धमाकेदार जीत! मनोज जरांगे के आमरण अनशन के 5वें दिन महाराष्ट्र सरकार झुकी, मराठाओं को मिला कुनबी दर्जा, अब ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ
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| सरकार के जीआर के बाद मुंबई छोड़ेंगे मनोज जरांगे |
क्या था पूरा मामला
दरअसल ये पूरा मामला काफी लंबे समय से चला आ रहा था। मराठा समुदाय की मांग थी कि उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी की श्रेणी में शामिल किया जाए ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके। इसी मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल ने कई सालों से आंदोलन चला रखा था। उनकी मुख्य मांग थी कि मराठवाड़ा क्षेत्र के सभी मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए और उन्हें ओबीसी कोटा का लाभ दिया जाए। कुनबी जाति पहले से ही महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी में आती है। अब सरकार ने आखिरकार इस मांग को मान लिया है और हैदराबाद गजट के जरिए मराठा समाज को कुनबी जाति का दर्जा दे दिया है।
सरकार ने क्या किया ऐलान
महाराष्ट्र सरकार ने आज एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि वो मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करेगी। इसके लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया जाएगा जो कुनबी प्रमाण पत्र बनाने और वितरित करने का काम करेगी। इस कमेटी में सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ समाज के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। सरकार का ये कदम मराठा समुदाय के लिए एक बहुत बड़ी राहत लेकर आया है। अब मराठा समाज के लोग ओबीसी श्रेणी में आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे। ये फैसला सरकार की ओर से एक सरकारी प्रस्ताव यानी GR के रूप में जारी किया गया है।
जरांगे ने क्या कहा
इस ऐतिहासिक जीत के बाद मनोज जरांगे पाटिल ने आजाद मैदान में अपने समर्थकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ये जीत पूरे मराठा समुदाय की जीत है। उन्होंने कहा, "हमने लंबा संघर्ष किया, कई कुर्बानियां दीं, लेकिन आज हमारी मेहनत रंग लाई है। सरकार ने हमारी मांगों को मान लिया है।" जरांगे ने आगे कहा कि वो अब अपना आमरण अनशन खत्म कर रहे हैं और आंदोलन वापस लेते हैं। उन्होंने सरकार से कहा कि वो जल्द से जल्द कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू करे ताकि मराठा समुदाय के लोगों को जल्द से जल्द आरक्षण का लाभ मिल सके।
क्या थीं जरांगे की शर्तें
जरांगे ने आमरण अनशन खत्म करने के लिए सरकार के सामने कुछ शर्तें रखी थीं। इनमें सबसे प्रमुख शर्त थी कि मराठा समाज को कुनबी जाति का दर्जा दिया जाए। इसके अलावा, उन्होंने ये भी मांग की थी कि आंदोलन के दौरान जिन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए। साथ ही, जिन पुलिसकर्मियों ने आंदोलनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। अब तक सरकार ने कुनबी दर्जे की मांग तो मान ली है, बाकी मांगों पर अभी बातचीत जारी है। जरांगे ने कहा है कि वो सरकार से बाकी मांगों को भी जल्द पूरा करने की उम्मीद करते हैं।
क्या है कुनबी प्रमाण पत्र
कुनबी प्रमाण पत्र एक ऐसा दस्तावेज है जो ये साबित करता है कि व्यक्ति कुनबी जाति से संबंध रखता है। कुनबी जाति महाराष्ट्र की एक पारंपरिक किसान जाति है जिसे ओबीसी श्रेणी में रखा गया है। इस प्रमाण पत्र के आधार पर व्यक्ति को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण का लाभ मिलता है। अब मराठा समुदाय के लोग भी इस प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकेंगे और आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे। सरकार ने इस प्रमाण पत्र को जारी करने के लिए एक विशेष कमेटी बनाने का वादा किया है।
जरांगे का लंबा संघर्ष
