बंजारा आरक्षण की गूंज – नांदेड, वाशीम से चंद्रपूर तक महामोर्चा
वाशीम का गोर बंजारा समाज एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। 29 सितंबर का दिन वाशीम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। गोर बंजारा आरक्षण कृति समिति के एकमत निर्णय के बाद जिलाधिकारी कार्यालय पर महामोर्चे की तैयारियां जोरों पर हैं। समाज का कहना है कि महाराष्ट्र के बंजारा समाज को एसटी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए और इसके लिए वे लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। बंजारा समाज के धर्मगुरु डॉ. संत रामराव महाराज ने 2005 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना आंदोलन करके इस मांग को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया था। समाज के लोग कहते हैं कि बापू के सपने को पूरा किए बिना वे चैन से नहीं बैठेंगे। जय सेवा लाल, जय रामराव बापू का नारा आज भी समाज की ऊर्जा का स्रोत है।
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| 29 सितम्बर 2025 : वाशीम, नांदेड और चंद्रपूर में उठेगी बंजारा आरक्षण की गूंज – क्या यह होगा समाज के संघर्ष का निर्णायक महामोर्चा? |
महाराष्ट्र भर में धधक रहा है आंदोलन का अंगारा
वाशीम से पहले भी महाराष्ट्र के कई जिलों में बंजारा समाज ने एसटी आरक्षण की मांग को लेकर आवाज बुलंद की है। समिति द्वारा जारी किए गए कार्यक्रम के अनुसार, छत्रपति संभाजीनगर में 12 सितंबर, जालना में 15 सितंबर, बीड में 15 सितंबर, तुळजापुर में 16 सितंबर, चाळीसगाव में 17 सितंबर, मानोरा में 17 सितंबर, सोलापूर में 17 सितंबर, किनवट माहूर में 18 सितंबर, पुणे में 18 सितंबर, हिंगोली में 19 सितंबर, कन्नड में 19 सितंबर, महागाव में 19 सितंबर, उमरगा में 23 सितंबर, बुलढाणा में 25 सितंबर, आर्णी में 25 सितंबर, पुसद में 25 सितंबर, राजगुरुनगर (खेड) पुणे में 25 सितंबर, जळगाव में 26 सितंबर, दारव्हा में 26 सितंबर, औसा में 26 सितंबर, नांदेड में 29 सितंबर, वाशीम में 29 सितंबर, यवतमाळ में 29 सितंबर, धाराशिव में 29 सितंबर और ठाणे में 3 अक्टूबर को मोर्चे और आंदोलन किए जा चुके हैं या किए जाने हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है, जो समाज की जुझारू भावना को दर्शाता है।
नेताओं और मंत्रियों ने दिया है खुला समर्थन
बंजारा समाज के इस आंदोलन को कई बड़े नेताओं और मंत्रियों का खुला समर्थन भी मिला है। समिति ने विजयसिंह पंडित, बबनराव लोणीकर, संदीप क्षीरसागर, हिकमत उडान, निलेश लंके, रत्नाकर गुट्टे, मेघना बोर्डीकर, नारायण कुचे, मनोज कायंदे, लक्ष्मण पवार, कैलास गोरंट्याल, राजेश विटेकर, अर्जुन खोतकर, सतीश घाटगें, राजेश टोपे, रमेश कराड, डॉ. रत्नाकर गुट्टे, प्रवीण स्वामी, आभिमन्यू पवार, ओमराजे निंबाळकर, तुषार राठोड, अमित देशमुख, धिरज देशमुख, संजय (बंडू) जाधव, मंत्री पंकजाताई मुंडे, मंत्री छगन भुजबळ, नमिताताई मुडदा, ज्ञानराज चौगुले, मंगेश चव्हाण सहित सभी आमदार और सांसदों का आभार जताया है जिन्होंने बंजारा समाज को जाहिर पाठिंबा दिया है। यह समर्थन आंदोलन को नई ताकत दे रहा है।
मंत्री संजय राठोड की भूमिका पर उठ रहे हैं सवाल
आंदोलन की रूपरेखा और नेतृत्व को लेकर समाज के भीतर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। खासतौर पर बंजारा समाज के ही मंत्री संजय राठोड की भूमिका पर लोग सवाल उठा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि जब समाज रस्ते पर आंदोलन कर रहा है, तब मंत्री संजय राठोड गायब नजर आ रहे हैं। इस बाबत समिति की ओर से एक स्पष्टीकरण जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी मंत्री प्रत्यक्ष रूप से आंदोलन में नहीं उतर सकता, क्योंकि वह शासन का प्रतिनिधि होता है। मराठा आरक्षण आंदोलन में राधाकृष्ण विखे पाटील ने जो भूमिका निभाई, वही भूमिका संजय राठोड बंजारा आरक्षण के मुद्दे पर निभा रहे हैं। मंत्री का काम समाज और शासन के बीच सेतु का काम करना है।
हैदराबाद गजट क्यों है मुख्य आधार?
