क्या होती है पत्र पूजा…गणेश पूजन में क्यों चढ़ाए जाते हैं 21 पत्ते? जानिए पूरी सूची और महत्व
Author & Writer: आज की ताज़ा खबर NEWS - 23 अगस्त 2025
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| Ganesh Chaturthi 2025: गणेश पूजन में क्यों चढ़ाए जाते हैं 21 पत्ते? |
गणेश चतुर्थी का त्योहार आते ही पूरा देश भक्ति और उल्लास में डूब जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणपति बप्पा की पूजा में 21 पत्तों का क्या महत्व है? आखिर क्यों इन पत्तों को चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं? ये सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि एक गहरा वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
क्या है पत्र पूजा? गणेश जी को क्यों चढ़ाए जाते हैं पत्ते
1) शमी पत्र का महत्व - विजय और सफलता का प्रतीक
शमी का पत्ता गणेश पूजा में सबसे पहले चढ़ाया जाता है। इस पत्ते को विजय और सफलता का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शमी पत्र चढ़ाने से गणपति भक्त को हर काम में सफलता दिलवाते हैं और सभी बाधाओं को दूर करते हैं। यह पत्ता पापों का नाश करने वाला भी माना जाता है।
2) भृंगराज पत्र - सेहत और लंबी उम्र का वरदान
भृंगराज के पत्ते को आयुर्वेद में बहुत महत्व दिया गया है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त को अच्छी सेहत और लंबी उम्र का आशीर्वाद देते हैं। यह पत्ता शरीर में ऊर्जा बढ़ाने वाला माना जाता है और कई बीमारियों से बचाव करता है।
3) बेल पत्र - त्रिदेवों का प्रतीक और सबसे पवित्र
बेल पत्र को सबसे पवित्र पत्ता माना जाता है। यह त्रिदेवों - ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। गणेश जी और शिव जी दोनों को ही बेल पत्र अत्यंत प्रिय है। इस पत्ते को चढ़ाने से घर में सुख शांति बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
4) दूर्वा पत्र - गणपति का सबसे प्रिय और समृद्धि दायक
दूर्वा के छोटे छोटे तिनके गणेश जी को सबसे ज्यादा प्रिय हैं। इन्हें चढ़ाने से घर में समृद्धि आती है और धन की कभी कमी नहीं होती। दूर्वा को चढ़ाते समय 21 गांठे बनाकर चढ़ाना शुभ माना जाता है। यह गणपति की कृपा पाने का सबसे आसान तरीका है।
5) बेर पत्र - सरलता और संतोष का प्रतीक
बेर के पत्ते को सरलता और संतोष का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त को जीवन में संतोष और सादगी का आशीर्वाद देते हैं। यह पत्ता मन की इच्छाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है।
6) धतूरा पत्र - उग्र शक्तियों को शांत करने वाला
धतूरे के पत्ते को उग्र शक्तियों को शांत करने वाला माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और वातावरण शुद्ध होता है। यह पत्ता बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है।
7) तुलसी पत्र - गणेश चतुर्थी पर क्यों है खास
सामान्य दिनों में गणपति को तुलसी पत्र नहीं चढ़ाया जाता लेकिन गणेश चतुर्थी के दिन यह अपवाद है। इस दिन तुलसी पत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। तुलसी पत्र चढ़ाने से घर में सुख समृद्धि आती है और पारिवारिक कलह दूर होती है।
8) सेम पत्र - अन्न और उर्वरता का प्रतीक
सेम के पत्ते को अन्न और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त को कभी अन्न की कमी नहीं होती और परिवार में उर्वरता बनी रहती है। यह पत्ता खासतौर पर किसानों के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
9) अपामार्ग पत्र - रोगों से मुक्ति दिलाने वाला
अपामार्ग के पत्ते को रोगों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त और उसके परिवार को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। यह पत्ता शरीर की शुद्धि करने में भी मदद करता है।
10) कण्टकारी पत्र - बाधाओं को दूर करने वाला
कण्टकारी के पत्ते को बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त की सभी मुश्किलें दूर होती हैं और जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होता है। यह पत्ता सफलता के रास्ते की रुकावटें हटाता है।
11) सिन्दूर पत्र - सौभाग्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक
सिन्दूर के पत्ते को सौभाग्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त के जीवन में सुख सौभाग्य बना रहता है और सभी मंगल कामनाएं पूरी होती हैं। यह पत्ता विवाहित महिलाओं के लिए विशेष शुभ माना जाता है।
12) तेजपत्ता - सुगंध और शांति देने वाला
तेजपत्ता अपनी सुगंध के लिए जाना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से घर में सुगंध और शांति का वातावरण बनता है। यह पत्ता मन को शांत करने और तनाव दूर करने में मदद करता है। तेजपत्ता चढ़ाने से गणपति विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।
13) अगस्त्य पत्र - ज्ञान और शक्ति का प्रतीक
