मनोज जरांगे का गुस्सा फूटा: "मेरा अनुसरण न करें"

महाराष्ट्र राजनीति में हड़कंप – मनोज जरांगे vs चित्रा वाघ टकराव गहराया

आज की ताज़ा खबर NEWS, 24 जुलाई 2024

महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया विवाद शुरू हो गया है और इस बार ये विवाद मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटील और भाजप की महिला नेता चित्रा वाघ के बीच है। चित्रा वाघ ने जरांगे पर आरोप लगाया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मां का अपमान किया है। इस पर मनोज जरांगे ने जो जवाब दिया है वो बहुत ही आक्रामक और चौंकाने वाला है। जरांगे ने कहा कि वाघ और शेळी उन्हें कुछ नहीं पता और जब उनकी आई बहनों पर पत्थर फेंके गए थे तब चित्रा वाघ कहां थीं। उन्होंने चित्रा वाघ को साफ इशारा देते हुए कहा कि तू किसी राजनेता के नाद में तो लग सकती है लेकिन मेरे नाद में मत लगना नहीं तो मैं सारा बिऱ्हाड उठव दूंगा। यानी पूरा घर बर्बाद कर दूंगा। इसके साथ ही जरांगे ने मुख्यमंत्री फडणवीस पर भी निशाना साधा और कहा कि अब वो महिलाओं को आगे कर रहे हैं और अपनी मां को शील्ड बना रहे हैं। जरांगे ने ये भी कहा कि अगर उन्होंने फडणवीस की मां को कुछ गलत कहा है तो वो उसे वापस लेते हैं लेकिन आरक्षण की लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने 27 अगस्त को मुंबई कूच का ऐलान भी दोहराया और कहा कि अगर 26 अगस्त तक आरक्षण लागू नहीं किया गया तो वो मुंबई जाकर आंदोलन करेंगे और वहां कोई चर्चा नहीं होगी।

मनोज जरांगे का भाजप नेता चित्रा वाघ को जवाब

चित्रा वाघ के आरोप और जरांगे का जवाब

भाजप की महिला नेता चित्रा वाघ ने मनोज जरांगे पर आरोप लगाया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मां का अपमान किया है। ये आरोप ऐसे वक्त में लगाया गया जब जरांगे मराठा आरक्षण के लिए फिर से आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। चित्रा वाघ ने कहा था कि जरांगे ने फडणवीस की मां के लिए अनappropriate शब्दों का इस्तेमाल किया है। इस पर जरांगे ने बहुत ही aggressive तरीके से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें वाघ और शेळी के बारे में कुछ नहीं पता और जब मराठा समाज की महिलाओं पर पत्थर फेंके गए थे तब चित्रा वाघ कहां थीं। उन्होंने चित्रा वाघ को सीधे चुनौती देते हुए कहा कि तू किसी राजनेता के नाद में लग सकती है लेकिन मेरे नाद में मत लगना। जरांगे ने ये भी कहा कि अगर चित्रा वाघ ने उनके खिलाफ बोलना जारी रखा तो वो उनका सारा बिऱ्हाड उठव देंगे यानी पूरा घर बर्बाद कर देंगे। ये बयान बहुत ही strong और threatening लगा और इसने राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया।

फडणवीस पर जरांगे का हमला

मनोज जरांगे ने सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि फडणवीस अब महिलाओं को आगे कर रहे हैं और अपनी मां को शील्ड बना रहे हैं। जरांगे ने कहा कि जब मराठा समाज की महिलाओं के सिर फोड़े गए थे तब फडणवीस कहां थे। उन्होंने आरोप लगाया कि फडणवीस सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए अपनी मां को आगे कर रहे हैं। जरांगे ने ये भी कहा कि अगर उन्होंने फडणवीस की मां के बारे में कुछ गलत कहा है तो वो उस बयान को वापस लेते हैं लेकिन मराठा आरक्षण की मांग से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार मराठाओं को आरक्षण नहीं देना चाहती और सिर्फ उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है। जरांगे ने फडणवीस पर ये भी आरोप लगाया कि वो खोटे वादे करके वोट लेते हैं लेकिन कर्जमाफी जैसे वादे पूरे नहीं करते।

