बॉलीवुड का सच: फातिमा सना शेख ने खोली पर्दे की पीड़ा, बचपन में 15 घंटे काम करने और अनुचित बातें सुनने को मजबूर!
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| ✨ "Fatima Sana Shaikh ने किया बड़ा खुलासा – बचपन में बाल कलाकार रहते हुए करनी पड़ी थी 15-15 घंटे शूटिंग! पूरी कहानी जानिए।" |
अरे यार, सुनो जल्दी से! बॉलीवुड की चकाचौंध और glamour के पीछे छुपे एक ऐसे सच को फातिमा सना शेख ने उजागर किया है जो सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाएंगे। हाल ही में एक इंटरव्यू में फातिमा ने अपने बचपन के उन दिनों को याद किया जब वह एक बाल कलाकार के रूप में काम करती थीं। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें महज एक बच्ची होने के बावजूद 15-15 घंटे तक काम करना पड़ता था और कई बार ऐसी अनुचित बातें सुननी पड़ती थीं जो किसी भी बच्चे के लिए सही नहीं हैं। फातिमा सना शेख की यह बातें सुनकर ऐसा लगता है कि बॉलीवुड की चमक-दमक के पीछे छुपा अंधेरा सच अब धीरे-धीरे सामने आने लगा है। फातिमा ने जो कुछ भी शेयर किया है वह न सिर्फ हैरान करने वाला है बल्कि बेहद दुखद भी है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या कहा फातिमा सना शेख ने और क्यों जरूरी है बाल कलाकारों के अधिकारों की बात करना।
फातिमा सना शेख ने क्या शेयर किया अपने बचपन का दर्दनाक अनुभव?
फातिमा सना शेख ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अपने बचपन के उन अनुभवों के बारे में खुलकर बात की जो शायद ही किसी ने सुनी हो। उन्होंने बताया कि जब वह एक बाल कलाकार के रूप में काम करती थीं तो उन्हें रोजाना 15 घंटे तक शूटिंग करनी पड़ती थी। एक बच्ची होने के नाते यह उनके लिए बेहद मुश्किल था। फातिमा सना शेख ने कहा कि उस समय बाल कलाकारों के लिए कोई नियम नहीं थे कि उन्हें कितने घंटे काम करना चाहिए। वह देर रात तक सेट पर रहती थीं जो उनकी उम्र के हिसाब से बिल्कुल भी उचित नहीं था। फातिमा सना शेख की यह बातें सुनकर ऐसा लगता है कि बॉलीवुड में बाल कलाकारों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता था।
किन अनुचित बातों का सामना करना पड़ता था फातिमा सना शेख को?
सबसे दुखद बात यह है कि फातिमा सना शेख को न सिर्फ लंबे समय तक काम करना पड़ता था बल्कि उन्हें ऐसी अनुचित बातें भी सुननी पड़ती थीं जो किसी भी बच्चे के लिए उचित नहीं थीं। फातिमा सना शेख ने बताया कि सेट पर कई बार बड़े लोग ऐसी बातें करते थे जो बच्चों के सामने नहीं होनी चाहिए। वह उस समय तो इन बातों को समझ नहीं पाती थीं लेकिन आज जब वह बड़ी हो गई हैं तो उन्हें एहसास होता है कि यह सब कितना गलत था। फातिमा सना शेख की यह बातें साफ करती हैं कि बॉलीवुड में बाल कलाकारों के लिए माहौल कितना असुरक्षित था और शायद आज भी है।
बाल कलाकारों के लिए क्यों जरूरी हैं सख्त नियम?
फातिमा सना शेख ने अपने अनुभव शेयर करते हुए बाल कलाकारों के लिए सख्त नियमों की मांग की है। उन्होंने कहा कि बच्चों को लंबे समय तक काम नहीं करवाया जाना चाहिए। सेट पर बाल मनोवैज्ञानिक और सुरक्षा अधिकारी होने चाहिए ताकि बच्चों को किसी भी तरह की असहज स्थिति का सामना न करना पड़े। फातिमा सना शेख ने यह भी कहा कि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि हॉलीवुड और अन्य अंतरराष्ट्रीय फिल्म इंडस्ट्रीज में बाल कलाकारों के लिए सख्त नियम हैं लेकिन भारत में अभी भी इस दिशा में काम करने की जरूरत है। फातिमा सना शेख की यह मांग बिल्कुल वाजिब है।
फातिमा सना शेख का बचपन कैसा रहा?
