भारत-पाक मैच पर संजय राउत का वार: बड़ा सवाल खड़ा

"पानी और खून साथ नहीं बह सकते!" संजय राउत का भारत-पाक मैच पर बड़ा हमला, सिंदूर भेजकर PM मोदी को भेजा जाएगा 'संदेश'

🔥 "क्रिकेट या राजनीति? संजय राउत का भारत-पाक मैच पर बड़ा हमला – पानी-खून बहने की बात से जोड़ दी क्रिकेट की जंग!"

ये सवाल अब सिर्फ राजनीति का नहीं रहा बल्कि देश की आन बान और शान का सवाल बन गया है। शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को लेकर जो बयान दिया है उसने एक बार फिर से देश में तूफान ला दिया है। उन्होंने साफ साफ कहा कि जब पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते तो फिर खून और क्रिकेट कैसे साथ साथ चल सकते हैं। ये सवाल उस वक्त और भी ज्वलंत हो गया है जब 14 सितंबर 2025 को आबू धाबी में भारत और पाकिस्तान की टीम आमने सामने होने वाली है। राउत ने इस मैच को देशद्रोह और बेशर्मी तक करार दे डाला है।

पहलगाम हमले का जख्म ताजा कर दिया राउत ने

संजय राउत ने अपने बयान में पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए देश की ज्वलंत भावनाओं को छूने की कोशिश की है। उन्होंने याद दिलाया कि पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी जिनमें कई माताएं और बहनें थीं। राउत कहते हैं कि जब उन माताओं और बहनों का सिंदूर मिट गया और उनकी पीड़ा आज भी बाकी है तो ऐसे में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना देश के साथ सीधा विश्वासघात है। ये बयान उस ऑपरेशन सिंदूर की याद दिलाता है जिसे भारत ने पहलगाम हमले के बाद शुरू किया था।

क्या है सिंदूर रक्षा अभियान जिसकी चर्चा हो रही है

शिवसेना यूबीटी ने इस भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के विरोध के लिए एक अनोखा अभियान चलाने का फैसला किया है। इस अभियान का नाम है सिंदूर रक्षा अभियान। इस अभियान के तहत पार्टी की महिला शाखा की हजारों कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेंगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घर घर से सिंदूर भेजकर अपना विरोध दर्ज कराएंगी। राउत ने कहा कि ये सिंदूर राष्ट्रीय भावनाओं का संदेश देगा और सरकार को आईना दिखाएगा। नारा दिया गया है - सिंदूर के सम्मान में, शिवसेना मैदान में।

बीजेपी और बीसीसीआई पर साधा निशाना

संजय राउत ने सीधे तौर पर बीजेपी और बीसीसीआई पर निशाना साधते हुए कुछ ऐसे सवाल खड़े किए हैं जिन पर पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि जब ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है तो ये मैच कैसे हो सकता है। राउत ने यहां तक कहा कि बीजेपी मंत्रियों के बच्चे निश्चित रूप से इस मैच को देखने स्टेडियम में मौजूद होंगे। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह का जिक्र करते हुए कहा कि वो क्रिकेट के सर्वोच्च प्राधिकरण हैं और वही हमें देशभक्ति का पाठ पढ़ाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई याचिका

शिवसेना यूबीटी ने इस भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि पाकिस्तान के साथ खेल आयोजन निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जारी रहना चाहिए। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब शिवसेना यूबीटी का सड़कों पर उतरना तय माना जा रहा है।

भारत-पाक तनाव का लंबा इतिहास

ये विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों की एक और कड़ी है। भारत ने 2008 के मुंबई हमले के बाद से पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज बंद कर दी है। तब से लेकर आज तक दोनों टीमें सिर्फ बहुपक्षीय टूर्नामेंट्स में ही आमने-सामने होती हैं। इसके बावजूद हर बार जब भी ये मैच होता है राजनीतिक विवाद खड़ा हो जाता है।

महाराष्ट्र चुनाव की राजनीति भी शामिल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवसेना यूबीटी का ये विरोध सिर्फ राष्ट्रवादी भावनाओं का नहीं बल्कि महाराष्ट्र में आने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति भी है। बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए शिवसेना यूबीटी लगातार ऐसे मुद्दों को उठा रही है जो सीधे तौर पर देशभक्ति की भावनाओं से जुड़े हों। सिंदूर रक्षा अभियान भी इसी कड़ी का एक हिस्सा माना जा रहा है।

