15 देश अलग हुए, लेकिन रूस की नजर सिर्फ यूक्रेन पर! क्या पश्चिम की ओर झुकाव की ये है कीमत?
सोवियत संघ का विघटन और 15 देशों का जन्म
1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद 15 नए देशों का जन्म हुआ, जिनमें रूस, यूक्रेन, बेलारूस, और बाल्टिक देश (एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया) शामिल थे । रूस खुद को सोवियत संघ का वारिस मानता है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन 15 देशों में से रूस सिर्फ यूक्रेन को ही निशाना बना रहा है। आखिर क्यों? क्या यूक्रेन का पश्चिमी देशों की ओर झुकाव रूस को नागवार गुजर रहा है, या फिर इसके पीछे कोई और वजह है?यूक्रेन का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
यूक्रेन की राजधानी कीव को रूसी सभ्यता की जननी माना जाता है। मध्यकाल में कीवान रस यहीं से फला-फूला, और आज का रूस और यूक्रेन दोनों इसी सांस्कृतिक विरासत के वारिस हैं। रूस यूक्रेन को अपना "छोटा भाई" मानता है, और उसकी स्वतंत्रता को कभी पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया। जब यूक्रेन यूरोपीय संघ और नाटो की ओर बढ़ने लगा, तो रूस को लगा कि उसकी ऐतिहासिक विरासत उससे छीनी जा रही है।| रूस मानता है कि यूक्रेन की राजधानी कीव से ही उसकी संस्कृति उपजी. |
नाटो के विस्तार का डर
रूस की सुरक्षा चिंताओं में नाटो का विस्तार सबसे बड़ा कारण है। 1990 के दशक में जब पूर्वी यूरोप के देश नाटो में शामिल हुए, तो रूस ने इसे अपनी सीमाओं के करीब एक खतरा माना। यूक्रेन अगर नाटो में शामिल हो जाता, तो रूस की पश्चिमी सीमा सीधे तौर पर नाटो से घिर जाती। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे "रेड लाइन" बताया और यूक्रेन पर दबाव बनाना शुरू किया।क्रीमिया और पूर्वी यूक्रेन का महत्व
2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया, जो कि काला सागर में रूसी नौसेना के लिए रणनीतिक रूप से अहम है। क्रीमिया से रूस समुद्री मार्गों पर नजर रख सकता है और अपनी सैन्य उपस्थिति मजबूत कर सकता है। इसके अलावा, पूर्वी यूक्रेन (डोनबास) में रूसी-भाषी आबादी है, जिसे रूस "संरक्षण" देने का बहाना बनाता है। यहाँ के कोयला और खनिज संसाधन भी रूस की लालच का हिस्सा हैं।आर्थिक और भू-राजनीतिक कारण
यूक्रेन यूरोप का "ब्रेडबास्केट" कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की उपजाऊ जमीन दुनिया की 25% खाद्यान्न आपूर्ति करती है। रूस चाहता है कि यूक्रेन उसके आर्थिक प्रभाव में रहे, न कि पश्चिम का हिस्सा बने। इसके अलावा, यूक्रेन से होकर रूसी गैस पाइपलाइनें यूरोप तक जाती हैं, जो रूस के लिए आय का प्रमुख स्रोत हैं। अगर यूक्रेन पश्चिम की ओर झुकता है, तो रूस की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ेगा।पश्चिमी हस्तक्षेप और रूस की प्रतिक्रिया
रूस मानता है कि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन में "रंगीन क्रांति" को प्रायोजित किया, जिससे 2014 में यूक्रेन के रूस-समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता छोड़नी पड़ी। इसके बाद यूक्रेन ने यूरोपीय संघ के साथ समझौता किया, जिसे रूस ने अपने हितों के खिलाफ माना। रूस ने इसे पश्चिम की "साजिश" बताया और यूक्रेन में सैन्य हस्तक्षेप शुरू किया।बाल्टिक देशों के मुकाबले यूक्रेन की स्थिति
बाल्टिक देश (एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया) 2004 में नाटो में शामिल हो गए, लेकिन रूस ने उन पर हमला नहीं किया। इसकी वजह ये है कि ये देश छोटे हैं और नाटो की सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा हैं। रूस नाटो से सीधे टकराव से बचना चाहता है। यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं था, इसलिए रूस ने उसे निशाना बनाया।
रूसी प्रोपेगंडा और सूचना युद्ध