ये जीत जरांगे के लिए बिल्कुल आसान नहीं थी। उन्होंने इसके लिए कई सालों तक संघर्ष किया है। साल 2021 में उन्होंने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पिंपलगांव में 90 दिनों तक आंदोलन चलाया था। साल 2023 में अगस्त महीने में जालना में उन्होंने आरक्षण की मांग को लेकर एक बहुत बड़ा आंदोलन किया था। उन्होंने कई दिनों तक आमरण अनशन किया और पुलिस की कार्रवाई के बाद ये आंदोलन पूरे प्रदेश में सुर्खियों में आया था। साल 2023 से लेकर 2025 के बीच जरांगे ने कई बार अलग-अलग क्षेत्रों में भूख हड़ताल की। उन्होंने मराठवाड़ा क्षेत्र और मुंबई में सात बार आमरण अनशन किया।
महाराष्ट्र में आरक्षण की स्थिति
महाराष्ट्र में आरक्षण की स्थिति काफी जटिल है। यहाँ जनरल कैटेगरी के लोगों को कोई आरक्षण नहीं मिलता है। सबसे ज्यादा आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी को मिलता है जो 19 फीसदी है। इसके बाद अनुसूचित जाति यानी SC/SC-Buddhist को 13 फीसदी आरक्षण मिलता है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी EWS को 10 फीसदी, सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग यानी SEBC को 10 फीसदी, अनुसूचित जनजाति यानी ST को 7 फीसदी, घुमंतू जनजाति 2 यानी NT-C को 3.5 फीसदी, वि�िमुक्त जाति यानी VJNT-A को 3 फीसदी और घुमंतू जनजाति 3 यानी NT-D को 2 फीसदी आरक्षण मिलता है। अब मराठा समुदाय के लोग भी ओबीसी श्रेणी में आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे।
सरकार की चुनौतियां
हालांकि, सरकार के सामने अभी भी कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती ये है कि ओबीसी श्रेणी में मराठा समुदाय को शामिल करने से मौजूदा ओबीसी समुदाय में नाराजगी पैदा हो सकती है। मौजूदा ओबीसी समुदाय को डर है कि इससे उनके आरक्षण के हिस्से में कमी आएगी। सरकार को इस मामले में बहुत संवेदनशीलता से काम करना होगा। दूसरी चुनौती कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को सही तरीके से लागू करने की है। सरकार को ये सुनिश्चित करना होगा कि केवल उन्हीं लोगों को ये प्रमाण पत्र मिले जो वास्तव में इसके हकदार हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर जनता की प्रतिक्रिया मिश्रित है। मराठा समुदाय के लोग बहुत खुश हैं और वे इसे एक बड़ी जीत के रूप में देख रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ ओबीसी समुदाय के कुछ लोग इस फैसले से नाराज हैं। उनका कहना है कि इससे उनके आरक्षण के हिस्से पर असर पड़ेगा। कुछ लोगों का ये भी मानना है कि आरक्षण की बजाय सरकार को शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाने चाहिए। सोशल मीडिया पर भी इस मामले पर काफी चर्चा हो रही है। कई लोग जरांगे की तारीफ कर रहे हैं तो कुछ लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं।
आगे की राह
अब सबकी नजरें सरकार पर टिकी हैं कि वो कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ाती है। सरकार ने एक कमेटी बनाने का वादा किया है जो इस काम को अंजाम देगी। इस कमेटी को ये सुनिश्चित करना होगा कि प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो। साथ ही, सरकार को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि इस फैसले से समाज के अन्य वर्गों में कोई असंतोष न पैदा हो। जरांगे ने भी कहा है कि वो सरकार पर नजर बनाए रखेंगे और अगर सरकार अपने वादों से पीछे हटती है तो वो फिर से आंदोलन शुरू कर देंगे।
निष्कर्ष
अंत में, ये कहा जा सकता है कि मनोज जरांगे और मराठा समुदाय के लिए ये एक बहुत बड़ी जीत है। सरकार के इस फैसले से मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण का लाभ मिलने की उम्मीद है। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं जिनका सामना सरकार को करना होगा। आने वाले समय में ये देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले को कैसे संभालती है और कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है।
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