27 अगस्त को मुंबई कूच का ऐलान

मनोज जरांगे ने 27 अगस्त को मुंबई कूच का ऐलान दोहराया। उन्होंने कहा कि वो आंतरवाली सराटी से बाहर निकलेंगे और पैठण-शेवगाव-पांढरीपूल-अहिल्यानगर-आळेफाटा होते हुए मुंबई की ओर बढ़ेंगे। रात का मुक्काम शिवनेरी किल्ले पर होगा। जरांगे ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 26 अगस्त तक आरक्षण की अंमलबजावणी नहीं की गई तो एक बार वो आंतरवाली सराटी से निकल गए तो फिर कोई चर्चा नहीं होगी। वो सीधे मुंबई पहुंचकर आंदोलन करेंगे। जरांगे ने ये भी कहा कि सरकार मराठाओं को आरक्षण देना नहीं चाहती और सिर्फ उन्हें कुरूप दिखाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि आरक्षण देने का वक्त आया तो फडणवीस अपनी मां को आगे कर रहे हैं।

मराठा आरक्षण की मांग और सरकार का रुख

मराठा आरक्षण की मांग कई सालों से चल रही है। मराठा समाज का कहना है कि उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति खराब हो गई है और उन्हें आरक्षण की जरूरत है। सरकार का कहना है कि वो आरक्षण देना चाहती है लेकिन कानूनी पचड़ों की वजह से ऐसा नहीं कर पा रही है। high court और supreme court ने 50% आरक्षण की limit तय की है और उससे ऊपर आरक्षण देना मुश्किल है। सरकार ने कुछ attempts किए लेकिन वो court में reject हो गए। अब मनोज जरांगे फिर से आंदोलन कर रहे हैं और सरकार पर दबाव बना रहे हैं। सरकार की तरफ से अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है लेकिन जरांगे के ताजा बयानों के बाद सरकार को कुछ करना होगा।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

इस पूरे विवाद पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया अलग अलग है। भाजप ने चित्रा वाघ के बयान का समर्थन किया है और मनोज जरांगे की आलोचना की है। opposition parties ने जरांगे का समर्थन किया है और सरकार पर हमला बोला है। शिवसेना और एनसीपी ने कहा है कि सरकार मराठा आरक्षण देने में नाकाम रही है और अब वो महिलाओं को शील्ड बना रही है। congress ने भी सरकार की आलोचना की है। राजनीतिक experts का कहना है कि ये विवाद सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है क्योंकि मराठा वोट bank बहुत बड़ा है और अगर जरांगे का आंदोलन बढ़ता है तो सरकार को नुकसान हो सकता है।

जनता की प्रतिक्रिया

आम जनता इस पूरे विवाद को लेकर divided है। कुछ लोग मनोज जरांगे का समर्थन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार को आरक्षण देना चाहिए। कुछ लोग जरांगे के बयान की आलोचना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हें महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। social media पर इस मुद्दे पर heated debate चल रही है। कुछ लोग चित्रा वाघ के बयान को सही ठहरा रहे हैं तो कुछ लोग कह रहे हैं कि उन्होंने जरांगे को provoke किया है। मराठा समाज के लोग जरांगे के साथ हैं और वो मुंबई कूच में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं।

आगे की रणनीति क्या होगी

मनोज जरांगे ने 27 अगस्त को मुंबई कूच का ऐलान किया है लेकिन इससे पहले वो क्या रणनीति अपनाएंगे, ये देखना important होगा। हो सकता है कि वो सरकार के साथ कुछ बातचीत का प्रयास करें या फिर वो सीधे आंदोलन शुरू कर दें। उन्होंने कहा है कि वो शांतिपूर्ण आंदोलन करेंगे लेकिन अगर सरकार ने force का इस्तेमाल किया तो situation बिगड़ सकती है। सरकार भी अपनी तैयारियों में जुट गई है और possible agitation से निपटने के लिए security arrangements कर रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और तनाव बढ़ सकता है।