फातिमा सना शेख ने अपने करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की थी। उन्होंने साल 2001 में आई फिल्म "हम साथ-साथ हैं" और 2007 में आई फिल्म "तारे जमीन पर" जैसी सुपरहिट फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया। इन फिल्मों में काम करने के दौरान ही उन्होंने वो सब कुछ झेला जो आज उन्होंने शेयर किया है। फातिमा सना शेख का बचपन आम बच्चों की तरह नहीं था। जहां दूसरे बच्चे खेलते-कूदते थे वहीं फातिमा सना शेख को सेट पर लंबे समय तक काम करना पड़ता था। फातिमा सना शेख के लिए यह समय बेहद मुश्किल भरा रहा होगा।
कैसे बदल सकती है बाल कलाकारों की स्थिति?
फातिमा सना शेख ने बाल कलाकारों की स्थिति सुधारने के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के काम के घंटे तय होने चाहिए। सेट पर एक बाल सुरक्षा अधिकारी होना चाहिए जो यह सुनिश्चित करे कि बच्चों के साथ कोई अनुचित व्यवहार न हो। बच्चों की शिक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। फातिमा सना शेख का मानना है कि अगर इन बातों पर ध्यान दिया जाए तो बाल कलाकारों की स्थिति में सुधार आ सकता है। फातिमा सना शेख की यह बातें बिल्कुल सही हैं और इन पर अमल करने की जरूरत है।
बॉलीवुड में बाल कलाकारों की स्थिति कैसी है?
फातिमा सना शेख के अनुभवों को सुनकर यह सवाल उठता है कि आखिर बॉलीवुड में बाल कलाकारों की स्थिति कैसी है। क्या आज भी बाल कलाकारों के साथ वही हो रहा है जो फातिमा सना शेख के साथ हुआ था? शायद इसका जवाब हां में है। बॉलीवुड में आज भी बाल कलाकारों के लिए कोई खास नियम नहीं हैं। उन्हें लंबे समय तक काम करना पड़ता है और कई बार ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जो उनकी उम्र के हिसाब से उचित नहीं हैं। फातिमा सना शेख ने जो कुछ भी शेयर किया है वह शायद बॉलीवुड की एक कड़वी सच्चाई है।
फातिमा सना शेख का करियर कैसा रहा?
फातिमा सना शेख ने अपने करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की थी लेकिन आज वह बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्रियों में से एक हैं। उन्होंने साल 2016 में आमिर खान के साथ फिल्म "दंगल" में काम किया जो कि एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई। इसके बाद उन्होंने 2018 में "ठग्स ऑफ हिंदोस्तान" जैसी बड़ी फिल्म में काम किया। फातिमा सना शेख आज भी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं और आगामी फिल्मों की तैयारी में हैं। फातिमा सना शेख का करियर ग्राफ लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है।
क्यों जरूरी है फातिमा सना शेख की आवाज?
फातिमा सना शेख ने जो कुछ भी शेयर किया है वह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि वह बॉलीवुड की एक जानी-मानी अभिनेत्री हैं। उनकी आवाज में वह ताकत है जो बदलाव ला सकती है। फातिमा सना शेख ने न सिर्फ अपने अनुभव शेयर किए हैं बल्कि बाल कलाकारों के अधिकारों के लिए आवाज भी उठाई है। उम्मीद है कि फातिमा सना शेख की यह आवाज सुनी जाएगी और बॉलीवुड में बाल कलाकारों की स्थिति में सुधार आएगा। फातिमा सना शेख का यह कदम सराहनीय है।
क्या हो सकता है आगे का रास्ता?
फातिमा सना शेख के अनुभवों के बाद अब सवाल यह है कि आगे का रास्ता क्या हो सकता है। सबसे पहले तो बॉलीवुड में बाल कलाकारों के लिए सख्त नियम बनाने की जरूरत है। बच्चों के काम के घंटे तय होने चाहिए। सेट पर बाल सुरक्षा अधिकारी होने चाहिए। बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाना चाहिए। फातिमा सना शेख ने जो सुझाव दिए हैं उन पर अमल करना बेहद जरूरी है। अगर ऐसा होता है तो भविष्य में बाल कलाकारों को फातिमा सना शेख जैसे अनुभवों से गुजरना नहीं पड़ेगा।
निष्कर्ष: एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत
फातिमा सना शेख ने अपने अनुभव साझा करके बाल कलाकारों की स्थिति पर एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। उनकी बातें इस ओर इशारा करती हैं कि इंडस्ट्री को बच्चों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ माहौल बनाने की जरूरत है। उम्मीद है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और भविष्य में बाल कलाकारों के लिए बेहतर नियम बनाए जाएंगे। फातिमा सना शेख का यह कदम एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हो सकता है।
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