गणेश चतुर्थी 2025: प्लास्टिक फूल पर 105 विधायकों की चिट्ठी से हड़कंप

महाराष्ट्र में भड़क सकता है प्लास्टिक फूलों का बवंडर! 105 विधायकों ने मुख्यमंत्री के सामने रखी ये बड़ी डिमांड, अब क्या होगा?

जैसे जैसे गणेश चतुर्थी का पवित्र त्योहार नजदीक आ रहा है, महाराष्ट्र की सियासत में एक नया मुद्दा गर्माया हुआ है। अब बात सिर्फ विसर्जन की नहीं, बल्कि सजावट की है। जी हां, पूरे राज्य में अब प्लास्टिक फूलों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगने की पूरी पूरी संभावना नजर आ रही है। ये मांग इतनी जोर पकड़ चुकी है कि राज्य के 105 विधायकों ने खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सामने इसकी मांग रखी है। और सबसे बड़ी बात ये है कि मुख्यमंत्री ने भी इस पर सहमति जता दी है। तो क्या इस साल गणपति की स्थापना में प्लास्टिक के फूल दिखाई नहीं देंगे। ये सवाल अब हर किसी के मन में है।

महाराष्ट्र में प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध की तैयारी! 105 विधायकों ने उठाई आवाज, किसानों को मिलेगा फायदा। जानिए पूरी खबर। गणेश चतुर्थी, पर्यावरण, महाराष्ट्र सरकार।

किसानों के आंसू पोछने आई है ये मुहिम

इस पूरे मामले की शुरुआत हुई है तासगांव-कवठेमहांकाळ के विधायक रोहित पाटील से। उन्होंने ही मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपकर इस गंभीर मुद्दे को उठाया। उनका कहना है कि त्योहारों के समय में प्लास्टिक के फूलों की भरमार हो जाती है जिसकी वजह से असली फूल उगाने वाले किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है। विधायक रोहित पाटील की इस मांग को देखते हुए दूसरे विधायकों ने भी उनका साथ दिया और ये आवाज इतनी मजबूत हो गई कि सरकार के कानों तक पहुंची। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक फूलों की वजह से फूलों की खेती करने वाले किसानों का व्यवसाय संकट में आ गया है और उन्हें मोटा नुकसान उठाना पड़ रहा है .

मुख्यमंत्री ने दिया है ये बड़ा भरोसा

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस मामले पर गंभीरता दिखाई है। उन्होंने न सिर्फ इस मांग को सुना बल्कि इस पर तुरंत कार्यवाई का भरोसा भी दिलाया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जल्द ही इस विषय पर एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई जाएगी। इस बैठक में फलोत्पादन मंत्री भरत गोगावले और पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे भी शामिल होंगे। ये बैठक इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लेने के लिए बहुत जरूरी मानी जा रही है। मुख्यमंत्री ने इस बैठक में तुरंत निर्णय लेने का आश्वासन दिया है ताकि किसानों को जल्द से जल्द राहत मिल सके .

क्यों है प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध जरूरी

प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध लगाना सिर्फ किसानों के हित में ही नहीं बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी बहुत जरूरी है। जिस तरह प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगने से पर्यावरण को काफी फायदा हुआ है, ठीक उसी तरह प्लास्टिक फूलों पर रोक लगने से भी प्रकृति को राहत मिलेगी। ये फूल न तो गलते हैं और न ही इनका कोई सही से निस्तारण हो पाता है। जिसकी वजह से ये जमीन और पानी दोनों को प्रदूषित करते हैं। इन प्लास्टिक फूलों में टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे जहरीले तत्व होते हैं जो सेहत के लिए बहुत हानिकारक हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं .

किसानों की मेहनत हो रही है बर्बाद

फुलशेती यानि फूलों की खेती करने वाले किसानों के लिए ये मामला बहुत अहम है। फूलों की खेती में लागत तो बहुत ज्यादा आती है लेकिन मुनाफा बहुत कम होता है। ऐसे में जब त्योहारों के मौके पर प्लास्टिक के सस्ते फूल बाजार में आ जाते हैं तो किसानों के असली फूल बिकते ही नहीं। उनकी मेहनत बेकार चली जाती है और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए ये प्रतिबंध किसानों के लिए एक राहत की खबर की तरह है। सातारा जिले में तो फूलों की खेती करने वाले ग्रीनहाउस की संख्या 1300 से घटकर महज 50 रह गई है जो कि एक बहुत बड़ी तबाही का संकेत है .

