पत्नी से झगड़े में पिता ने 4 बच्चों को कुएं में फेंका, खुद भी कूदा

महाराष्ट्र में हृदयविदारक कांड: पत्नी से विवाद के बाद पिता ने 4 मासूमों संग कुएं में कूदकर दी जान!

Author & Writer – आज की ताज़ा खबर NEWS | 16 अगस्त 2025

महाराष्ट्र में हृदयविदारक कांड जिसने सबको झकझोर दिया

महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले से आई यह खबर सिर्फ एक न्यूज़ नहीं बल्कि पूरे समाज के दिल को छलनी कर देने वाली घटना है। एक पिता, जिसने अपने बच्चों के साथ खेलने और भविष्य बनाने का वादा किया था, वही पिता उन्हें मौत की तरफ धकेल देता है। पत्नी से विवाद हुआ, गुस्सा भड़का और उसी गुस्से ने पांच जिंदगियों को निगल लिया। इस हृदयविदारक कांड ने पूरे महाराष्ट्र को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले में एक व्यक्ति की पत्नी से लड़ाई हुई तो उसने अपने चार बच्चों की कुएं में फेंककर हत्या कर दी. इसके बाद खुद भी खुदकुशी कर ली.


झगड़े से शुरू हुई मौत की ओर बढ़ती कहानी

शनिवार का दिन, अहिल्यानगर जिले के श्रीगोन्दा तहसील के चिखली कोरेगांव गांव का माहौल सामान्य था। अरुण काले, उम्र 35 साल, अपनी पत्नी के साथ बहस में उलझ गया। यह कोई पहली बार नहीं था, पति-पत्नी के बीच अक्सर कहासुनी होती थी, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग थे। गुस्सा इतना बढ़ गया कि अरुण ने अपने चारों बच्चों को बाइक पर बैठाया और निकल पड़ा। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि यह सफर मौत की मंज़िल तक जाएगा।

मासूमों की आखिरी सवारी

बाइक पर बैठे चार मासूम बच्चों की आंखों में अपने पिता पर पूरा भरोसा था। उन्हें नहीं पता था कि पिता का गुस्सा अब उनकी ज़िंदगी छीनने वाला है। अरुण उन्हें लेकर करीब 10 किलोमीटर दूर कोराहले गांव पहुंचा। खेतों में बने एक गहरे कुएं के पास रुका और वहीं उसने अपने बच्चों को एक-एक करके धक्का दे दिया। उनकी चीखें गांव तक गूंजीं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

कुएं में गूंजती मासूम चीखें

गांव वालों ने बताया कि जब बच्चों को धक्का दिया जा रहा था, तब उनकी चीखें सुनकर रूह कांप गई। कोई बच्चा रो रहा था, कोई पानी से बचने की कोशिश कर रहा था। लेकिन पिता का दिल पत्थर हो चुका था। बच्चों को धक्का देने के बाद अरुण ने भी कुएं में छलांग लगा दी और पांचों की ज़िंदगियां वहीं खत्म हो गईं।

गांव में मातम और सन्नाटा

जब अरुण और उसके बच्चे घर नहीं लौटे तो परिजनों और ग्रामीणों ने तलाश शुरू की। जल्द ही खबर फैली कि उन्होंने कुएं में छलांग लगाई है। पुलिस को सूचना दी गई और शवों को कुएं से बाहर निकाला गया। पूरा गांव सदमे में था। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि अरुण जैसा शांत स्वभाव का आदमी इतना बड़ा कदम उठा सकता है।

लाशों के साथ मिला नया सस्पेंस

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब शव बाहर निकाले गए तो अरुण का बायां हाथ और बायां पैर रस्सी से बंधा हुआ था। सवाल उठे कि क्या उसने खुद को जानबूझकर बांधा ताकि बचने की कोशिश न कर सके? या फिर किसी और ने इस पूरे हृदयविदारक कांड को अंजाम दिया? पुलिस की जांच अब इसी एंगल पर भी चल रही है।

