दही हांडी हादसा: मानखुर्द में गोविंदा की मौत, 30 घायल – खुशियों भरे त्योहार पर छाया मातम और सवाल
लेखक: आज की ताज़ा खबर NEWS | दिनांक: 16 अगस्त 2025
![]() |
| दही हांडी हादसा मानखुर्द गोविंदा मौत 2025 |
मानखुर्द में दही हांडी हादसा जिसने सबको हिला दिया
मानखुर्द का इलाका शनिवार को जन्माष्टमी की खुशी में डूबा हुआ था। चारों तरफ रंगीन झालरें, ढोल-ताशे और "गोविंदा आला रे…" की गूंज थी। लेकिन अचानक आई एक घटना ने इन सारी खुशियों को मातम में बदल दिया। 32 वर्षीय गोविंदा जगमोहन शिवकिरण चौधरी दही हांडी बांधते समय गिर पड़े और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। साथ ही मुंबई-ठाणे में 30 से ज्यादा गोविंदा घायल हो गए। इस दही हांडी हादसा ने पूरे महाराष्ट्र को झकझोर दिया और अब हर कोई सवाल पूछ रहा है – आखिर सुरक्षा इंतज़ाम कहां चूक गए।
त्योहार की रौनक कैसे पलभर में मातम में बदली
जन्माष्टमी पर दही हांडी मुंबई और महाराष्ट्र की पहचान है। छोटे-बड़े मोहल्लों में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इस पर्व का इंतजार करते हैं। लेकिन मानखुर्द का यह दही हांडी हादसा इस बार इतना दर्दनाक रहा कि वहां मौजूद लोग कुछ समझ ही नहीं पाए। कुछ ही सेकंड में ढोल की आवाज़ें चीखों में बदल गईं। लोग भगवान कृष्ण का जयकारा लगा रहे थे और अचानक वहां रोने-बिलखने की आवाजें गूंजने लगीं।
मृतक गोविंदा की पहचान और परिवार का दर्द
32 वर्षीय जगमोहन शिवकिरण चौधरी अपने मोहल्ले में सबसे एक्टिव गोविंदा माने जाते थे। परिवार के लोग कहते हैं कि वह हर साल दही हांडी उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। लेकिन इस बार किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। जगमोहन के घर की पहली मंजिल से वह मिट्टी की मटकी बांध रहे थे, तभी उनका संतुलन बिगड़ गया और वे सीधा नीचे गिर पड़े। परिवार की आंखों में आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे। मोहल्ले का हर इंसान यही कह रहा है – त्योहार की खुशियों ने एक परिवार से उनका सहारा छीन लिया।
मुंबई-ठाणे में 30 से ज्यादा घायल गोविंदा
दही हांडी हादसा सिर्फ मानखुर्द तक सीमित नहीं रहा। मुंबई और ठाणे में कुल 30 लोग घायल हुए। भारी बारिश के बीच भी गोविंदा पिरामिड बनाने से पीछे नहीं हटे। लेकिन फिसलन और भीड़ के कारण कई जगह हादसे हो गए। 18 लोग दक्षिण मुंबई से, 6 लोग पूर्वी मुंबई से और 6 लोग पश्चिमी मुंबई से घायल बताए गए हैं। इनमें से 15 लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। यह आंकड़ा बताता है कि त्योहार की खुशी और रोमांच कई बार जान पर भारी पड़ जाता है।
दही हांडी की परंपरा और उसका महत्व
दही हांडी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि यह भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की याद दिलाता है। माखन चोरी की इस परंपरा में गोविंदा इंसानी पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर रखी मटकी फोड़ते हैं। पूरा इलाका तालियों और नारों से गूंज उठता है। लेकिन मानखुर्द दही हांडी हादसा ने इस परंपरा को सवालों के घेरे में डाल दिया है। क्या अब वक्त आ गया है कि हम परंपरा और सुरक्षा दोनों को साथ लेकर चलें।
हादसे की गवाही देते चश्मदीद
स्थानीय लोगों ने बताया कि सबकुछ अचानक हुआ। एक चश्मदीद ने कहा – "हम ढोल-ताशे बजा रहे थे, अचानक देखा कि जगमोहन नीचे गिर पड़े। किसी ने सोचा भी नहीं था कि ऐसा हो सकता है।" उनकी यह गवाही दही हांडी हादसा को और भी दिल दहला देने वाला बना देती है। कई लोगों ने कहा कि त्योहार की मस्ती में सुरक्षा पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया था।
अस्पतालों में भगदड़ और घायलों की हालत
हादसे के बाद मुंबई और ठाणे के अस्पतालों में घायलों को लाया गया। कई घायल बच्चों और युवाओं के सिर, हाथ और पैरों में गंभीर चोटें हैं। डॉक्टरों ने कहा कि वक्त पर इलाज नहीं मिलता तो मौतों की संख्या और बढ़ सकती थी। परिवार वाले अपने घायलों को देखकर रोते-बिलखते रहे। यह दही हांडी हादसा सिर्फ एक दिन की खबर नहीं, बल्कि एक जख्म है जो लंबे समय तक याद रहेगा।
क्या सुरक्षा इंतज़ाम नाकाफी थे?