क्या कहते हैं मंत्री और विधायक

इस मामले पर फलोत्पादन मंत्री भरत गोगावले का कहना है कि सरकार इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रही है। प्लास्टिक फूलों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने के विकल्पों पर तेजी से काम चल रहा है। वहीं विधायक रोहित पवार ने साफ कहा कि ये मुद्दा किसानों के हित से जुड़ा हुआ है और सरकार को जल्द से जल्द इस पर कोई ठोस फैसला लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि 105 विधायकों का साथ मिलना ये दिखाता है कि ये सिर्फ एक पार्टी का नहीं बल्कि पूरे राज्य का मुद्दा है। महाराष्ट्र सरकार ने कृत्रिम फूलों पर बंदी लगाने का फैसला किया है और ये बहुत जल्द लागू होगा .

त्योहारों पर होगा क्या असर

अगर सरकार प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध लगाती है तो इसका सीधा असर गणेश चतुर्थी जैसे बड़े त्योहारों पर देखने को मिलेगा। मंडपों की सजावट में अब शायद ही प्लास्टिक के फूल दिखाई दें। लोगों को प्राकृतिक फूलों का इस्तेमाल करना होगा। जो की पर्यावरण के लिए तो अच्छा है ही साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा। हालांकि शुरुआत में थोड़ी दिक्कत जरूर हो सकती है क्योंकि प्राकृतिक फूलों की availability कम होगी और कीमतें ज्यादा हो सकती हैं लेकिन लंबे समय में ये फायदेमंद ही साबित होगा .

सरकार की तैयारी क्या है

ऐसा लग रहा है कि सरकार इस बार इस मामले में गंभीर है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अब जल्द ही मंत्रियों की बैठक होगी और उम्मीद है कि इसमें एक ठोस रणनीति बनाई जाएगी। संभावना ये है कि पहले तो लोगों को जागरूक किया जाएगा और फिर धीरे धीरे करके पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। ताकि लोगों को इसकी आदत पड़ जाए और बाजार में प्राकृतिक फूलों की उपलधता भी बनी रहे। फलोत्पादन मंत्री भरत गोगावले ने खुद कहा है कि सरकार कृत्रिम फूलों पर बंदी लगा रही है और ये फैसला बहुत जल्द आने वाला है .

जनता की क्या है प्रतिक्रिया

इस प्रस्तावित प्रतिबंध को लेकर आम जनता की प्रतिक्रिया अलग अलग है। कुछ लोग इसे पर्यावरण और किसानों के लिए एक सराहनीय कदम मान रहे हैं तो कुछ का कहना है कि प्राकृतिक फूल महंगे होते हैं और हर कोई उन्हें खरीद नहीं सकता। प्लास्टिक फूल सस्ते और टिकाऊ होते हैं। ऐसे में सरकार को प्राकृतिक फूलों की कीमतों पर भी नियंत्रण रखना होगा ताकि आम आदमी पर इसका बोझ न पड़े। कुछ लोगों का ये भी कहना है कि अगर प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध लगता है तो इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और उनका जीवन स्तर सुधरेगा .

क्या है आगे की राह

अब आने वाले समय में क्या होगा ये सबकी जिज्ञासा का विषय है। सरकार की बैठक में क्या फैसला होता है ये तो time ही बताएगा। लेकिन इतना तो तय है कि अगर ये प्रतिबंध लगता है तो इससे किसानों को काफी फायदा होगा। उनकी आय बढ़ेगी और वो खुशहाल होंगे। साथ ही पर्यावरण को भी एक बड़े खतरे से छुटकारा मिलेगा। ये एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है। महाराष्ट्र सरकार का ये फैसला देश के दूसरे राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है और पूरे देश में प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध लग सकता है .

प्लास्टिक फूलों के स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव

प्लास्टिक फूलों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। इनमें टाइटेनियम डाइऑक्साइड, फॉर्मेल्डिहाइड, बेंजीन और टोल्यूनि जैसे जहरीले तत्व पाए जाते हैं जो लोगों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। ये केमिकल्स हवा के साथ मिलकर सांस के जरिए शरीर में पहुंच जाते हैं और धीरे धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए ये और भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। कुछ यूरोपीय देशों में तो इन प्लास्टिक फूलों पर पहले ही प्रतिबंध लग चुका है .