रूस ने यूक्रेन को "फासीवादी" और "रूस-विरोधी" बताकर अपने हमले को जायज ठहराने की कोशिश की। रूसी मीडिया में यूक्रेन को एक कृत्रिम देश बताया गया, जिसे रूस से जबरन अलग किया गया। इस तरह के प्रोपेगंडा से रूसी जनता में यूक्रेन के खिलाफ नफरत फैलाई गई और सैन्य कार्रवाई का समर्थन हासिल किया।अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और यूक्रेन का प्रतिरोध
रूस के हमले के बाद यूक्रेन को पश्चिमी देशों से भारी सैन्य और आर्थिक मदद मिली। यूक्रेनी सेना और आम नागरिकों ने जबरदस्त प्रतिरोध किया, जिसने रूसी सेना को हैरान कर दिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस की किरकिरी हुई, और उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए। लेकिन रूस ने अपनी रणनीति नहीं बदली और यूक्रेन पर दबाव बनाए रखा।भविष्य की चुनौतियाँ और शांति की संभावना
युद्ध अब भी जारी है, और शांति की कोई ठोस संभावना नजर नहीं आ रही। रूस यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर कब्जा जमाए हुए है, और यूक्रेन उन्हें वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। अमेरिका और यूरोपीय संघ बीच-बचाव की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन रूस यूक्रेन की तटस्थता की गारंटी चाहता है, जबकि यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और सोवियत संघ के बिखराव से जुड़े सामान्य सवाल (FAQ)
Q1. सोवियत संघ से कितने देश अलग हुए थे?
👉 1991 में सोवियत संघ टूटने के बाद कुल 15 स्वतंत्र देश बने थे। इनमें रूस सबसे बड़ा और शक्तिशाली देश है।
Q2. रूस का निशाना सिर्फ यूक्रेन ही क्यों है, बाकी 13 देश क्यों नहीं?
👉 इसके कई कारण हैं:
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ऐतिहासिक जुड़ाव: रूस मानता है कि उसकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की शुरुआत कीव (यूक्रेन की राजधानी) से हुई।
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भौगोलिक रणनीति: यूक्रेन रूस और यूरोप के बीच एक बफर ज़ोन है।
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पश्चिम का प्रभाव: यूक्रेन यूरोपीय संघ और नाटो के करीब जाता रहा है, जिससे रूस को खतरा महसूस हुआ।
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संसाधन और आकार: यूक्रेन बड़ा देश है और इसके पास भरपूर प्राकृतिक संसाधन हैं।
Q3. बाकी देश रूस से क्यों नहीं भिड़े?
👉 बाल्टिक देश (लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया) सीधे यूरोपीय संघ और नाटो से जुड़ गए। अन्य देश या तो छोटे थे या खुद रूस के करीब रहे। इस वजह से रूस ने उन पर सीधा हमला नहीं किया।
Q4. रूस-यूक्रेन विवाद की शुरुआत कब हुई?
👉 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। इसके बाद पूर्वी यूक्रेन (डोनबास क्षेत्र) में अलगाववादियों को सपोर्ट करना शुरू किया। 2022 में रूस ने पूरे यूक्रेन पर बड़ा हमला किया।
Q5. रूस किन इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है?
👉 रूस की नज़र इन इलाकों पर है:
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खारकीव
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डोनेट्स्क
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लुहान्स्क
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खेरसॉन
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जापोरिझझिया
Q6. रूस यूक्रेन कीव को इतना महत्व क्यों देता है?
👉 कीव को रूस अपनी सभ्यता और राष्ट्रीय पहचान का जन्मस्थान मानता है। यही वजह है कि वो यूक्रेन को अलग देश की तरह नहीं देखना चाहता।
Q7. अमेरिका और पश्चिमी देशों की भूमिका क्या है?
👉 अमेरिका और यूरोप यूक्रेन को सपोर्ट करते हैं, लेकिन रूस मानता है कि यह उसकी सुरक्षा के लिए खतरा है। अगर यूक्रेन नाटो में शामिल हो जाता, तो रूस की पश्चिमी सीमा पर सीधे अमेरिकी सैनिक मौजूद होते।
Q8. क्या ये जंग जल्दी खत्म हो सकती है?
👉 अभी हालात ऐसे नहीं दिख रहे। रूस यूक्रेन से समझौता करवाना चाहता है, जबकि यूक्रेन अपनी जमीन बचाने की कोशिश कर रहा है। पश्चिमी देशों की दखल से यह और जटिल हो गया है।
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