नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री की कृपा से होती है जीवन की हर बाधा दूर, ऐसे करें पूजा और पाएं अनंत सुखों की प्राप्ति!
नवरात्रि के पहले दिन किस देवी की पूजा होती है
मां शैलपुत्री की पूजा विधि क्या है
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से पहले कलश स्थापना की जाती है। सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। फिर मां को धूप, दीप, फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं। मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती उतारें। घटस्थापना के लिए एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उसके ऊपर कलश स्थापित करें। कलश में जल, सिक्के, सुपारी और आम के पत्ते रखें और ऊपर नारियल बांधें। इस कलश को मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है और नौ दिनों तक इसकी पूजा की जाती है ।
मां शैलपुत्री के मंत्र और आरती
मां शैलपुत्री की पूजा में इन मंत्रों का जाप करना बहुत ही फलदायी माना जाता है। ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः मंत्र का जाप करने से मां शैलपुत्री की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। मां शैलपुत्री की आरती में शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार। शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी। पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे। जैसे पंक्तियों का गायन किया जाता है। आरती के बाद मां के चरणों में अपनी सभी इच्छाएं समर्पित कर दें ।
मां शैलपुत्री की अद्भुत कथा
मां शैलपुत्री की कथा बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक है। पूर्व जन्म में मां शैलपुत्री राजा दक्ष की पुत्री सती थीं और भगवान शिव की पत्नी थीं। एक बार राजा दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया लेकिन उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। फिर भी सती बिना बुलाए यज्ञ में पहुंच गईं। वहां राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया जिससे दुखी होकर सती ने खुद को योगाग्नि में भस्म कर लिया। अगले जन्म में सती ने हिमालय के घर जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाईं। इस जन्म में भी उन्होंने भगवान शिव से ही विवाह किया और मां पार्वती के नाम से जानी गईं। मां शैलपुत्री की कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची भक्ति और दृढ़ संकल्प से हम हर कठिनाई को पार कर सकते हैं ।
मां शैलपुत्री का ध्यान और प्रार्थना
मां शैलपुत्री का ध्यान करने के लिए उन्हें पर्वत की पुत्री के रूप में याद करें। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है और वे बैल पर सवार हैं। उनके माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है और उनका रूप अत्यंत दिव्य और कांतिमय है। मां शैलपुत्री की प्रार्थना में उनसे जीवन में स्थिरता, शांति और समृद्धि की कामना करें। मां से प्रार्थना करें कि वे हमारे जीवन की सारी बाधाओं को दूर करें और हमें आंतरिक शक्ति प्रदान करें। मां शैलपुत्री की भक्ति से हमारा मूलाधार चakra जागृत होता है जो हमें जीवन में मजबूती और स्थिरता प्रदान करता है .
मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि वे नवरात्रि की पहली देवी हैं और इनकी पूजा से नवरात्रि पर्व की शुरुआत होती है। मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों के जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं और उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मां शैलपुत्री चंद्रमा की स्वामिनी हैं इसलिए इनकी पूजा से चंद्रमा के दोष दूर होते हैं और मानसिक शांति मिलती है। मां शैलपुत्री की कृपा से भक्तों का जीवन सुखमय और समृद्धिशाली बनता है और उन्हें हर तरह की सफलता प्राप्त होती है .
नवरात्रि के पहले दिन की अन्य महत्वपूर्ण रस्में
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के अलावा कई अन्य रस्में भी की जाती हैं। इस दिन देवी के सोलह उपचारों से पूजा की जाती है जिसमें देवी को जल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित किए जाते हैं। इस दिन अखंड दीप जलाया जाता है जो नौ दिनों तक जलता रहता है। घर के मुख्य द्वार पर काजल और चूने का टीका लगाया जाता है जिससे नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पातीं। इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जाता है जिससे देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है .