बंजारा समाज की एसटी आरक्षण की मांग का एक बड़ा आधार हैदराबाद गजट है। समाज का तर्क है कि जिस तरह से हैदराबाद गजट के आधार पर महाराष्ट्र में मराठा समाज को आरक्षण दिया गया, उसी तर्ज पर बंजारा समाज को भी एसटी आरक्षण दिया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य से मंत्री संजय राठोड ने 8 सितंबर, 2025 को मुंबई में समाज के महंतों, नेताओं, विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों और अभ्यासकों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी। इस बैठक में हैदराबाद गजट के आधार पर आरक्षण की कानूनी प्रक्रिया पर चर्चा हुई थी। बैठक में यह भी तय किया गया था कि इस आंदोलन को एक अराजनैतिक स्वरूप दिया जाएगा, ताकि यह अधिक प्रभावी हो सके।
क्या है वन नेशन, वन कैटेगरी, वन रिजर्वेशन की मांग?
मंत्री संजय राठोड लंबे समय से बंजारा समाज के लिए 'वन नेशन, वन कैटेगरी, वन रिजर्वेशन' की मांग को राज्य और देश स्तर पर उठाते आए हैं। उनका कहना है कि भारत में रहने वाला बंजारा समाज अलग-अलग नामों से विभिन्न आरक्षण वर्गों में बंटा हुआ है, लेकिन वह मूल रूप से एक ही है। इसलिए पूरे देश में बंजारा समाज के लिए एक समान आरक्षण की श्रेणी होनी चाहिए। उन्होंने काशी की पोहरादेवी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के समक्ष भी यह मांग रखी थी कि बंजारा समाज को एसटी आरक्षण को नुकसान पहुंचाए बिना अलग से आरक्षण दिया जाए।
मंत्रिमंडल समिति में कैसे उठाया गया मुद्दा?
महसूल मंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडल की उप-समिति में संजय राठोड सदस्य हैं। इस समिति की पहली बैठक में ही उन्होंने बंजारा समाज को एसटी आरक्षण दिए जाने की मांग रखी। साथ ही, बंजारा कृति समिति का ज्ञापन भी समिति के अध्यक्ष को सौंपा, ताकि समाज की भावनाएं सरकार तक पहुंच सकें। इस पर समिति के अध्यक्ष ने तत्काल संज्ञान लेते हुए संबंधित विभागों को इस पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, वर्ष 2020 में छगन भुजबळ की अध्यक्षता वाली समिति ने भी बंजारा समाज के हित में नॉन-क्रीमीलेयर की शर्त खत्म करने और आरक्षण श्रेणियों के बीच अंतर-परिवर्तन के नियम को रद्द करने की सिफारिश की थी।
समाज के विकास के लिए क्या-क्या योजनाएं हैं?
मंत्री संजय राठोड ने समाज के सर्वांगीण विकास के लिए कई योजनाएं शुरू करने का दावा किया है। इनमें संत सेवालाल महाराज की जयंती को राज्य स्तर पर मनाना, गोर बंजारा साहित्य अकादमी की स्थापना, वसंतराव संशोधन व प्रशिक्षण संस्था (वनार्टी) की शुरुआत, नवी मुंबई में सेवाभवन का निर्माण, सावित्रीबाई फुले आधार योजना के तहत विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता, गोपीनाथ मुंडे उसतोड कामगार महामंडल, जिल्हा स्तर पर 72 छात्रावास, उसतोड कामगारों के बच्चों के लिए 82 छात्रावास, विदेश में शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति, संत सेवालाल महाराज समृद्धि योजना के तहत तांड्यों में स्वतंत्र ग्राम पंचायतों का गठन और मातोश्री प्रमिलादेवी दुलिचंद राठोड शिष्यवृत्ति योजना शामिल हैं। उनका दावा है कि इन योजनाओं से समाज के हजारों युवाओं को फायदा होगा।
युवाओं की शहादत ने बढ़ाई है आंदोलन की रफ्तार
आरक्षण की मांग को लेकर अब तक समाज के चार युवाओं ने आत्महत्या कर ली है। इन युवाओं की शहादत ने आंदोलन को एक नई ऊर्जा और गंभीरता दी है। समाज के लोगों का कहना है कि अब सरकार को जल्द से जल्द इस मुद्दे पर सकारात्मक कदम उठाने चाहिए, नहीं तो आंदोलन और तेज होगा। मंत्री संजय राठोड ने इन युवाओं के परिवारों से संपर्क करके उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। हालांकि, आंदोलनकारियों का मानना है कि केवल आश्वासन से काम नहीं चलेगा, ठोस कार्रवाई जरूरी है।
केंद्र सरकार के पास है आरक्षण देने का अधिकार
एसटी आरक्षण देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। राज्य सरकार केवल इसके लिए केंद्र को सिफारिश भेज सकती है। बंजारा समाज की मांग है कि महाराष्ट्र सरकार तुरंत केंद्र सरकार के पास बंजारा समाज को एसटी सूची में शामिल करने की सिफारिश भेजे। मंत्री संजय राठोड का कहना है कि वे लगातार मुख्यमंत्री से इस बाबत मुलाकात कर रहे हैं और जल्द ही मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बंजारा समाज के एक प्रतिनिधिमंडल की बैठक बुलाई जाएगी। इसके अलावा, न्यायिक रास्ते पर भी विचार किया जा रहा है और कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है।
पोहरादेवी के विकास को लेकर क्या है समाज की भावना?