जनता की क्या है प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर तेजी से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। कई लोग संजय राउत के बयान का समर्थन कर रहे हैं तो वहीं कई लोगों का मानना है कि खेल और राजनीति को अलग अलग रखना चाहिए। क्रिकेट प्रेमियों का एक वर्ग इस मैच का बेसब्री से इंतजार कर रहा है वहीं दूसरी ओर देशभक्ति की भावनाओं से ओतप्रोत लोग इस मैच के विरोध में हैं।

क्या होगा आगे का रास्ता

अब सवाल ये उठता है कि आखिर इस स्थिति में क्या होगा। क्या भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच हो पाएगा या फिर शिवसेना यूबीटी के विरोध के आगे सरकार को झुकना पड़ेगा। क्या बीसीसीआई इस मैच को रद्द करने का फैसला करेगी या फिर सब कुछ पहले की तरह चलता रहेगा। इन सभी सवालों के जवाब अगले कुछ दिनों में मिलने वाले हैं।

सरकार की चुप्पी पर सवाल

इस पूरे मामले में केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। बीसीसीआई भी इस विवाद पर चुप्पी साधे हुए है। सरकार की इस चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दल सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि वह इस मामले में स्पष्ट रुख अपनाए।

राउत का बयान और शिवसेना का इतिहास

शिवसेना का इतिहास रहा है कि उसने हमेशा से ही भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैचों का विरोध किया है। बाल ठाकरे के जमाने से लेकर आज तक शिवसेना ने ऐसे मैचों में हमेशा बाधा डालने की कोशिश की है। संजय राउत का ये बयान उसी विचारधारा को आगे बढ़ाता हुआ नजर आ रहा है।

क्रिकेट पर राजनीति का साया

ये कोई पहला मौका नहीं है जब क्रिकेट पर राजनीति का साया पड़ा है। भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हमेशा से ही राजनीतिक विवादों में घिरे रहे हैं। हर बार जब भी ये मैच होता है तो दोनों देशों की राजनीति गर्मा जाती है।这次 भी कुछ अलग नहीं है।

युवाओं पर क्या होगा असर

देश के युवाओं पर इस पूरे विवाद का क्या असर होगा ये भी एक अहम सवाल है। क्रिकेट भारत में सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि एक जुनून है। ऐसे में जब खेल के साथ देशभक्ति की भावनाएं जुड़ जाती हैं तो युवाओं के सामने एक उलझन पैदा हो जाती है। कई युवा इस मैच को देखना चाहते हैं तो कई देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर इसका विरोध कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की संभावना

इस पूरे विवाद की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रिया आ सकती है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद आईसीसी इस मामले में क्या रुख अपनाती है ये भी देखने वाली बात होगी। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

सुरक्षा व्यवस्था पर पड़ेगा असर

अगर ये मैच होता है तो सुरक्षा व्यवस्था पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा। शिवसेना यूबीटी के विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। आबू धाबी में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की जा सकती है।

क्या होगा मैच के बाद

मैच के बाद की स्थिति क्या होगी ये भी एक अहम सवाल है। अगर भारत मैच हार जाता है तो विरोध और भी तेज हो सकता है। वहीं अगर भारत जीत जाता है तो स्थिति शांत हो सकती है। लेकिन शिवसेना यूबीटी ने साफ कर दिया है कि वो मैच के नतीजे से परे इसका विरोध कर रहे हैं।

देशभक्ति बनाम खेल भावना का संघर्ष

ये मामला अब देशभक्ति बनाम खेल भावना के संघर्ष में तब्दील हो गया है। एक तरफ जहां देशभक्ति की भावनाएं हैं वहीं दूसरी ओर खेल की भावना है। इस संघर्ष में कौन जीतेगा ये तो time ही बताएगा।

जनता से अपील

शिवसेना यूबीटी ने जनता से अपील की है कि वो सिंदूर रक्षा अभियान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें और देश की आन बान और शान के लिए आवाज उठाएं। पार्टी का कहना है कि ये सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि देश के सम्मान का सवाल है।

आखिरी फैसला किसका होगा

अब सबकी नजरें सरकार और बीसीसीआई पर टिकी हैं कि वो आखिरी फैसला क्या करते हैं। क्या वो शिवसेना यूबीटी के विरोध के आगे झुकेंगे या फिर मैच को हरी झंडी दिखाएंगे। ये फैसला आने वाले दिनों में देश की राजनीति की दिशा तय करेगा।

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