हर साल दही हांडी पर प्रशासन सुरक्षा का दावा करता है। लेकिन इस बार मानखुर्द दही हांडी हादसा ने इन दावों की पोल खोल दी। न तो बारिश को देखते हुए वैकल्पिक इंतज़ाम किए गए और न ही मेडिकल टीम पर्याप्त संख्या में मौजूद थी। सवाल उठ रहा है – क्या भीड़ के दबाव में आयोजकों ने लापरवाही की? और सबसे बड़ा सवाल – क्या यह हादसा टाला जा सकता था?
भारी बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें
मुंबई और ठाणे में जन्माष्टमी के दिन लगातार बारिश हो रही थी। भीगती सड़कों और फिसलन ने गोविंदाओं के लिए चुनौती खड़ी कर दी। फिर भी परंपरा निभाने की जिद ने कई जिंदगियां खतरे में डाल दीं। दही हांडी हादसा का एक बड़ा कारण यह बारिश भी रही। अगर मौसम को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम रोका जाता, तो शायद यह हादसा नहीं होता।
परंपरा बनाम जिंदगी का सवाल
दही हांडी महाराष्ट्र की जान है। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या परंपरा के नाम पर जिंदगियों को खतरे में डालना सही है? मानखुर्द का दही हांडी हादसा इस बहस को और तेज कर गया है। एक तरफ लोग कहते हैं कि भगवान कृष्ण की याद में यह पर्व जरूरी है, वहीं दूसरी तरफ परिवार पूछते हैं कि उनके बेटे की मौत का जिम्मेदार कौन है।
राजनीति और हादसे पर बयानबाज़ी
जैसे ही दही हांडी हादसा की खबर फैली, नेताओं ने अपने-अपने बयान देने शुरू कर दिए। कोई इसे प्रशासन की लापरवाही बता रहा है तो कोई आयोजन समिति को दोषी मान रहा है। लेकिन जनता का कहना है कि सिर्फ बयानबाज़ी से काम नहीं चलेगा। उन्हें ठोस कदम चाहिए ताकि आगे से इस तरह की त्रासदी दोबारा न हो।
सोशल मीडिया पर गुस्सा और भावुकता
दही हांडी हादसा सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड कर रहा है। लोग RIP लिखकर शोक जता रहे हैं और कई लोग सुरक्षा पर सवाल उठा रहे हैं। ट्विटर और फेसबुक पर यह चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है। खासकर मुंबईकरों का कहना है कि हर साल ऐसी घटनाएं होती हैं और सरकार सिर्फ वादे करती है।
परिवार का रोता-बिलखता हाल
जगमोहन चौधरी का परिवार टूट चुका है। उनकी पत्नी बार-बार यही कह रही है – "त्योहार ने मेरी दुनिया उजाड़ दी।" बच्चे अपने पिता को याद कर रो रहे हैं। यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर देता है। दही हांडी हादसा ने एक परिवार की खुशियां छीन लीं और उन्हें जिंदगी भर का दर्द दे दिया।
त्योहार और सुरक्षा – सबक लेने का वक्त
दही हांडी उत्सव का असली मकसद भगवान कृष्ण की लीलाओं को याद करना और समाज में एकता का संदेश देना है। लेकिन मानखुर्द दही हांडी हादसा ने यह साबित कर दिया कि बिना सुरक्षा कोई भी त्योहार अधूरा है। अब वक्त आ गया है कि प्रशासन और आयोजक मिलकर ऐसे नियम बनाएं जो हर गोविंदा और हर परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
Public Impact Analysis
मानखुर्द का दही हांडी हादसा हमें गहरा सबक देता है। यह घटना बताती है कि खुशी और परंपरा के बीच संतुलन जरूरी है। परंपराएं हमारी धरोहर हैं, लेकिन अगर सुरक्षा की अनदेखी होगी तो वे मौत का सबब बन जाएंगी। हर परिवार चाहता है कि उनके बच्चे उत्सव में शामिल हों लेकिन सुरक्षित घर लौटें। अगर इस हादसे के बाद भी हम नहीं जागे, तो आने वाले सालों में दही हांडी जैसे त्योहार खतरनाक साबित होंगे।
अगर आप चाहते हैं कि अगले साल दही हांडी हादसा जैसी त्रासदी न हो, तो इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। सुरक्षा को लेकर अपनी आवाज उठाएं और प्रशासन तक यह संदेश पहुंचाएं कि परंपरा तभी खूबसूरत है जब हर परिवार सुरक्षित रहे।