पोहरादेवी बंजारा समाज का एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जिसके विकास के लिए मंत्री संजय राठोड ने काफी प्रयास किए हैं। उनके प्रयासों से ही पोहरादेवी में संत सेवालाल महाराज भवन का निर्माण हुआ है, जिसे महाराष्ट्र सरकार की ओर से सर्वोत्कृष्ट इमारत का पुरस्कार भी मिला है। समाज का एक वर्ग इसे समाज के विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानता है। हालांकि, कुछ लोगों का यह भी मानना है कि केवल धार्मिक स्थलों के विकास से समाज की मूलभूत समस्याएं दूर नहीं होंगी। उनका फोकस आरक्षण, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर अधिक है।
आंदोलन की सफलता के लिए क्या है रणनीति?
बंजारा आरक्षण आंदोलन की सफलता के लिए एक अराजनैतिक और एकजुट रणनीति पर जोर दिया जा रहा है। मराठा आंदोलन की सफलता से सबक लेते हुए, बंजारा समाज भी चाहता है कि आंदोलन का नेतृत्व राजनीतिक दलों से दूर रहकर किया जाए। समिति का मानना है कि इससे आंदोलन पर राजनीतिक दखलंदाजी का खतरा कम होगा और सरकार पर दबाव अधिक प्रभावी ढंग से बन सकेगा। 29 सितंबर के वाशीम महामोर्चे को इसी रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।
सामान्य प्रश्न (FAQs)
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| PROOF - हिन्दू गोरबंजारा (ST) TRANSFER CERTIFICATE 22 FEB 2013 |
जनता पर प्रभाव का विश्लेषण
वाशीम और आसपास के इलाकों में बंजारा समाज की अच्छी खासी आबादी है। 29 सितंबर के महामोर्चे का सीधा प्रभाव शहर की सामान्य जनजीवन पर पड़ सकता है। बड़ी संख्या में लोगों के जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचने की संभावना है, जिससे यातायात प्रभावित हो सकता है। प्रशासन ने भी इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके। स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों को भी आशंका है कि उनके कारोबार पर असर पड़ सकता है। हालांकि, आंदोलनकारियों का कहना है कि उनका उद्देश्य शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग रखना है, न कि किसी को परेशान करना। समाज के युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी इस महामोर्चे में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं। उनका मानना है कि यह उनके भविष्य और अगली पीढ़ी के हक की लड़ाई है।
बंजारा समाज की यह लड़ाई केवल एक समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समान अधिकारों की लड़ाई है। अगर आप भी मानते हैं कि हर वर्ग को उसका हक मिलना चाहिए, तो इस आंदोलन का समर्थन करें। 29 सितंबर को वाशीम के जिलाधिकारी कार्यालय पर होने वाले महामोर्चे में शामिल होकर समाज का मनोबल बढ़ाएं। सोशल मीडिया पर #बंजारा_आरक्षण और #वाशीम_महामोर्चा जैसे हैशटैग का इस्तेमाल करके इस मांग को और व्यापक बनाएं। स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों से संपर्क करके उन्हें इस मुद्दे पर बोलने के लिए प्रेरित करें। याद रखिए, जब एक समुदाय के अधिकारों की रक्षा होती है, तो पूरे समाज की न्याय के प्रति आस्था मजबूत होती है। आइए, मिलकर एक न्यायसंगत समाज के निर्माण में अपना योगदान दें। जय सेवा लाल, जय रामराव बापू!
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