मराठा आरक्षण का भविष्य

मराठा आरक्षण का भविष्य अभी अनिश्चित है। सरकार चाहती तो है आरक्षण देने की लेकिन legal hurdles हैं। high court और supreme court ने पहले ही आरक्षण को challenge किया हुआ है और 50% की limit से ऊपर आरक्षण देना मुश्किल है। सरकार को कोई ऐसा formula ढूंढना होगा जो कानूनी रूप से मजबूत हो और मराठा समाज को satisfy कर सके। ये आसान काम नहीं है और इसमें time लग सकता है। लेकिन मनोज जरांगे time नहीं देना चाहते और वो तुरंत हल चाहते हैं।

सरकार के विकल्प

महाराष्ट्र सरकार के पास अब कुछ ही विकल्प बचे हैं। पहला विकल्प है कि वो मनोज जरांगे से बातचीत करे और उन्हें आश्वासन दे कि आरक्षण दिया जाएगा। दूसरा विकल्प है कि वो आंदोलन को ignore करे और उसे हिंदू होने दें। तीसरा विकल्प है कि वो कानूनी रास्ता अपनाए और कोर्ट से आरक्षण को चैलेंज करे। लेकिन हर विकल्प के अपने risks हैं। अगर सरकार बातचीत करती है तो जरांगे की ताकत और बढ़ सकती है। अगर ignore करती है तो आंदोलन हिंदू सकता है। और अगर कानूनी रास्ता अपनाती है तो उसे लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।

जरांगे की लोकप्रियता

मनोज जरांगे पाटील मराठा आरक्षण आंदोलन के सबसे बड़े नेता बन गए हैं। उन्होंने कई बार आंदोलन किए और सरकार को झुकने पर मजबूर किया। उनकी leadership style बहुत ही आक्रामक है और वो सीधे तौर पर सरकार को चुनौती देते हैं। उन्होंने कई बार अनशन किए और अपनी जान तक दांव पर लगा दी। इस वजह से मराठा समाज में उनकी एक अलग पहचान है और लोग उन पर भरोसा करते हैं। जरांगे की यही popularity सरकार के लिए सिरदर्द बन गई है क्योंकि वो मराठा वोटों को प्रभावित कर सकते हैं।

चित्रा वाघ कौन हैं

चित्रा वाघ भाजप की एक senior महिला नेता हैं और वो पार्टी की state unit की vice president हैं। उन्होंने कई बार controversial बयान दिए हैं और अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। वो महिलाओं के मुद्दों पर बोलती हैं और सरकार की policies का समर्थन करती हैं। इस बार उन्होंने मनोज जरांगे के खिलाफ बयान दिया और विवाद खड़ा कर दिया। उनका कहना है कि जरांगे ने फडणवीस की मां का अपमान किया है और इसकी सजा मिलनी चाहिए।

मराठा समाज की भावनाएं

मराठा समाज की भावनाएं इस वक्त बहुत गर्म हैं। उन्हें लगता है कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है और आरक्षण देने का वादा पूरा नहीं किया है। मराठा youth especially नौकरियों और education में पिछड़ता जा रहा है और उन्हें लगता है कि आरक्षण मिलने से उन्हें राहत मिलेगी। इसलिए वो मनोज जरांगे के आह्वान पर मुंबई कूच के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि इस बार वो आखिरी लड़ाई लड़ेंगे और आरक्षण लेकर रहेंगे। मराठा समाज की ये जिद सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है।

अब वक्त आ गया है आवाज उठाने का!