पत्नी की चुप्पी और सदमे में गांव

पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। उसने पुलिस को बताया कि उनकी कहासुनी अक्सर होती थी, लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि अरुण इतना बड़ा कदम उठा लेगा। गांव में हर कोई यही पूछ रहा है कि क्या इस झगड़े का कोई और पहलू था, या फिर अरुण मानसिक तनाव से गुजर रहा था।

मानसिक तनाव और परिवार की जिम्मेदारी

इस हृदयविदारक कांड ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि मानसिक तनाव और घरेलू कलह कितनी खतरनाक हो सकती है। गुस्से का एक पल न केवल इंसान की ज़िंदगी बर्बाद करता है बल्कि पूरे परिवार और समाज को अंधेरे में धकेल देता है।

बच्चों की मासूम मुस्कान की याद

गांव के लोग बताते हैं कि चारों बच्चे बेहद होशियार और मासूम थे। वे स्कूल जाते थे, खेलों में अच्छा करते थे और हमेशा मुस्कुराते रहते थे। उनकी मौत ने पूरे गांव की खुशियां छीन लीं। हर गली और हर घर में अब सन्नाटा है।

पुलिस की जांच और शक की परतें

फिलहाल पुलिस ने इस मामले को आत्महत्या बताया है, लेकिन शवों पर मिली रस्सी की गुत्थी ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह सब अरुण ने अकेले किया या इसमें कोई और भी शामिल था? क्या वह मानसिक रूप से इतना टूट चुका था कि उसने अपने बच्चों को भी साथ ले जाने का फैसला कर लिया?

समाज के लिए सबक

यह घटना हमें यह सिखाती है कि घरेलू विवाद और मानसिक तनाव को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। अगर समय रहते परिवार, दोस्त या समाज ऐसे लोगों की मदद करे तो शायद ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

पब्लिक इम्पैक्ट एनालिसिस

इस हृदयविदारक कांड का असर सिर्फ एक परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे समाज पर पड़ा है। किसान, मजदूर, व्यापारी, हर तबके के लोग सोच रहे हैं कि गुस्से और तनाव की वजह से कितनी जिंदगियां खत्म हो रही हैं।

सवाल जो समाज से पूछे जाने चाहिए

क्या हम अपने घर-परिवार में संवाद को इतना मजबूत बना पा रहे हैं कि कोई भी सदस्य अकेला महसूस न करे?
क्या मानसिक स्वास्थ्य को उतनी गंभीरता से लिया जा रहा है जितनी जरूरत है?
क्या बच्चों के भविष्य की सुरक्षा पर हम पर्याप्त ध्यान दे रहे हैं?

बचाव और समाधान की जरूरत

अगर समाज मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दे, घरेलू विवाद को बातचीत से सुलझाने की कोशिश करे और परिवार के भीतर विश्वास कायम करे, तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका

आज यह हृदयविदारक कांड हर न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या हम केवल खबर पढ़कर आगे बढ़ जाएंगे या इस पर गंभीर चर्चा होगी?

जनता की भावनाएं और गुस्सा

सोशल मीडिया पर लोग इस घटना पर गुस्सा और दुख दोनों जता रहे हैं। कोई अरुण को गुनहगार मान रहा है, तो कोई इसे मानसिक तनाव का नतीजा बता रहा है।

हमारी जिम्मेदारी

हर इंसान की जिम्मेदारी है कि अगर वह अपने आसपास किसी को तनाव में देखे तो उसकी मदद करे। एक छोटी सी बातचीत, थोड़ी सी समझ और सहानुभूति कई जिंदगियां बचा सकती है।

अगर आपके आसपास कोई तनावग्रस्त है, तो उसकी बात जरूर सुनें। गुस्से और विवाद को कभी भी जिंदगी का आखिरी सच मत बनने दें। जीवन अमूल्य है – इसे बचाने का प्रयास करें।

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