मां शैलपुत्री की पूजा के लिए विशेष सुझाव
मां शैलपुत्री की पूजा के लिए कुछ विशेष सुझाव हैं जिनका पालन करने से आपको मां की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है। पूजा के दौरान लाल रंग के फूल और लाल रंग की वस्तुओं का प्रयोग करें क्योंकि लाल रंग मां शैलपुत्री का प्रिय रंग है। पूजा में शहद, घी और मिठाई का भोग लगाएं। मां शैलपुत्री की पूजा में सात प्रकार के अनाज का प्रयोग करें। पूजा के बाद प्रसाद को सभी परिवारजनों में बांटें और खुद भी ग्रहण करें। मां शैलपुत्री की पूजा करते समय मन में किसी के प्रति बुराई न रखें और पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करें .
नवरात्रि के पहले दिन का रंग और उसका महत्व
नवरात्रि के पहले दिन लाल रंग का विशेष महत्व है। इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनने और लाल रंग की वस्तुओं का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। लाल रंग शक्ति, ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है और मां शैलपुत्री को यह रंग अत्यंत प्रिय है। लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने से मां शैलपुत्री की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लाल रंग प्रेम और भक्ति का भी प्रतीक है इसलिए इस दिन लाल रंग धारण करने से मां की भक्ति और प्रेम की प्राप्ति होती है .
मां शैलपुत्री और मूलाधार चakra का संबंध
मां शैलपुत्री का संबंध मूलाधार चakra से है। मूलाधार चakra हमारे शरीर का आधार चakra है और यह हमें स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है। मां शैलपुत्री की पूजा और ध्यान से मूलाधार चakra जागृत होता है जिससे हमारे जीवन में स्थिरता आती है और हम हर कठिनाई का सामना करने में सक्षम होते हैं। मूलाधार चakra के जागृत होने से हमारे अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है और हम जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं। मां शैलपुत्री की कृपा से हमारा मूलाधार चakra सक्रिय होता है और हमें जीवन में सफलता प्राप्त होती है .
नवरात्रि के पहले दिन का उपवास और भोजन
नवरात्रि के पहले दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करने की सलाह दी जाती है और लहसुन, प्याज आदि तामसिक भोजन से परहेज किया जाता है। उपवास में फल, दूध, साबुदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा आदि का सेवन किया जा सकता है। इस दिन नींबू और अदरक का detox drink भी लिया जा सकता है जो शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है। उपवास के दौरान शरीर और मन की शुद्धि पर ध्यान देना चाहिए और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए .
मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ
मां शैलपुत्री की पूजा से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इनकी पूजा से चंद्रमा के दोष दूर होते हैं और मानसिक शांति मिलती है। मां शैलपुत्री की कृपा से भक्तों के जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं और उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मां शैलपुत्री की पूजा से विवाहित जोड़ों के बीच प्रेम और स्नेह बढ़ता है और उनके रिश्ते मजबूत होते हैं। मां शैलपुत्री की भक्ति से भक्तों को करियर और व्यवसाय में सफलता मिलती है और उनके जीवन में स्थिरता आती है .
मां शैलपुत्री की पूजा में सावधानियां
मां शैलपुत्री की पूजा करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। पूजा करते समय मन शांत और एकाग्र होना चाहिए और किसी के प्रति बुरे विचार नहीं रखने चाहिए। पूजा के दौरान बिना स्नान किए नहीं बैठना चाहिए और पूजा सामग्री पहले से तैयार कर लेनी चाहिए। पूजा में इस्तेमाल होने वाले फूल और फल ताजे होने चाहिए और बासी नहीं होने चाहिए। पूजा के बाद प्रसाद को सभी में बांटना चाहिए और खुद भी ग्रहण करना चाहिए। पूजा करते समय मां के मंत्रों का सही उच्चारण करना चाहिए और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करनी चाहिए .
Public Impact Analysis: आम जनता पर क्या पड़ता है प्रभाव
मां शैलपुत्री की पूजा का आम जनता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस पूजा से लोगों के जीवन में आध्यात्मिक और मानसिक शांति मिलती है और उनका तनाव कम होता है। मां शैलपुत्री की कृपा से लोगों के जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें सफलता प्राप्त होती है। नवरात्रि के पहले दिन की पूजा से समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और लोगों के बीच प्रेम और भाईचारा बढ़ता है। मां शैलपुत्री की पूजा से लोगों का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं। इस तरह मां शैलपुत्री की पूजा का आम जनता के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है .
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