दोस्तों, ये सिर्फ मराठा समाज का मुद्दा नहीं है, ये हर उस शख्स का मुद्दा है जो इंसाफ चाहता है। अगर आपको लगता है कि सरकार को मराठा आरक्षण देना चाहिए या नहीं देना चाहिए, तो अपनी आवाज जरूर उठाएं। social media पर अपनी राय शेयर करें। अपने local leaders से इस बारे में बात करें। अगर आप मराठा समाज से हैं तो आंदोलन में शामिल होने के बारे में सोचें। अगर नहीं हैं तो भी इस मुद्दे पर जागरूक बनें। याद रखिए, democracy में जनता की आवाज ही सबसे ताकतवर होती है। आइए, मिलकर इस आवाज को बुलंद करें और सरकार से मांग करें कि वो इस मुद्दे का न्यायसंगत हल निकाले। शेयर करें, चर्चा करें, और सच्चाई सामने लाएं!

FAQs:

मनोज जरांगे और चित्रा वाघ के बीच विवाद क्या है?

मनोज जरांगे और चित्रा वाघ के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब चित्रा वाघ ने जरांगे पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मां का अपमान किया है। इस पर जरांगे ने आक्रामक जवाब देते हुए कहा कि चित्रा वाघ किसी राजनेता के नाद में लग सकती हैं लेकिन उनके नाद में न लगें नहीं तो वो उनका बिऱ्हाड उठा देंगे। इसके साथ ही जरांगे ने फडणवीस पर भी निशाना साधा और कहा कि वो महिलाओं को शील्ड बना रहे हैं।

मनोज जरांगे का मुंबई कूच कब है?

मनोज जरांगे ने 27 अगस्त को मुंबई कूच का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि वो आंतरवाली सराटी से बाहर निकलेंगे और पैठण-शेवगाव-पांढरीपूल-अहिल्यानगर-आळेफाटा होते हुए मुंबई की ओर बढ़ेंगे। रात का मुक्काम शिवनेरी किल्ले पर होगा। जरांगे ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 26 अगस्त तक आरक्षण लागू नहीं किया गया तो वो मुंबई जाकर आंदोलन करेंगे।

मराठा आरक्षण की मांग क्यों की जा रही है?

मराठा समाज की मांग है कि उन्हें आरक्षण दिया जाए क्योंकि उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति खराब हो गई है। उनका कहना है कि नौकरियों और शिक्षा में उन्हें पिछड़ता देखा जा रहा है और आरक्षण मिलने से उन्हें राहत मिलेगी। मराठा समाज का ये आंदोलन कई सालों से चल रहा है और मनोज जरांगे इसके प्रमुख नेता हैं।

सरकार मराठा आरक्षण क्यों नहीं दे पा रही है?

सरकार का कहना है कि वो आरक्षण देना चाहती है लेकिन कानूनी पचड़ों की वजह से ऐसा नहीं कर पा रही है। high court और supreme court ने 50% आरक्षण की limit तय की है और उससे ऊपर आरक्षण देना मुश्किल है। सरकार ने कुछ attempts किए लेकिन वो court में reject हो गए। अब सरकार को कोई ऐसा formula ढूंढना होगा जो कानूनी रूप से मजबूत हो।

इस विवाद का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा?

इस विवाद का राजनीतिक प्रभाव significant हो सकता है क्योंकि मराठा वोट bank बहुत बड़ा है। अगर मनोज जरांगे का आंदोलन बढ़ता है तो सरकार को नुकसान हो सकता है। opposition parties इस मौके का फायदा उठाकर सरकार पर हमला कर सकती हैं। भाजप को अपने मराठा वोटों की चिंता हो सकती है और उन्हें कुछ ठोस कदम उठाने पड़ सकते हैं।

Public Impact Analysis

इस पूरे विवाद का जनता पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। मराठा समाज के लोग जरांगे के साथ हैं और वो आंदोलन में शामिल होंगे। इससे state में law and order situation बिगड़ सकती है। सरकार की image को नुकसान हो सकता है और voters का trust कम हो सकता है। economy पर भी असर पड़ सकता है क्योंकि आंदोलन की वजह से businesses और transportation affect हो सकते हैं। students और youth का education disrupt हो सकता है। government को आंदोलन handle करने में resources लगाने पड़ेंगे जो development works में लग सकते थे। overall, ये situation state के peace और progress के लिए अच्छी नहीं है।

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