हम श्रेय लेने की होड़ में नहीं हैं: CM एकनाथ शिंदे का बयान

महाराष्ट्र सरकार में सनसनीखेज बयान! एकनाथ शिंदे बोले - 'हम श्रेय लेने की होड़ में नहीं...', जानिए किस बात पर भड़के उपमुख्यमंत्री और क्या है 'देवा भाऊ' विज्ञापन का राज

आज की ताजा खबर: उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे।

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से सनसनी फैल गई है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का एक बयान सियासी गलियारों में गूंज रहा है। उन्होंने साफ कहा कि "हम श्रेय लेने की होड़ में नहीं हैं..." यह बयान उन्होंने शनिवार को पत्रकारों के सवालों के जवाब में दिया। दरअसल, यह सवाल प्रमुख अखबारों में छपे पूरे पेज के विज्ञापनों को लेकर था जिनमें सिर्फ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दिखाया गया था। इन विज्ञापनों में फडणवीस को छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते और भगवान गणेश की पूजा करते हुए दिखाया गया था। नीचे 'देवा भाऊ' लिखा हुआ था। शिंदे के इस बयान ने राज्य की सियासत को गर्मा दिया है।

यह पूरा मामला मराठा आरक्षण को लेकर है। महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में मराठों की मांगें मानकर उनका आंदोलन समाप्त कर दिया था। इसके बाद से ही सियासत गर्म है। विपक्ष तो विपक्ष है, लेकिन सरकार के भीतर भी कई तरह की बयानबाजी हो रही है। ऐसे में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ महायुति सहयोगियों के बीच काम का श्रेय लेने की कोई होड़ नहीं है और वह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ एक टीम की तरह काम कर रहे हैं।

शिंदे ने यह टिप्पणी शनिवार को ठाणे में एक सार्वजनिक समारोह के दौरान पत्रकारों के सवालों के जवाब में की। पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या ये विज्ञापन मुख्यमंत्री फडणवीस की खुद को मराठा आरक्षण के वास्तुकार के रूप में पेश करने का प्रयास है। इस पर शिंदे ने जो जवाब दिया, वह काफी चर्चा में है। उन्होंने कहा कि हम श्रेय लेने की होड़ में नहीं हैं। चाहे मराठा समुदाय हो या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय, उन्हें न्याय दिलाने का काम महायुति सरकार ने किया है।

शिंदे ने आगे कहा कि इस काम की स्वीकार्यता पिछले विधानसभा चुनाव में दिख गई। अब देवेंद्रजी और मैंने एक टीम के रूप में अपनी दूसरी पारी शुरू की है। आगे भी हमारा एजेंडा वही रहेगा - राज्य का विकास और गरीबों व जरूरतमंदों की मदद करना। उनके इस बयान ने साफ कर दिया कि सरकार में सब कुछ ठीकठाक है और कोई टेंशन नहीं है। लेकिन राजनीति के जानकार इसे अलग नजरिये से देख रहे हैं।

दरअसल, यह पूरा विवाद उन विज्ञापनों को लेकर है जो शनिवार को प्रमुख अखबारों में छपे। इन विज्ञापनों में सिर्फ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दिखाया गया था। एक विज्ञापन में फडणवीस को छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए दिखाया गया था, जबकि दूसरे विज्ञापन में उन्हें दस दिवसीय गणपति उत्सव के अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी के अवसर पर भगवान गणेश की पूजा करते हुए दिखाया गया था। दोनों विज्ञापनों के नीचे मराठी में 'देवभाऊ' लिखा हुआ था।

हालांकि यह पता नहीं चल सका कि ये विज्ञापन किसने दिए। लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे लेकर काफी चर्चा हो रही है। कुछ लोगों का मानना है कि यह विज्ञापन मुख्यमंत्री फडणवीस की छवि को मजबूत करने की कोशिश है। खासकर मराठा आरक्षण मामले में उन्हें हीरो बनाने की कोशिश। लेकिन शिंदे के बयान ने इस पर विराम लगा दिया है।

वहीं दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शुक्रवार को कहा कि मराठा समुदाय 1881 से ही आरक्षण का हकदार था, लेकिन इस समुदाय ने पहले यह मांग नहीं की क्योंकि यह एक प्रगतिशील समूह था किंतु अब उसे अपनी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए आरक्षण की जरूरत है। छत्रपति संभाजीनगर के एक अस्पताल में पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने यह बात कही। मुंबई में पांच दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त करने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

जरांगे ने भुजबल को घेरा

जरांगे ने महाराष्ट्र के मंत्री और प्रमुख ओबीसी नेता छगन भुजबल पर अपने समूह के अन्य लोगों को आगे नहीं बढ़ने देने का भी आरोप लगाया। उधर, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता छगन भुजबल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार ने आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे की हैदराबाद गजेटियर को लागू करने की मांग को स्वीकार करके भानुमति का पिटारा खोल दिया है।