अगस्त्य के पत्ते को ज्ञान और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त को ज्ञान और शक्ति का आशीर्वाद मिलता है। यह पत्ता विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है।
14) कनेर पत्र - साहस और निडरता देने वाला
कनेर के पत्ते को साहस और निडरता का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त को हर स्थिति का सामना करने का साहस मिलता है। यह पत्ता डर और भय को दूर करने में मदद करता है।
15) केले का पत्र - समृद्धि और उन्नति का प्रतीक
केले के पत्ते को समृद्धि और उन्नति का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त के व्यवसाय और नौकरी में उन्नति होती है। यह पत्ता धन और संपत्ति में वृद्धि करने वाला माना जाता है।
16) आक पत्र - रोग हरने वाला और गणपति का प्रिय
आक के पत्ते को रोग हरने वाला माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त और उसके परिवार को रोगों से मुक्ति मिलती है। यह पत्ता गणपति को विशेष प्रिय है और इसके चढ़ाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
17) अर्जुन पत्र - धैर्य और शक्ति का प्रतीक
अर्जुन के पत्ते को धैर्य और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त को मुश्किल समय में धैर्य बनाए रखने की शक्ति मिलती है। यह पत्ता हृदय रोगों में भी लाभकारी माना जाता है।
18) देवदार पत्र - शुद्धता और स्थिरता का प्रतीक
देवदार के पत्ते को शुद्धता और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से घर का वातावरण शुद्ध होता है और जीवन में स्थिरता आती है। यह पत्ता मन की एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद करता है।
19) मरुआ पत्र - सुगंध और पवित्रता का प्रतीक
मरुआ के पत्ते को सुगंध और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से पूजा स्थल का वातावरण पवित्र और सुगंधित होता है। यह पत्ता सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
20) कचनार पत्र - उन्नति और सौंदर्य का प्रतीक
कचनार के पत्ते को उन्नति और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से गणपति भक्त के जीवन में उन्नति होती है और सौंदर्य में वृद्धि होती है। यह पत्ता कला और साहित्य में सफलता दिलाने वाला माना जाता है।
21) केतकी पत्र - पवित्रता और मंगल कार्यों का प्रतीक
केतकी के पत्ते को पवित्रता और मंगल कार्यों का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते को चढ़ाने से सभी मंगल कार्य सफल होते हैं और जीवन में पवित्रता बनी रहती है। यह पत्ता विवाह और अन्य शुभ कार्यों में विशेष लाभकारी माना जाता है।
क्यों है 21 पत्तों की पूजा इतनी महत्वपूर्ण
21 पत्तों की पूजा सिर्फ एक धार्मिक रिवाज नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक पद्धति है। हर पत्ते में अलग अलग गुण होते हैं जो पर्यावरण और मानव शरीर के लिए लाभकारी हैं। इन पत्तों की सुगंध और ऊर्जा पूजा के वातावरण को शुद्ध करती है और भक्त के मन को शांति देती है। गणपति को ये पत्ते अत्यंत प्रिय हैं और इन्हें चढ़ाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
कैसे करें पत्र पूजा? सही विधि और मंत्र
पत्र पूजा करने के लिए सबसे पहले सभी 21 पत्तों को एकत्र करें। फिर गणपति की मूर्ति के सामने बैठकर एक एक करके सभी पत्तों को चढ़ाएं। हर पत्ते को चढ़ाते समय "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें। पत्तों को चढ़ाने के बाद धूप दीप दिखाएं और मोदक का भोग लगाएं। इससे गणपति अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पत्र पूजा का महत्व
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो इन सभी पत्तों में औषधीय गुण होते हैं। इन पत्तों की सुगंध वातावरण को शुद्ध करती है और मन को शांत करती है। पूजा के दौरान इन पत्तों का उपयोग करने से आसपास का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। यह एक प्रकार की एरोमाथेरेपी की तरह काम करता है जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
आध्यात्मिक लाभ - क्यों मिलती है मनोकामना पूरी
आध्यात्मिक दृष्टि से इन पत्तों में दैवीय ऊर्जा होती है। गणपति को ये पत्ते अत्यंत प्रिय हैं इसलिए इन्हें चढ़ाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि इन पत्तों को चढ़ाने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है और भक्त को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। इससे मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।
सामाजिक महत्व - परंपरा का संरक्षण और प्रकृति से जुड़ाव
पत्र पूजा का सामाजिक महत्व भी है। इससे पुरानी परंपराओं का संरक्षण होता है और युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति के बारे में जानकारी मिलती है। साथ ही यह प्रकृति से जुड़ाव बढ़ाता है क्योंकि इन पत्तों का संग्रह करने के लिए लोगों को पेड़ पौधों के पास जाना पड़ता है। इससे पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. आज की ताज़ा खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