पर्यावरण को हो रहा है भारी नुकसान

प्लास्टिक फूल पर्यावरण के लिए एक बहुत बड़ा खतरा हैं। ये फूल कभी भी गलते नहीं हैं और सैकड़ों सालों तक जमीन और पानी में पड़े रहते हैं। इनसे निकलने वाले माइक्रोप्लास्टिक्स जमीन और पानी को प्रदूषित करते हैं और जानवरों और इंसानों की सेहत के लिए खतरा बनते हैं। नदियों और नालों में जमा होकर ये फूल बाढ़ का कारण भी बनते हैं। महाराष्ट्र सरकार के लिए ये बहुत जरूरी है कि वो पर्यावरण को हो रहे इस नुकसान को रोकने के लिए जल्द से जल्द प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध लगाए .

किसानों की बदहाली की कहानी

फूलों की खेती करने वाले किसानों की हालत बहुत खराब हो गई है। प्लास्टिक फूलों की वजह से उनके असली फूलों की demand बहुत कम हो गई है और उन्हें अपने फूलों को बहुत कम दामों में बेचना पड़ रहा है। कई किसान तो फूलों की खेती छोड़कर दूसरे काम करने पर मजबूर हो गए हैं। सरकार ने किसानों को पॉलीहाउस लगाने के लिए सब्सिडी दी थी लेकिन प्लास्टिक फूलों की वजह से उनकी मेहनत बेकार चली गई। अब सरकार का ये कदम किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है .

राजनीतिक एकजुटता दिखी मुद्दे पर

इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एकजुट दिखाई दिए हैं। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के 105 विधायकों ने मिलकर इस मांग को支持 दिया है। ये बहुत ही अहम बात है क्योंकि आमतौर पर राजनीतिक दलों में हर मुद्दे पर मतभेद होते हैं लेकिन इस मुद्दे पर सभी एक साथ खड़े दिखाई दिए। इससे पता चलता है कि ये मुद्दा सिर्फ राजनीति नहीं बल्कि जनता से जुड़ा हुआ है और सभी दल किसानों के हित में काम करना चाहते हैं .

गणेशोत्सव पर क्या पड़ेगा असर

गणेशोत्सव महाराष्ट्र का सबसे बड़ा त्योहार है और इस दौरान प्लास्टिक फूलों की सजावट का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है। अगर सरकार प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध लगाती है तो इस साल के गणेशोत्सव में लोगों को प्राकृतिक फूलों का इस्तेमाल करना होगा। शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हो सकती है लेकिन ये पर्यावरण और किसानों दोनों के लिए फायदेमंद होगा। कुछ लोगों का कहना है कि प्राकृतिक फूलों की सजावट ज्यादा खूबसूरत और परंपरागत लगती है और इससे त्योहार का असली मजा आता है .

सरकार की प्लास्टिक मुक्ति की कोशिशें

महाराष्ट्र सरकार पहले से ही प्लास्टिक मुक्ति की दिशा में काम कर रही है। प्लास्टिक की थैलियों पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है और अब प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी है। सरकार का ये कदम पर्यावरण को सुरक्षित रखने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। सरकार नागरिकों से भी अपील कर रही है कि वो प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करें और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में अपना योगदान दें .

जागरूकता अभियान की जरूरत

प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध लगाने के साथ साथ सरकार को जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए। लोगों को प्लास्टिक फूलों के नुकसान के बारे में बताना चाहिए और उन्हें प्राकृतिक फूलों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में भी इस विषय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। लोगों को समझाना होगा कि प्राकृतिक फूलों का इस्तेमाल न सिर्फ उनके लिए बल्कि पूरे समाज के लिए फायदेमंद है .

निष्कर्ष: एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत

महाराष्ट्र सरकार का प्लास्टिक फूलों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हो सकता है। इससे न सिर्फ किसानों को फायदा होगा बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। लोगों को भी इसका समर्थन करना चाहिए और प्राकृतिक फूलों का इस्तेमाल बढ़ाना चाहिए। आइए मिलकर इस पहल को सफल बनाएं और एक स्वच्छ और हरित भविष्य का निर्माण करें। ये हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम पर्यावरण को सुरक्षित रखें और किसानों का समर्थन करें।

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