भुजबल और संजय राउत के बयान

भुजबल का कहना है कि इससे राज्य में नए विवाद पैदा हो सकते हैं। वहीं शिवसेना (यूबीटी) नेता और सांसद संजय राउत ने कहा है कि जब मांग करने वाले और मांगों को मंजूर करने वाले दोनों पक्ष संतुष्ट हैं, तो किसी तीसरे पक्ष को अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब सरकार को इस मामले को शांति से लागू करना चाहिए।

अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर महाराष्ट्र सरकार में सब कुछ ठीक है या नहीं। एकनाथ शिंदे का बयान क्या संकेत देता है। क्या सरकार के भीतर ही कोई टेंशन है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सामान्य राजनीतिक बयानबाजी है और सरकार पूरी तरह से स्थिर है। लेकिन विपक्ष इसे भुनाने की कोशिश कर रहा है।

मराठा आरक्षण का मामला महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा से ही अहम रहा है। इस बार सरकार ने हैदराबाद गजेटियर के आधार पर मराठों को आरक्षण देने का फैसला किया है। इसके तहत मराठवाड़ा के मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देकर ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। इस फैसले से लाखों मराठा युवाओं को फायदा होगा।

लेकिन इस फैसले के बाद से ही राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। हर कोई इसका श्रेय लेना चाहता है। ऐसे में एकनाथ शिंदे का यह बयान काफी अहम हो जाता है। उन्होंने साफ कहा कि श्रेय लेने की कोई होड़ नहीं है। यह बयान महाराष्ट्र की जनता के सामने सरकार की एकजुटता दिखाने के लिए है।

आने वाले समय में देखना होगा कि यह मामला कितना आगे जाता है। क्या विपक्ष इसका फायदा उठा पाता है। और क्या सरकार के भीतर वाकई में कोई मतभेद हैं। फिलहाल तो सब कुछ शांत दिख रहा है। लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल है।


महाराष्ट्र सरकार में सनसनी: एकनाथ शिंदे का बयान और 'देवा भाऊ' विज्ञापन विवाद – FAQ

❓ Q1: एकनाथ शिंदे ने कौन-सा बयान दिया?

👉 उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा – “हम श्रेय लेने की होड़ में नहीं हैं। हम एक टीम की तरह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ काम कर रहे हैं।”


❓ Q2: ‘देवा भाऊ’ विज्ञापन विवाद क्या है?

👉 शनिवार को प्रमुख अखबारों में छपे विज्ञापनों में सिर्फ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दिखाया गया था। एक में वे छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे और दूसरे में गणेश पूजा कर रहे थे। नीचे मराठी में “देवभाऊ” लिखा था।


❓ Q3: क्या ये विज्ञापन मुख्यमंत्री फडणवीस की छवि मजबूत करने के लिए थे?

👉 राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि यह विज्ञापन फडणवीस को मराठा आरक्षण का हीरो दिखाने की कोशिश थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि विज्ञापन किसने दिए।


❓ Q4: शिंदे के बयान का राजनीतिक मतलब क्या निकाला जा रहा है?

👉 शिंदे का बयान सरकार की एकजुटता दिखाने का प्रयास है। लेकिन विपक्ष इसे अंदरूनी मतभेद का संकेत बता रहा है।


❓ Q5: मराठा आरक्षण का इससे क्या संबंध है?

👉 हाल ही में सरकार ने हैदराबाद गजेटियर को मान्यता देकर मराठा समाज को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देने और OBC आरक्षण देने का फैसला किया है। विज्ञापनों में फडणवीस को इसका श्रेय मिलता दिखाया गया।


❓ Q6: मनोज जरांगे ने क्या कहा?

👉 जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय 1881 से ही आरक्षण का हकदार था, लेकिन अब पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए यह जरूरी हो गया है।


❓ Q7: छगन भुजबल की प्रतिक्रिया क्या रही?

👉 भुजबल ने कहा कि सरकार ने जरांगे की मांग मानकर “भानुमति का पिटारा खोल दिया है” और इससे नए विवाद खड़े होंगे।


❓ Q8: विपक्ष की प्रतिक्रिया क्या है?

👉 शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि जब मांग करने वाले और मांगें मानने वाले दोनों पक्ष संतुष्ट हैं, तो किसी तीसरे पक्ष को बीच में आने की जरूरत नहीं।


❓ Q9: क्या महाराष्ट्र सरकार में मतभेद हैं?

👉 आधिकारिक रूप से सरकार ने इसे नकारा है। शिंदे और फडणवीस दोनों ने टीमवर्क और स्थिर सरकार की बात कही है। लेकिन राजनीति के जानकार इसे “श्रेय की राजनीति” मान रहे हैं।

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