बीड और आसपास के इलाकों में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं। रेलवे कनेक्टिविटी मिलने से यहां tourist आसानी से पहुंच सकेंगे। इससे local economy को फायदा होगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
बीड रेलवे प्रोजेक्ट से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Q1. बीड में पहली ट्रेन कब शुरू होगी?
👉 17 सितंबर 2025 को मराठवाड़ा मुक्ति दिन के अवसर पर बीड से अहिल्यानगर के बीच पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाई जाएगी।
Q2. बीड रेलवे प्रोजेक्ट की कुल लंबाई कितनी है?
👉 इस रेलवे मार्ग की कुल लंबाई 261.25 किलोमीटर है।
Q3. इस प्रोजेक्ट के लिए कितनी जमीन अधिग्रहित की गई है?
👉 लगभग 1822.168 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है।
Q4. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत कितनी है?
👉 द्वितीय प्रशासकीय मान्यता के अनुसार प्रोजेक्ट की कुल लागत ₹4805.17 करोड़ रुपये है।
Q5. प्रोजेक्ट का खर्च किस तरह बांटा गया है?
👉 इसकी लागत केंद्र सरकार और राज्य सरकार आधी-आधी (50%-50%) यानी ₹2402.59 करोड़ रुपये के हिस्से में बांट रहे हैं।
Q6. इस रेल मार्ग पर कितने पुल बनाए जा रहे हैं?
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बड़े पुल – 65
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छोटे पुल – 302
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रेलवे के नीचे पुल (अंडरपास) – 130
Q7. इस रेलवे प्रोजेक्ट से लोगों को क्या फायदा होगा?
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रोजगार और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
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छात्रों को शिक्षा के लिए आसानी से आना-जाना होगा।
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मरीजों को बड़े अस्पतालों तक पहुँचने में आसानी होगी।
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किसानों को उपज मंडी तक पहुँचाने में सुविधा होगी।
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पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
Q8. इस प्रोजेक्ट में सबसे बड़ी चुनौती क्या रही?
👉 जमीन अधिग्रहण और भूसंपादन की प्रक्रिया सबसे बड़ी अड़चन रही, जिसे अब सरकार ने प्राथमिकता से सुलझाने के आदेश दिए हैं।
Q9. इस प्रोजेक्ट का काम कब से चल रहा था?
👉 बीड–परळी वैजनाथ रेलवे मार्ग और बीड रेलवे कनेक्टिविटी की मांग दशकों पुरानी थी, जिसका सपना अब जाकर पूरा हो रहा है।
Q10. 17 सितंबर का दिन क्यों खास है?
👉 क्योंकि यह मराठवाड़ा मुक्ति दिन भी है। इस दिन बीडवासियों को रेलवे कनेक्टिविटी का तोहफा मिलेगा, जो ऐतिहासिक महत्व रखता है।
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